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क्रूस पर यीशु की मृत्यु कोई संयोग नहीं था।

यदि क्रूस पर यीशु की मृत्यु परमेश्वर की योजना का भाग है, तो उसकी मृत्यु संयोग कदापि नहीं हो सकती। बल्कि यह मानवता को पाप से बचाने और हमें अपने साथ मेल कर लेने की परमेश्वर की योजना का एक भाग था। 

क्रूस पर यीशु की मृत्यु एक परमेश्वर-नियोजित और ऐतिहासिक सत्य घटना है।

क्रूस पर यीशु की मृत्यु परमेश्वर की योजना के अन्तर्गत होने वाली एक सत्य और ऐतिहासिक घटना थी। प्रेरित पतरस यीशु की मृत्यु के विषय में कहते हैं कि “. . . इसी मनुष्य (यीशु नासरी) को, जो परमेश्वर की पूर्व-निश्चित योजना और पूर्वज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया था, तुमने विधर्मियों के हाथों क्रूस पर कीलों से ठुकवा कर मार डाला।” (प्रेरितों के काम 2:23 )। यीशु की मृत्यु परमेश्वर की पूर्व-निश्चित योजना और पूर्वज्ञान में होकर हुई थी, यह कोई संयोग नहीं था।

एक दुःख उठाने वाले दास की भविष्यवाणी का पूर्तिकरण था।

यीशु की मृत्यु के विषय में परमेश्वर ने पहले से ही पुराने नियम में स्पष्ट कर दिया था। पुराने नियम में, भविष्यवक्ताओं ने एक आने वाले मसीहा के विषय में भविष्यवाणी की थी जो लोगों के पापों के लिए कष्ट उठाएगा और मरेगा। यशायाह 53:5-6 कहता है, “परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण भेदा गया, वह हमारे अधर्म के कामों के लिए कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी, उसके कोड़े खाने से हम चंगे हुए। हम तो सबके सब भेड़ों के समान भटक गए थे, हममें से प्रत्येक ने अपना-अपना मार्ग लिया, परन्तु यहोवा ने हम सबके अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।”

क्रूस पर यीशु की मृत्यु बहुतों के फिरौती के लिए थी।

नए नियम में, यीशु ने स्वयं सिखाया कि वह बहुतों के लिए फिरौती के रूप में अपना प्राण देने आया है (मत्ती 20:28)। वह जानता था कि उसकी मृत्यु कोई आकस्मिक दुखद दुर्घटना नहीं थी, बल्कि उद्धार के लिए परमेश्वर की योजना को पूरा करने के लिए एक आवश्यक बलिदान था।

क्रूस पर यीशु की मृत्यु परमेश्वर के प्रेम की उत्कृष्ट परिकाष्ठा थी।

यूहन्ना 3:16-17 में, यह कहता है, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, कि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत को दोषी ठहराए, परन्तु इसलिए कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।”

क्रूस पर यीशु की मृत्यु मानवता के लिए परमेश्वर के प्रेम का अन्तिम और परम उत्कृष्ट प्रदर्शन थी। अपने पुत्र का बलिदान करके, परमेश्वर ने हमें हमारे पापों की क्षमा पाने और अपने साथ मेल-मिलाप करने का एक मार्ग प्रदान किया। यीशु में विश्वास के द्वारा, हम अनन्त जीवन प्राप्त करते हैं और अपने पापों के दोष व दण्ड से बचाए जाते हैं।

इन सब बातों का निष्कर्ष यह है कि क्रूस पर यीशु की मृत्यु एक संयोग नहीं थी, बल्कि मानवता को बचाने के लिए परमेश्वर की योजना का एक भाग थी। बाइबल सिखाती है कि परमेश्वर ने हम से इतना प्रेम किया कि उसने अपने पुत्र को हमारे लिए मरने के लिए दे दिया, जिससे कि हम उस पर विश्वास करके अनन्त जीवन पा सकें।

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रोहित मसीह
रोहित मसीह

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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