यीशु राजा ने पवित्रशास्त्र की समस्त बातों को पूर्ण किया है।

यीशु ख्रीष्ट की छठवीं वाणी एक विजयी राजा के शब्द है जिसने युद्ध जीत लिया हो। यह एक बड़ी खरीददारी के समान है जिसमें सम्पूर्ण धनराशि चुका दी जाती है। कहने का अर्थ है कि यीशु ख्रीष्ट ने वह कार्य पूरा कर दिया है जिसे वह करने के लिए संसार में आया था। आइये हम इस वाणी पर ध्यान देते हैं। यह छठवीं वाणी यूहन्ना 19:29, 30 में पायी जाती है।

29 वहाँ सिरके से भरा एक बर्तन रखा था, अतः उन्होंने सिरके में भिगोए हुए स्पंज को जूफे की टहनी पर रखा और उसके मुँह से लगाया। 30 जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा, “पूरा हुआ,” और उसने सिर झुका कर प्राण त्याग दिया।

इस समय यीशु ख्रीष्ट क्रूस पर हैं और वे अत्याधिक शारीरिक पीड़ा से होकर गुज़र रहे हैं उनका शरीर लहूलुहान है। कोड़ों की मार से उसकी देह छलनी हो गई है। वह कष्ट से कराह रहे हैं और इसलिए यहाँ तक की प्यास से तड़प रहे हैं। 

परन्तु ये सब यीशु ख्रीष्ट के साथ क्यों हो रहा है? मानवीय दृष्टि से सोचते हैं तो लगता है कि क्या यीशु ख्रीष्ट गलत जगह, गलत लोगों के मध्य में फँस गए थे? क्या बात यीशु ख्रीष्ट के हाथ से निकल गयी थी। क्या ऐसा हुआ था, कि यीशु ख्रीष्ट ने सोचा कुछ और था और हो कुछ और रहा है? नहीं…!! 

क्रूस पर यीशु ख्रीष्ट की छठवीं वाणी हमें बताती है कि ये सब क्यों हो रहा है? और यही इस वाणी की मुख्य बात है। जो एक मुख्य बात हम सीख सकते हैं वह यह है –

यीशु राजा ने पवित्रशास्त्र की समस्त बातों को पूर्ण किया है।

लेकिन इसका क्या अर्थ हुआ कि यीशु मसीह पवित्रशास्त्र की समस्त बातों को पूर्ण किया है।

यह वाक्याँश-  पूरा हुआ। यह एक हीरे के समान है इसका प्रत्येक आयाम अति सुन्दर है और हम इसके दो आयामों पर हम ध्यान देंगे!! 

  1. यीशु राजा पवित्रशास्त्र की भविष्यवाणियों एवं पूर्व संकेतों (forshadow) को पूरा कर रहे हैं। 
  • प्रतिज्ञात मसीहाई राजा का पूर्व संकेत यीशु ख्रीष्ट में पूर्ण होता है। 

28 पद में यीशु ख्रीष्ट कहते हैं कि मैं प्यासा हूँ। और यह भजन 69:21 का उद्धरण है। जहाँ भजन में एक दुख उठाने वाले राजा के विषय में बात हो रही है। यह भजन हमें एक पूर्व संकेत देता है कि परमेश्वर की ओर से इस्राएल में कोई राजा होगा जो अपने लोगों के लिए दुख उठाएगा। और जब यीशु ख्रीष्ट उस भजन से उद्धरण करते हैं तो यीशु ख्रीष्ट दिखा रहे हैं कि वह स्वयं दुख उठाने वाले राजा हैं जो अपने लोगों के लिए दुख उठाता है। 

  • यही बात पद यहून्ना 19:24… में भी यीशु ख्रीष्ट दिखाते हैं। यीशु राजा के ऊपरी वस्त्रों को बाँट लिया गया है और उसके कपड़ों पर चिट्ठी डाली गयी है।  यह दाऊद के भजन 22 उसके 18 पद का उद्धरण है जिसमें यीशु ख्रीष्ट दिखाते हैं कि वह प्रतिज्ञात मसीहाई राजा है। और यहाँ पर जो घटना चल रही है वह एक शर्मसार करने वाली बात है। राजा के कपड़े बाँटना, यह बड़े ही शर्म की बात है। यह दिखाता है कि इस राजा के तन पर कोई कपड़ा नहीं है…. यह निर्वस्त्र क्रूस पर लटका हुआ है… क्यों???  मेरे और आपके पापों के लिए…। इन सब बातों में भी यीशु ख्रीष्ट स्वयं को दाऊद के साथ जोड़ रहे हैं और दिखा रहे हैं कि वह प्रतिज्ञात राजा है।

इसके साथ ही यीशु ख्रीष्ट दुख उठाने वाले दास की भविष्यवाणी को पूर्ण करते हैं।

  • दुख उठाने वाले दास का पूर्वसंकेत को पूर्ण किया। यदि हम यशायाह 53 अध्याय को पढ़ें और यीशु ख्रीष्ट के जीवन के उनके पकड़वाए जाने से लेकर उनके क्रब में रखे तथा जी उठने की समय काल को देखें तो हम पायेंगे कि यीशु ख्रीष्ट सब कुछ को पूरा किया है। यशायाह बताता है कि हमारे अधर्म उसके ऊपर डाले गए.. हमारे लिए उस पर ताड़ना पड़ी… हमारे लिए वह बेधा गया… अपराधियों के साथ गिना गया। हमारे लिए वह जीव लोक से काट डाला गया अर्थात् मर गया।  मृत्यु के समय में धनी का संगी हुआ। उसने अपना वंश देखा… जी उठने के द्वारा उसने लोगों को बचाया। 

