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मैं एक जीवनसाथी कैसे चुनूँ?

यीशु के पीछे चलने के निर्णय के अतिरिक्त, हमारे बच्चों का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होगा कि वे किससे विवाह करेंगे।
इस निर्णय का अनेक पीढ़ियों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। परन्तु, इस निर्णय के महत्व के होते हुए भी, कुछ माता-पिता अपने बच्चों के पढ़ाई में नम्बर या खेल के प्रदर्शन के विषय में अधिक चिन्तित हैं।


इस विषय से अधिक, कि उन्हें भविष्य के जीवनसाथी को कैसे चुनना चाहिए, वे इस विषय में बात करने में समय व्यतीत करते हैं कि वे सही महाविद्यालय में कैसे प्रवेश कर सकते हैं। किन्तु आपके बच्चे जिनसे विवाह करते हैं, वे अनन्त गन्तव्यों को प्रभावित कर सकते हैं: उनके अपने, उनके जीवनसाथी के, आपके नाती-पोतों के, और आपके परपोतों के।

मेज़ के आसपास
पाँच वयस्क बच्चों के पिता के रूप में, मैं आपको इस विषय पर अपने बच्चों के साथ चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूँ। यद्यपि हमने त्रुटियाँ कीं, मैंने और मेरी पत्नी ने पाया कि इन चर्चाओं के लिए सबसे अच्छा स्थान भोजन करने की मेज थी, जहाँ हम सप्ताह में कम से कम चार—और हो सके तो छः बार इकट्ठा होते थे। प्रभावशाली पिता और माता (विशेषकर पिता) अपने बच्चों को निरन्तर सिखाते हैं। वे केवल उदाहरण होने के द्वारा ही नहीं सिखाते हैं; वे अपने होठों से सिखाते हैं। ऐसा करना कठिन है यदि परिवार नियमित रूप से भोजन के लिए एकत्रित न हो।


हमने यह भी पाया कि अपने बच्चों को सिखाने का सबसे अच्छा समय बाद की अपेक्षा पहले का था। अच्छा होगा कि माता-पिता इन विषयों पर चर्चा अपने बच्चों के यौवनावस्था में प्रवेश करने के समय ही आरम्भ कर दें और नियमित रूप से चर्चा जारी रखें।
मैं और मेरी पत्नी नियमित रूप से अपने बच्चों के साथ विवाह के सात सिद्धान्तों के विषय में चर्चा करते थे। इनसे अधिक भी हैं, परन्तु आरम्भ करने के लिए ये अच्छे हैं।

“विवाह में मूर्खतापूर्ण रीति से प्रवेश करने की अपेक्षा अविवाहित रहना उत्तम है।”

मूर्खतापूर्ण विवाह की अपेक्षा अविवाहित रहने को चुनें।
आज अधिकाँश जोड़े (यदि उनका विवाह बना रहना है) पचास से सत्तर वर्ष तक एक साथ रहते हैं । यह बहुत लम्बा समय है। जब एक जोड़ा ख्रीष्ट के चारों ओर अपने मिलन को बाँधता है, तो उस मिलन में सम्भावना है कि वह मधुर और अद्भुत हो सकता है। परन्तु जब एक या दोनों जन विवाह को किसी और वस्तु के आधार पर बनाते हैं, भविष्य की स्थिति इतनी सकारात्मक नहीं होती है।


इसलिए, माता-पिता अपने बच्चों को दो प्रमुख सिद्धान्त सिखा सकते हैं। पहला, जब तक परमेश्वर आपको राज्य से सम्बन्धित कारणों से अविवाहित रहने की इच्छा न दे, तब तक विवाह करने का प्रयास करें। वयस्कों के लिए विवाह सामान्य, बाइबलीय प्रणाली है। किन्तु दूसरा, सावधानी से और बुद्धिमानी से विवाह करने का प्रयास करें। विवाह में मूर्खतापूर्ण रीति से प्रवेश करने की अपेक्षा अविवाहित रहना उत्तम है।

