हम ख्रीष्टीय लोग शुभ शुक्रवार को मनाकर प्रभु यीशु ख्रीष्ट के क्रूस पर किए गए बलिदान को स्मरण करते हैं। हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट का क्रूस पर मरना कोई संयोग नहीं है, अचानक हो जाने वाली घटना नहीं है, किन्तु यीशु का क्रूसीकरण परमेश्वर की अनन्त योजना का पूर्तिकरण है। आइए हम दो बातों को देखें जो स्पष्ट करती हैं कि कैसे यीशु ख्रीष्ट का क्रूसीकरण परमेश्वर की योजना थी –
यीशु ख्रीष्ट के दुख और मृत्यु की भविष्यवाणी पुराने नियम में :
परमेश्वर ने यशायाह भविष्यवक्ता के द्वारा 700 वर्ष ईसा पूर्व ही यीशु ख्रीष्ट के जन्म और मृत्यु के विषय में सब कुछ प्रकट कर दिया था कि “हमारे लिए एक बालक उत्पन्न होगा, हमें एक पुत्र दिया जाएगा; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा”(यशायाह 9:6)। यीशु के जन्म की यह भविष्यवाणी भी सत्यता के साथ लगभग 2022 वर्ष पूर्व पूर्ण हुई।
इतना ही नहीं यशायाह भविष्यवक्ता के द्वार परमेश्वर ने इस बात को प्रकट कर दिया था कि वह हमारे पापों के लिए दुख उठाएगा, उसे मारा जाएगा, उसे सताया जाएगा – “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण बेधा गया, वह हमारे अधर्म के कारण कुचला गया; हमारी शान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी” (यशायाह 53:5 अ)। ये पद इस बात को सिद्ध करते हैं कि यीशु ख्रीष्ट के जन्म से लेकर उसका दुख उठाना तथा हमारे पापों से उद्धार हेतु क्रूस पर उसकी मृत्यु परमेश्वर की अनन्त योजना का पूर्तिकरण है।
नये नियम में क्रूसीकरण के विषय में यीशु की भविष्यवाणी:
“और जैसा मूसा ने जंगल में सांप को ऊँचा उठाया, उसी प्रकार अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊँचा उठाया जाए, कि जो कोई विश्वास करे वह उसमें अनन्त जीवन पाए” (यूहन्ना 3:14-15)
यीशु ख्रीष्ट निकुदेमुस से बात करते हुए पुराने नियम के गिनती 21 अध्याय से उल्लेख प्रस्तुत करते हुए अपने क्रूसीकरण की बात पहले ही प्रकट कर देते हैं। आइए हम जाने कि यीशु किस कहानी का उल्लेख कर रहे हैं जो कि यीशु के क्रूसीकरण की ओर संकेत करती है –
परमेश्वर अपने लोगों (इस्राएलियों) को मिस्र के दासत्व से छुड़ाकर प्रतिज्ञात देश कनान ले जा रहा था। मार्ग में परमेश्वर का प्रावधान भरा हाथ इस्राएलियों के ऊपर था, फिर वे खाना-पानी हेतु कुड़कुड़ा रहे थे और मूसा के मूसा और परमेश्वर के विरूद्ध हो गए। तब परमेश्वर ने उन्हें दण्डित करने हेतु ज़हरीले सांपों को भेजा। बहुत से लोग सांपों के काटने से मर गए। तब उन्होंने अनुभव किया कि उन्होंने कुड़कुड़ाने के द्वारा परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है। तब उन लोगों के मूसा के पास आकर विनती करने लगे कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे कि परमेश्वर उन्हें मरने से बचाए। मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने प्रार्थना को सुना और परमेश्वर ने मृत्यु से बचने का एक विचित्र उपाय दिया। परमेश्वर ने मूसा से कहा – “एक विषैला सर्प बनाकर खम्भे पर लटका और ऐसा होगा कि सर्प से डसा हुआ हर व्यक्ति जो उसे देखेगा वह जीवित रहेगा” और मूसा ने ऐसा ही किया उसने कांसे का सर्प बनाकर खम्भे पर लटका दिया और ऐसा हुआ जिस-जिस व्यक्ति ने कांसे के उस सर्प को देखा वह जीवित रहा (गिनती 21)।
कई हज़ार वर्ष के पश्चात् यीशु ख्रीष्ट ने निकुदेमुस से वार्तालाप के अन्तराल कहा कि जैसा मूसा ने जंगल में कांसे के सांप को ऊँचा उठाया अर्थात् खम्भे पर लटकाया, उसी प्रकार अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र (यीशु ख्रीष्ट) भी ऊँचे पर उठाया जाए। यीशु ख्रीष्ट अपने क्रूसीकरण के विषय में बात कर रहे थे। यीशु ने पहले ही यह प्रकट कर दिया कि उसे मरने हेतु क्रूस पर लटकाया जाएगा। यीशु ने निकुदेमुस से बता दिया था कि जो कोई उसकी ओर (क्रूसित यीशु की ओर) दृष्टि करेगा, जीवित रहेगा अर्थात् जो कोई विश्वास करेगा वह उसमें अनन्त जीवन पाएगा।
परमेश्वर ने कांसे के सर्प का उपयोग किया अपने लोगों को ज़हरीले सर्पों के काटने व व शारीरिक मृत्यु से बचाने के लिए, परन्तु परमेश्वर अपनी अनन्त योजना में होकर यीशु के क्रूसीकरण का उपयोग अपने लोग को अनन्तकाल के लिए बचाने हेतु किया।
इसलिए प्रिय पाठको, अनन्त जीवन को पाने हेतु उस यीशु ख्रीष्ट की ओर दृष्टि कीजिए जो हमारे ही पापों और अपराधों के कारण बेधा गया, हमारे ही अधर्मों के लिए कुचला गया। हमारे लिए क्रूस पर बलिदान हो गया, मारा गया, गाड़ा गया और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा। इस बात को स्मरण रखें कि यीशु ख्रीष्ट का क्रूसीकरण एक संयोग नहीं है, परन्तु हमारे पापों से उद्धार हेतु परमेश्वर की अनन्तकालीन योजना का पूर्तिकरण है।