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हमारे जीवन पर परमेश्वर की सम्प्रभुता

बाइबल का परमेश्वर सम्प्रभु है। यह उसकी पहचान है। यह उसका गुण है। सम्प्रभुता के अर्थ की बात करें तो हम बाइबल में देखते हैं कि परमेश्वर राजा है, वह सब पर राज्य करता है। जो उसने योजनाएं बनाई हैं, उसको वह पूरी करता है। सब कुछ पर वह अधिकारी है और सब कुछ उसकी योजना और अनुमति के अन्तर्गत होता है। कोई भी उसकी योजना को टाल नहीं सकता या हटा नहीं सकता (यशा 24:23, दानि. 4:34-35, मत्ती 10:29-31)। 

जब हम अपने जीवन के विषय में कभी विचार करते हैं, कि हमारे जीवन का क्या होगा? क्यों हम जी रहे हैं? क्यों हमारे जीवन में परेशानी है? इस जीवन का क्या अर्थ है? इन प्रश्नों का उत्तर एवं अपने जीवन का अस्तित्व पाने के लिए हमें परमेश्वर के सम्प्रभुता को समझना आवश्यक है। 

परमेश्वर हमारे जीवन के प्रत्येक गतिविधियों एवं घटनाओं से परिचित है।

हमारे जन्म पर परमेश्वर की सम्प्रभुता: हमारा अस्तित्व परमेश्वर के कारण है। “तूने मुझे अद्भुत रीति से बनाया है” (भजन 139:14)। हमारी गतिविधियाँ (पढ़ाई, कार्य, नौकरी) समय और प्रत्येक घटनाओं पर परमेश्वर का नियन्त्रण है। परमेश्वर हमारे जीवन का स्रोत है। हमारे जीवन और घटनाओं पर परमेश्वर का नियन्त्रण है। परमेश्वर ने प्रत्येक बात के लिए समय नियुक्त किया है (सभो 3:1)। हमारा शारीरिक और आत्मिक जन्म एकमात्र परमेश्वर के अनग्रह द्वारा ही होता है। उसने हमें श्वांस दिया है, हम उसी के कारण जीवित हैं। इसके साथ ही जो विश्वासी हैं, वे यीशु में पवित्रआत्मा द्वारा नया जन्म पाते हैं, जो पूर्णतया परमेश्वर का कार्य है।

हमारे जीवन की परिस्थितियाँ में परमेश्वर की सम्प्रभुता: हम अपने पूरे जीवन भर में विभिन्न प्रकार की स्थितियों से होकर जाते हैं। हम अपने जीवन में उतार-चढ़ाव, अमीरी, गरीबी, सम्मान, अपमान, बिमारी, दुर्घटना, सुख, दुख की स्थितियों को देखते हैं। और प्राय: हम इस बात को भूल जाते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवन की प्रत्येक गतिविधियों, घटनाओं को जानता है। परमेश्वर हमारे शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्थितियों को भी जानता है। परमेश्वर हमसे बेहतर हमको जानता है। परमेश्वर अभाव में हमारी देखभाल करता है। परमेश्वर के सम्प्रभुता का ज्ञान हमारे सच्चे आनन्द का स्रोत है।परमेश्वर सारे समय में काम करता है। चाहे कोई भी परिस्थिति आपके सामने क्यों न हो। चाहे आप शान्ति के समय में चाहे, युद्ध के समय में आप जीवन जी रहे हों। अपने जीवन में इस बात को स्मरण रखिए कि जीवन में बदलाव आते हैं किन्तु परमेश्वर उन सब स्थितियों पर सम्प्रभु है।

जीवन का आरम्भ और जीवन का अन्त दोनों परमेश्वर के हाथों में है।

हमारी मृत्यु पर परमेश्वर की सम्प्रभुता: हम नहीं जानते कि अगले पल हमारे जीवन में क्या होगा। किन्तु परमेश्वर जानता है कि कब, कहाँ, कैसे, किस साधन से मरेंगे। उसने सब कुछ निर्धारित किया हुआ है। जिसने जीवन दिया है उसी परमेश्वर ने मरने का समय भी नियुक्त किया है। जीवन का आरम्भ और जीवन का अन्त दोनों परमेश्वर के हाथों में है (सभो. 3:2)। यदि हम उसके अधिकार के अन्दर जीवन जी रहे हैं तो हम जानते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवन का केन्द्र है। हमारी आयु परमेश्वर के हाथ में है। हमारा समय उसके पास है (भजन 31:14-16)। कोई सामान्य मृत्यु से तथा कोई दुर्घटना, हत्या में मारा जाता है। किन्तु हम चाहे जैसे मरे, उस समय के विषय में परमेश्वर को पता है। हमको स्मरण रखना चाहिए कि परमेश्वर हमारी मृत्यु पर भी सम्प्रभु है।

हमारे अन्तिम गन्तव्य पर परमेश्वर की सम्प्रभुता: परमेश्वर हमें मृत्यु के द्वार तक हमें थाम के रखेगा और मृत्यु के बाद भी हम यीशु के कारण उसके साथ अनन्त काल तक होंगे। किसी की भी मृत्यु असमय नहीं होती। सब व्यक्ति नियुक्त समय पर मरते हैं। ख्रीष्टीय जीवन में मृत्यु के लिए तैयार रहना जीवन के लिए सामर्थ्य देता है। कौन स्वर्ग जाएगा, और कौन नरक में जाएगा, यह परमेश्वर को पता है। 

जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं उनके लिए वह सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है (रोमियो 8:28) परमेश्वर ने अपने प्रावधान और अपनी योजना में सबको जीवन दिया है। परमेश्वर की सम्प्रभुता को जानना हमें परमेश्वर की आराधना करने के लिए प्रेरित करता है। हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है! हमको प्रतिदिन पूछना चाहिए कि हे परमेश्वर मैं कैसे अपने जीवन के द्वारा महिमा दे सकता हूँ। क्योंकि आप ही मुझे अस्तित्व में लेकर आए हैं।

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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