ख्रीष्ट के साथ सम्बन्ध में बढ़ने के लिए विवाह करें।
दूसरा, उन्हें सिखाएँ कि वे ख्रीष्ट के साथ सम्बन्ध में बढ़ने के लिए विवाह करें। परमेश्वर अपनी सान्तानों को निर्देश देता हैे कि केवल सह विश्वासियों से विवाह करें (व्यवस्थाविवरण 7:3; 1 कुरिन्थियों 7:39; 2 कुरिन्थियों 6:14)। यह नियम निर्विवादित है — इस में कोई अपवाद नहीं। एक ख्रीष्टीय के लिए सोच-समझकर और जानबूझकर एक अविश्वासी से विवाह करना पाप है। मेरे लिए, यह सिद्धान्त रोमन कैथोलिकों और उदार (Liberal) प्रोटेस्टेंटों को सम्मिलित करता है, जो सुसमाचार या बाइबल के अधिकार पर स्पष्ट नहीं हैं।


यह सिद्धान्त एक बड़ा प्रश्न उठाता है: “एक विश्वासी क्या है? पूछे जाने पर, बहुत से लोग ख्रीष्टीय होने का दृढ़ कथन करेंगे क्योंकि उन्होंने “यीशु से अपने हृदय में बुलाया,” भले ही वे वर्तमान में आत्मिक बातों में निष्फल हों या रुचि न रखते हों। यह परखने को कठिन बना देता है।


यहाँ पूछने के लिए कुछ उपयोगी प्रश्न हैं दिए गए हैं: क्या आपका भावी जीवनसाथी सुसमाचार को स्पष्ट रीति से व्यक्त कर सकता है? क्या वह इस पर विश्वास करता है, और इसमें आनन्दित होता है? क्या उसका जीवन ख्रीष्ट के आस-पास घूमता है, या क्या यह किसी और वस्तु के आस-पास घूमता है? क्या ख्रीष्ट उसके जीवन के केन्द्र में विराजमान है? क्या इस व्यक्ति से विवाह करना स्पष्ट रूप से मुझे ख्रीष्ट के समीप ले जाएगा या सूक्ष्मता से उससे दूर कर देगा?


ख्रीष्ट के के साथ सम्बन्ध में बढ़ने के लिए विवाह करें। हम चाहते हैं कि हमारे मिलन का प्रभाव, भले पचास वर्ष या पाँच वर्षों के बाद, अधिक विश्वास, अधिक आज्ञाकारिता, अधिक ख्रीष्ट की समानता, अधिक पवित्र आत्मा की आवश्यकता, और अधिक पवित्र आत्मा पर निर्भरता हो। किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह न करें जो वहाँ जाने में आपकी सहायता नहीं करेगा।

एक सम्भावित सबसे अच्छे मित्र से विवाह करें।
तीसरा, एक सुन्दर चेहरे या किसी युवक के भविष्य की सफलता से विवाह न करें। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि ये बातें महत्वहीन हैं, परन्तु उनका महत्व द्वितीय स्तर का है। विवाह का अर्थ है दशकों तक एक साथ होना। किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करना अधिक महत्वपूर्ण है जिसके साथ आप आनन्द लेते हैं और समान रुचियाँ, और इच्छाएँ साझा करते हैं। सुन्दर शरीर शीघ्र ही मुरझा जाएगा। कार्य क्षेत्र की सफलता का कोई अर्थ नहीं होगा यदि पचास वर्ष की आयु में आप ख्रीष्ट के प्रति एक ही समर्पण के आसपास घनिष्ठता साझा नहीं करते हैं।

प्रतिज्ञाओं पर ध्यान दें।
चौथा, अपने बच्चों को, विशेषकर अपनी बेटियों को स्मरण दिलाएँ कि विवाह फूलों, संगीत, विवाह के पोशाक, अतिथियों की सूची और मधुमास (Honeymoon) के विषय में नहीं है। यह प्रतिज्ञाओं के विषय में है। विवाह साक्षियों की उपस्थिति में प्रतिज्ञाओं का बोला जाना है। शेष सब कुछ प्रतिज्ञा के साथ जाती हैं। और सबसे महत्वपूर्ण साक्षी पवित्र, सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान न्यायी है — एक ऐसा न्यायी जो घृणा करता है जब लोग प्रतिज्ञाएँ तोड़ते हैं केवल इसलिए क्योंकि वे बहुत मूल्यवान हो गए हैं।


