पहले तो यह बात उलझन में डाल देती है। क्या ख्रीष्ट को पाप से छूटना था? नहीं! “उसने कोई पाप न किया था”(1 पतरस 2:22)।
फिर यह बात समझ में आती है। जब हम इस विचार को धारण कर लेते हैं कि ख्रीष्ट ने हमारे लिए दुख उठाया था, हम यह जान जाते हैं कि हम उसके साथ मारे गए हैं। “उसने स्वयं अपनी ही देह में क्रूस पर हमारे पापों को उठा लिया, जिस से हम पाप के लिए मरे और धार्मिकता के लिए जीवन व्यतीत करें” (1 पतरस 2:24)। जब हम उसके साथ मरते हैं, हम पाप से छूट जाते हैं।
यह रोमियों 6 के समान है। “यह जानते हुए कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, कि हमारा पाप का शरीर निष्क्रिय हो जाए, कि हम आगे को पाप के दास न रहें: क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूट कर निर्दोष ठहरा . . .। इसी प्रकार तुम भी अपने आप को पाप के लिए मृतक परन्तु ख्रीष्ट यीशु में परमेश्वर के लिए जीवित समझो” (रोमियों 6:6-7,11)।
पतरस कहता है, “तुम भी इसी विचार को धारण करो!”
पौलुस कहता है, “अपने आप को पाप के लिए मृतक समझो !”
पाप के विरुद्ध हमारे युद्ध का हथियार तो यही विचार है — अर्थात् यही समझ ।
जब शैतान से प्रलोभन आते हैं — वासना के लिए, चोरी के लिए, झूठ बोलने के लिए, लोभ के लिए, ईर्ष्या करने के लिए, बदला लेने के लिए, नीचा दिखाने के लिए, डरने के लिए — तो स्वयं को इस विचार से धारण करें: जब मेरे प्रभु ने मुझे पाप से मुक्त कराने के लिए दुख उठाया और मारा गया, तो मैं पाप के लिए मर गया।
जब शैतान आप से कहता है, स्वयं को वासना के सुख से क्यों वंचित रखो? उस समस्या से क्यों निपटा जाए जिससे आप झूठ बोल कर बच सकते थे? क्यों न आगे बढ़कर उस हानिरहित विलासिता को प्राप्त कर लें जिसका आप लोभ करते हैं? क्यों नहीं अगले को वैसा ही दुख देकर न्याय को प्राप्त कर लें?
उसे उत्तर दें: परमेश्वर के पुत्र ने मुझे पाप से छुड़ाने के लिए कष्ट उठाया था (वास्तव में कष्ट उठाया)। मैं यह विश्वास नहीं कर सकता हूँ कि उसने मुझे अभागा बनाने के लिए दुख उठाया था। इसलिए, जिस बात को मोल लेने के लिए वह मरा, वह बात तो अवश्य ही पाप के सुखों से अधिक अद्भुत होगी। क्योंकि मैं उस पर भरोसा करता हूँ, इसलिए तुम्हारे प्रलोभनों के प्रति मेरा आकर्षण सूखकर मर गया है।
हे शैतान, तू हट जा! जब मैं तेरे मिष्ठान भण्डार के सामने से निकलता हूँ, तो मेरे मुँह से अब लार नहीं टपकती है।