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दो अनन्त शक्तिशाली और कोमल सत्य

“. . . मैं अन्त की बात आदि से और जो बातें अब तक नहीं हुईं उन्हें प्राचीनकाल से बताता आया हूँ। मैं कहता हूँ कि मेरी योजना स्थिर रहेगी और मैं अपनी भली इच्छा पूरी करूँगा” (यशायाह 46:10)।

“सम्प्रभुता” शब्द (“त्रिएकता” शब्द के भाँति ही) बाइबल में नहीं आता है। हम इसका उपयोग इस सत्य की बात करने के लिए करते हैं: परमेश्वर संसार के सबसे विशाल अन्तर्राष्ट्रीय षड्यंत्र से लेकर जंगल के सबसे छोटे पक्षी के गिरने तक सभी बातों पर अन्तिम नियन्त्रण रखता है।

बाइबल इस बात को इस प्रकार से व्यक्त करती है: “मैं ही परमेश्वर हूँ, और मेरे तुल्य कोई नहीं है . . .  मैं कहता हूँ कि मेरी योजना स्थिर रहेगी और मैं अपनी भली इच्छा पूरी करूंगा” (यशायाह 46:9-10)। और “[परमेश्वर] स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के निवासियों के बीच अपनी इच्छानुसार कार्य करता है, और न तो कोई उसका हाथ ही रोक सकता और न पूछ सकता है कि ‘तू ने यह क्या किया?’” (दानिय्येल 4:35)। और: “वह तो अद्वितीय है, उसे कौन विमुख कर सकता है? और जो उसका जी चाहता है, वही वह करता है। मेरे लिए जो कुछ उसने ठाना है उसी को वह पूरा करता है” (अय्यूब 23:13-14)। और: “हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में है; और जो कुछ वह चाहता है, करता है” (भजन 115:3)।

विश्वासियों के लिए इस सिद्धान्त का अत्यन्त बहमूल्य होने का एक कारण यह है कि हम जानते हैं कि परमेश्वर की महान इच्छा है कि उन लोगों पर दया और कृपा दिखाए जो उस पर भरोसा रखते हैं (इफिसियों 2:7;  भजन 37:3-7; नीतिवचन 29:25)। परमेश्वर की सम्प्रभुता का अर्थ है कि हमारे लिए उसके इस उद्देश्य को निष्फल नहीं किया जा सकता है। यह विफल नहीं हो सकता है।

उन पर कुछ नहीं, कुछ भी नहीं, आ पड़ता है जो “परमेश्वर से प्रेम रखते हैं” और “उसके अभिप्राय के अनुसार बुलाए गए हैं” सिवाय उसके जो हमारे गहन और उच्चतम और दीर्घकाल तक के लिए भला है (रोमियों 8:28; भजन 84:11)। 

इसी कारण से मुझे कहना भाता है कि परमेश्वर की दया और सम्प्रभुता मेरे जीवन के दो स्तम्भ हैं। वे तो मेरे भविष्य की आशा, मेरी सेवा की शक्ति, मेरे ईश्वरविज्ञान का केन्द्र, मेरे विवाह का बन्धन, मेरे सारे रोगों की सबसे उत्तम औषधि, मेरी सारी निराशाओं का उपचार हैं।

और जब मेरी मृत्यु होने वाली होगी (भले ही वह शीघ्र हो या बाद में), ये दोनों सत्य मेरे बिछौने के समीप होंगे, और अत्यन्त शक्तिशाली और अत्यन्त कोमल हाथों से मुझे परमेश्वर तक उठाएँगे।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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