परमेश्वर के महाप्रताप का आवर्धन होता है जब हम उसे एक्स निहिलो (कुछ नहीं में से) सृष्टि के दृष्टिकोण से देखते हैं। वह शून्यता को आज्ञा देता है, और वह आज्ञापालन करता है और वह कुछ बन जाता है।
कुछ नहीं से वह मिट्टी को बनाता है, और मिट्टी से वह हमें बनाता है — प्रभु का मिट्टी का बर्तन (यशायाह 45:9) — उसकी सम्पत्ति, उसकी महिमा के लिए ठहराए गए, जो पूर्ण रीति से उस पर निर्भर हैं।
“जान लो कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हमको बनाया और हम उसी के हैं, हम उसकी प्रजा और उसकी चरागाह की भेड़ें हैं” (भजन 100:3)। यह बात नम्र करने वाली है कि हम एक भेड़ और एक बर्तन हैं जिसका स्वामी कोई और है।
आज सुबह मैं यशायाह में पढ़ रहा था और मुझे परमेश्वर के महाप्रताप के विषय में एक और कथन मिला। जब मैंने इस बात को सृष्टिकर्ता के रूप में परमेश्वर के पूर्ण सामर्थ्य और अधिकार के साथ रखा, तो मेरे हृदय में एक विस्फोट हो गया।धड़ाम!
यशायाह 33:21 कहता है, “वह महाप्रतापी अर्थात् यहोवा हमारे लिए होगा।”
वह हमारे पक्ष में है! वह हमारे पक्ष में है! सृष्टिकर्ता हमारे पक्ष में है, हमारे विरुद्ध नहीं है। सम्पूर्ण विश्व की सारी सामर्थ्य के साथ और अपनी सृष्टि के साथ स्वयं की इच्छानुसार व्यवहार करने के अधिकार के साथ — वह हमारे पक्ष में है!
“न आँखों से किसी ने तुझे छोड़ ऐसे परमेश्वर को देखा जो अपनी बाट जोहने वालों के लिए कार्य करता हो” (यशायाह 64:4)। “यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है, तो कौन हमारे विरुद्ध है?” (रोमियों 8:31)।
क्या आप ऐसी किसी और बात के विषय में सोच सकते हैं (मेरा तात्पर्य है कोई भी बात) जो इससे अधिक सान्त्वना देने वाली और निश्चितता देने वाली और आनन्द देने वाली है कि महाप्रतापी यहोवा आपके पक्ष में है?