इससे पहले कि मैं कोई भी विवाह कराता हूँ, मैं दम्पति को इस सत्य का स्मरण दिलाता हूँ। मैं उन्हें उनकी प्रतिज्ञाओं को एक साथ पढ़ने और उसके मूल्य को जानने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ। विवाह ओछेपन का समय नहीं है वरन् भजन संहिता 2:11 के आनन्द के लिए है: “थरथराते हुए मग्न हो।” विवाह परमेश्वर का भय मानने का समय हैं, और जब दम्पति अपनी प्रतिज्ञा करते हैं, तब सादगी की भावना का आभास करने का समय।

पुरानी बातों से सम्बन्ध तोड़ने के लिए तैयार हों।
पाँचवाँ, विवाह की प्रतिज्ञाओं का अर्थ है कि विवाह जीवन भर के लिए है – “जब तक मृत्यु हमें अलग न करे।” जब ख्रीष्टीय विवाह करते हैं, तो वे पुरानी बातों से सम्बन्ध तोड़ते हैं जिससे कि वे पुनः न लौट सकें। क्यों?


ख्रीष्ट का प्रेम वाचा का प्रेम है। उसने प्रतिज्ञा की है कि वह “तुम्हें न कभी छोड़ेगा और न कभी त्यागेगा” (इब्रानियों 13:5)। वह “शपथ खाकर बदलता नहीं, चाहे हानि ही उठानी पड़े” (भजन 15:4)। ख्रीष्टीय अपने बच्चों और संसार के समक्ष परमेश्वर के वाचा के प्रेम को प्रकट करने के लिए विवाह करते हैं।


अतः “हम अब एक-दूसरे से प्रेम नहीं करते,” या “हम अलग हो गए हैं,” या “वह मुझे समझता ही नहीं है” सम्बन्ध से बाहर निकलने के लिए उपयुक्त कारण नहीं हैं। मैं आभारी हूँ कि मेरे माता-पिता और मेरी पत्नी के माता-पिता दोनों ने हमारी युवावस्था में हमें इस बात को समझाया। हमने अपने विवाह को गम्भीरता से लिया।


मैं प्रायः अपने चाचा के विषय में सोचता हूँ जिन्होंने हाई स्कूल की एक सहपाठी से विवाह किया। विवाह के दस वर्ष बाद, उसकी पत्नी के मस्तिष्क में ट्यूमर (brain tumor) हो गया। मुझे एक ही बात स्मरण है कि वह पहियेदार कुर्सी (Wheelchair) पर होती थी, निरन्तर उसके लार टपका करती थी, और वह अपने पति से बात-चीत करने में असमर्थ थी। मेरे पिता मुझे स्मरण दिलाते थे कि उनके भाई ने “बीमारी और स्वास्थ्य में, अच्छे समय और बुरे समय में, जब तक मृत्यु हमें अलग न कर दे” उसके प्रति विश्वासयोग्य् रहने की शपथ खाई थी। मेरे चाचा ने उस प्रतिज्ञा को विश्वासयोग्यता से निभाया। मेरे विवाह के दिन, मुझे पता था कि इस बात की कोई निश्चयता नहीं है कि मेरे साथ ऐसा नहीं होगा।

“हमारे बच्चों के यीशु का अनुसरण करने के निर्णय के अलावा, सबसे महत्वपूर्ण निर्णय जो वे करेंगे यह है कि किससे विवाह करना है।”

