Profit Gain AI Profit Method AI Crypto Core Profit

दूसरों को क्षमा करना।

कुछ लोगों के लिए क्षमा करना बहुत कठिन होता है। दूसरों को क्षमा न कर पाना एक बड़ी समस्या है। क्षमा करना क्यों महत्वपूर्ण है! हमें क्षमा करने के लिए प्रेरणा कहाँ से मिलती है! बाइबल दूसरों को क्षमा करने पर स्पष्टता के साथ प्रकाश डालती है। तो आइए दूसरों को क्षमा करने के सन्दर्भ में तीन बातों पर विचार करें: पहला – क्षमा करना क्यों कठिन जान पड़ता है? दूसरा – क्षमा करना क्यों आवश्यक है? तीसरा – क्षमा करने हेतु बाइबलीय प्रेरणास्रोत।

क्यों हम दूसरों को क्षमा नहीं कर पाते हैं?

परिस्थिति के कारण: क्या आप के सामने कोई ऐसी परिस्थिति आती है, जिसके कारण आप दूसरे लोगों को क्षमा नहीं कर पाते हैं? एक बार उड़ीसा में एक ख्रीष्टीय परिवार को ख्रीष्टीय विरोधियों ने कार में जा रहे व्यक्ति और उनके बच्चों को कार में आग लगा कर मार दिया। परिस्थिति बहुत विकट हो गई थी, केवल उस व्यक्ति की पत्नी और बेटी ही बची थी और सब मार दिए गए थे। एक सामान्य व्यक्ति के लिए जो ख्रीष्ट को नहीं जानता है, वह बदला लेने के लेने के लिए हर सम्भव प्रयास करेगा।

किन्तु उसकी पत्नी ने जिसने अपने पति खो दिया और बच्चों को खो दिया, उसने न्यायधीश से एक बड़ी बात बोली – जैसे मेरे प्रभु यीशु ने हमारे पापों को क्षमा किया है वैसे ही मैं अपने पति और बच्चों के हत्यारे को क्षमा करती हूँ। “उस क्षमा के कारण जो मेरे पास है, मैं उन लोगों के प्रति कोई कड़वाहट नहीं रखती जिन्होंने मेरे परिवार को मार डाला। क्षमा और हमारे अपराधपूर्ण कामों के परिणामों को मिलाया नहीं जाना चाहिए।”

हृदय में कड़ुवाहट व बैर-भाव मतभेद होने के कारण: यदि आप दूसरों को क्षमा नहीं कर पाते हैं तो सम्भवत: समस्या सामने वाले व्यक्ति में नहीं है परन्तु सबसे बड़ी समस्या आप के हृदय में है, क्योंकि गलातियों 5:20 हमें बताता हैं कि हमारे अन्दर शरीर के काम अर्थात् बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, मतभेद, फूट, दल बन्दी और द्वेष पाये जाते हैं। जिसके कारण हम लोगों से प्रेम नहीं कर पाते हैं और उन्हें क्षमा नहीं कर पाते हैं।

आत्मिक परिपक्वता की कमी के कारण: एक दूसरे को क्षमा करना एक आत्मिक परिपक्वता की चिन्ह है। यदि हम आत्मिक रीति से परिपक्व नहीं हैं, तो हम ख्रीष्ट के द्वारा किए पापों की क्षमा के महत्वता को नहीं समझ सकते और इसीलिए हम दूसरों को क्षमा नहीं कर पाते हैं और एक-दूसरे के साथ भाईचारे का व्यवहार नहीं कर पाते हैं।                             

दूसरों को क्षमा करना क्यों महत्वपूर्ण है :

भाईचारे के प्रेम में बढ़ने हेतु: परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि हम एक दूसरे से प्रेम करे। जब हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं तो हम मतभेद को लेकर तथा दूसरों की कमियों व अपराधों को लेकर बैठे ही नही रहेंगे वरन् हम प्रेम में होकर उसे क्षमा करेंगे। इसलिए 1 पतरस4:8 “सब से बढ़कर, एक दूसरे के प्रति प्रेम में सरगर्म रहो, क्योंकि प्रेम असंख्य पापों को ढांप देता है।

पवित्रता में बढ़ने हेतु: हमारी व्यक्तिगत पवित्रता हमारे आपसी सम्बन्धों में दिखाई देती हैं, हमारे आपसी सम्बन्ध तब तक मधुर नहीं होते जब तक हम एक-दूसरे को क्षमा नहीं करते हैं इसलिए परमेश्वर का वचन इफिसियों 4:32 कहता है कि “एक-दूसरे के प्रति दयालु और करुणामय बनो, और परमेश्वर ने ख्रीष्ट में जैसे तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।”

प्रार्थना के सुने जाने के लिए: यदि मैं अपने मन में अनर्थ सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता (भजन 66:18)। मरकुस 11:25-26 में प्रभु यीशु बताते हैं – “जब कभी तुम खड़े होकर प्रार्थना करो तो यदि तुम्हारे मन में किसी के प्रति कुछ विरोध है तो क्षमा करो, जिससे कि तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है तुम्हारे भी अपराध क्षमा करे। यदि तुम क्षमा नहीं करोगे तो तुम्हारा पिता भी जो स्वर्ग में है तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।”

दूसरों को क्षमा करने हेतु बाइबलीय प्रेरणास्रोत:

दूसरों को क्षमा करने हेतु ईश्वरीय निर्देश: एक-दूसरे को क्षमा करने के लिए यीशु ख्रीष्ट शिक्षा देते हुए कहते हैं कि “…क्षमा करो तो तुम भी क्षमा किए जाओगे।”

दूसरों को क्षमा करने हेतु ईश्वरीय उदाहरण : दूसरों को क्षमा करने का सबसे बड़ा उदाहरण यीशु ख्रीष्ट स्वयं हैं। जब वे क्रूस पर चढ़ाए गए तब वह यह कहते हैं लूका 23:33-34 में “जब वे उस स्थान पर जो खोपड़ी कहलाता है पहुँचे, तो वहां पर उन्होंने उसे और उसके साथ दो अपराधियों को भी क्रूस पर चढ़ाया, एक को दाहिनी और दूसरे को बाईं ओर। परन्तु यीशु ने कहा, “हे पिता इन्हें क्षमा कर; क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे है।…”

दूसरों को क्षमा करने हेतु प्रभु की शिक्षा:  मत्ती 6:12,14-15 में यीशु ख्रीष्ट अपने चेलों को प्रार्थना सिखाते हैं उस प्रार्थना में 12 पद में सिखाते हैं कि “जैसे हमने अपने अपराधियों को क्षमा किया है वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।” फिर बाद इसी बात को समझाते हुए कहते हैं कि 14-15 “यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। परन्तु यदि तुम मनुष्यों को क्षमा न करो तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।

साझा करें
रोहित मसीह
रोहित मसीह

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

Articles: 38

Special Offer!

ESV Concise Study Bible

Get the ESV Concise Study Bible for a contribution of only 500 rupees!

Get your Bible