विश्वास उसका आदर करता है जिस पर यह भरोसा करता है

June 23, 2025

विश्वास उसका आदर करता है जिस पर यह भरोसा करता है

परमेश्वर की प्रतिज्ञा के सम्बन्ध में वह अविश्वास के कारण विचलित नहीं हुआ, परन्तु परमेश्वर की महिमा करते हुए विश्वास में दृढ़ हुआ। (रोमियों 4:20)

मेरी बड़ी हार्दिक अभिलाषा है कि पवित्रता तथा प्रेम की हमारी खोज के द्वारा परमेश्वर को महिमा मिले। परन्तु परमेश्वर तब तक महिमान्वित नहीं होता है जब तक हमारी खोज परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास के द्वारा सशक्त नहीं होगी।

और जिस परमेश्वर ने स्वयं को पूर्णता से प्रकट किया है यीशु ख्रीष्ट में, जो हमारे पापों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया और हमारे धर्मीकरण के लिए जी उठा (रोमियों 4:25), वह सर्वाधिक महिमान्वित तब होता है जब हम उसकी प्रतिज्ञाओं को आनन्दपूर्ण दृढ़ता के साथ स्वीकारते हैं क्योंकि वे उसके पुत्र के लहू के द्वारा मोल लिए गए हैं।

परमेश्वर तब आदर पाता है जब हम अपनी निर्बलता और असफलता के कारण नम्र किए जाते हैं, और भविष्य-के-अनुग्रह के लिए उस पर भरोसा रखते हैं। रोमियों 4:20 की मुख्य बात यही तो है जहाँ पौलुस अब्राहम के विश्वास का वर्णन ऐसे करता है, “परमेश्वर की प्रतिज्ञा के सम्बन्ध में वह अविश्वास के कारण विचलित नहीं हुआ, परन्तु परमेश्वर की महिमा करते हुए  विश्वास में दृढ़ हुआ।”

वह अपने विश्वास में दृढ़ हुआ और इस प्रकार उसने परमेश्वर को महिमा दी। परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर किया गया विश्वास, परमेश्वर को सर्वोच्च रीति से बुद्धिमान, सामर्थी, भला और विश्वासयोग्य दिखाते हुए परमेश्वर को महिमा देता है। इसलिए, जब तक हम यह नहीं सीखते कि परमेश्वर के भविष्य-के-अनुग्रह की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास के साथ कैसा जीना है, तो हो सकता है कि हम पूरी लगन से धार्मिक रीति-विधियों का पालन तो कर लें, परन्तु इससे परमेश्वर को महिमा नहीं मिलेगी।

उसकी महिमा तब होती है जब पवित्र होने के लिए सामर्थ्य भविष्य-के-अनुग्रह पर विनम्र विश्वास के द्वारा आती है।

मार्टिन लूथर ने कहा, “[विश्वास] उस जन का आदर करता है जिस पर वह सर्वाधिक आदर और सर्वोच्च सम्मान के साथ भरोसा करता है, क्योंकि ऐसा विश्वास उस जन को सच्चा और विश्वासयोग्य मानता है।” उस देने वाले को महिमा मिलती है जिस पर भरोसा किया जाता है।

मेरी हार्दिक इच्छा है कि हम परमेश्वर के आदर के लिए जीना सीखें। और इसका अर्थ है कि भविष्य-के अनुग्रह पर भरोसा करते हुए जीवन जीना, जिसका अर्थ है जब जब अविश्वास अपना सिर उठाए उसके साथ युद्ध करना।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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