किसी को परिवर्तित करने के लिए उससे विवाह न करें।
छठा, मेरी पत्नी के पिता ने उसे इस उत्कृष्ट सम्मत्ति के साथ बढ़ाया: किसी को परिवर्तित करने के लिए उससे विवाह मत करो। उदाहरण के लिए, “वह स्वच्छता का ध्यान नहीं रखता है, परन्तु मैं जानती हूँ कि वह परिवर्तित होगा।” “वह अत्यधिक बोलती है, किन्तु मुझे पता है कि वह परिवर्तित होगी।” “वह अपना जीवन केवल बाहर के कार्य करने के लिए समर्पित करना चाहती है, और बच्चों को नहीं चाहती है, परन्तु मैं जानता हूँ कि मैं उसका विचार परिवर्तित कर सकता हूँ।” “वह मुझे ध्यान नहीं देता है, किन्तु मुझे पता है कि वह कुछ वर्षों साथ रहने के बाद परिवर्तित हो जाएगा।”


परिवर्तित करने के उद्देश्य से विवाह करने में क्या त्रुटि है? क्योंकि इस बात की बहुत कम सम्भावना है कि वे परिवर्तित होंगे, और यदि वे नहीं परिवर्तित होंगे, तो भी आप जीवन भर के लिए विवाहित हैं। इसके स्थान पर, अपने भावी जीवनसाथी की निर्बलताओं और असफलताओं की पूरी जानकारी के साथ विवाह करें, किन्तु इस दृढ़ संकल्प के साथ कि आप उनसे प्रेम करेंगे और उन्हें क्षमा करेंगे, भले ही वह कभी न परिवर्तित हों। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो उस व्यक्ति से विवाह न करें।

अपेक्षा करें कि आप पवित्र किए जाएँगे।
अन्तिम, अपने बच्चों को नियमित रूप से स्मरण दिलाएँ कि विवाह, प्रेम से कहीं अधिक बढ़कर है। यह पवित्रीकरण के विषय में है। मेरा अनुमान है कि, विवाह के बाद से, मेरी पवित्रीकरण का लगभग अस्सी प्रतिशत मेरी पत्नी के साथ मेरे सम्बन्धों के माध्यम से आया है। लेखक गैरी थॉमस की बात का उपयोग करने के लिए, परमेश्वर को हमारे केवल सांसारिक खुशी की तुलना में हमारी पवित्रता में अधिक रुचि है, और वह हमारे विवाह का उपयोग हमें उस (आनन्दित) पवित्रता के लिए उत्तेजित करने के लिए करेगा।


दो जन जो यह कहते हैं “मैं करता/ करती हूँ” सदैव पापी होते हैं, और इसका अर्थ है अनिवार्य संघर्ष। दुख और पीड़ायुक्त वृद्धि के काल होंगे। दूसरे पापी की सेवा करना सीखना आपके स्वयं के दोषों और पापों पर प्रकाश डालेगा। हमने जिन संघर्षों का अनुभव किया है, उसके लिए मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूंँ।

हमारे बच्चों की पृथ्वी की यात्रा
जीवनसाथी का चयन करना आपके बच्चों के जीवन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है। इसके परिणाम दशकों तक चलते जाएँगे। इसलिए, बुद्धिमान माता-पिता नियमित रूप से अपने बच्चों से इस विषय पर बात करते हैं कि जीवनसाथी कैसे चुनें। वे समझते हैं कि यह महत्वपूर्ण निर्णय उनके बच्चों की पृथ्वी की यात्रा को बना या बिगाड़ सकता है, और वे इसे उस गम्भीरता से लेते हैं जो इसके लिए उपयुक्त है।


अन्त में, उन्हें विवाह के विषय में सिखाने के लिए कौन अधिक योग्य है? आपने कम से कम एक दशक तक विवाहित जीवन जीआ होगा। अपने अनुभव से उनका पाल-पोषण करें।

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विलियम फ़ार्ले
विलियम फ़ार्ले

विलियम फ़ार्ले एक सेवानिवृत्त पासबान और कलीसिया रोपण करते हैं। वह और उनकी पत्नी जूडी के पाँच बच्चे और बाईस पोते-पोतियां हैं। वे स्पोकेन, वाशिंगटन में रहते हैं। वह गॉस्पेल-पावर्ड पेरेंटिंग सहित सात पुस्तकों के लेखक हैं। आप उनके और अधिक लेखन को उनकी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं।

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