यीशु ख्रीष्ट ने न केवल  भविष्यद्वाणियों को पूरा किया परन्तु उससे बढ़कर उसने उद्धार के कार्य को पूरा किया।

  1. यीशु ख्रीष्ट ने परमेश्वर के द्वारा नियोजित उद्धार के कार्य को पूर्ण किया। 

जब हम सम्पूर्ण बाइबल में बड़े चित्र को देखने का प्रयास करते हैं तो हम पाते हैं कि यीशु ख्रीष्ट का उद्देश्य भविष्यद्वाणियों तथा पूर्वसंकेतों को पूरा करने से कहीं बड़ा था। 

वह अपने लोगों का उद्धार करने के लिए आया था। दो कार्य किए उसने दो कार्य किए। पापों का प्रायश्चित, परमेश्वर पिता से मेलमिलाप।

यूहन्ना हमें बताता है कि हम मनुष्य दुष्ट हैं, हम और आप, पापी हैं… हम स्वभाव से परमेश्वर के विद्रोही हैं। यूहन्ना 1:9-11 पद में बताता है कि हम ज्योति को अर्थात् सनातन के वचन को, परमेश्वर को ग्रहण नहीं करना चाहते हैं। हम परमेश्वर से घृणता करते हैं। हम ज्योति में नहीं आना चाहते हैं। क्योंकि हमारे कार्य बुरे हैं। हम झूठ में, छल में, वासना, कामुकता में जीवन व्यतीत कर रहे थे। हम संसार शरीर के अनुसार जीवन व्यतीत कर रहे थे। ऊपर से दिखने में अच्छे, नेक, सुन्दर थे, एक दम चूना पुति हुई कब्र के समान… दिखने में साफ परन्तु भीतर सड़ाहट।

परन्तु इन सब के कारण परमेश्ववर का प्रकोप हमारे ऊपर था।  वास्तव में तो हमें लज्जित होना चाहिए था, हम पर कोड़े पड़ने चाहिए थे.. हम पर थूका जाना चाहिए था हमें क्रूस पर मरना चाहिए था… हमें उस भयंकर… दर्दनाक… लज्जाजनक मृत्यु को सहना चाहिए था हम परमेश्वर के अनन्त क्रोध के लायक थे हमें नरक में डाला जाना चाहिए था हमें क्रूस से भी भयंकर दण्ड मिलना चाहिए था हमें अनन्तकाल तक परमेश्वर से अलग हो जाना चाहिए था। परन्तु परमेश्वर ने अपनी अपार दया के कारण हम पर दया की। उसने अपने पुत्र को हमारे लिए मरने के लिए भेज दिया। और वह हमारी जगह मर गया। 

यदि वह केवल मनुष्य था तो कैसे वह परमेश्वर के सम्पूर्ण क्रोध को सह सकता है। क्योंकि वह अनन्तकाल से परमेश्वर है… जिसके बारे में यूहन्ना कहता है आदि में वचन था… जिसने सृष्टि की.. और वही वचन देहधारी होकर आ गया… वह मनुष्य बन गया परन्तु उसने अपने ईश्वरत्व को नहीं त्यागा। वह परमेश्वर-मनुष्य था। अपने मनुष्यत्व में पूर्णता मनुष्य और अपने परमेश्वरत्व में पूर्णता परमेश्वर। और उसने एक सिद्ध जीवन जिया। 

परमेश्वर की व्यवस्था का सिद्धता से पालन किया और हमारे बदल में क्रूस पर बलिदान हो गया। उसने परमेश्वर पिता के प्रकोप को शान्त कर दिया… उसने फिरौती का दाम चुका दिया… जो हम और आप नहीं चुका सकते थे। ये है हमारा यीशु ख्रीष्ट! ये है हमारा उद्धारकर्ता! इसकी हम आराधना करते हैं। 

क्योंकि यीशु ख्रीष्ट कहते हैं “पूरा हुआ”।… इसलिए अब हमें अपने उद्धार को कमाने की आवश्यकता नहीं है… उसने पूरा कर दिया है… उसने स्वयं को बलिदान करके चढ़ा दिया है। एक बार सदा के लिए बदलिदान कर दिया। उद्धार का कार्य पूर्ण हो गया। 

भूतकाल, वर्तमान काल, भविष्यकाल के सारे पापों के लिए यीशु ख्रीष्ट ने मूल्य चुका दिया है। यह मानो ऐसे जैसे आप किसी घर को खरीदने जाते हैं तो आप कीमत चुका देते हैं। आपको उसकी रसीद मिल जाती है। और वह घर आपका हो गया है। अब आप और धन नहीं देते हैं। यीशु ख्रीष्ट ने आपके सारे पापों की कीमत चुका दी है। अब हम और आप उसके कार्य में कुछ भी नहीं जोड़ सकते हैं। 

अब हमें किसी तीर्थस्थल जाने की आवश्यकता नहीं है। उद्धार कमाने के लिए किसी धार्मिक स्थल पर जाने की आवश्यकता नहीं है। हम यीशु ख्रीष्ट के सम्पन्न कार्य में कुछ भी जोड़ नहीं सकते हैं। हमें केवल अपने पापों से पश्चाताप करना है और उसके सम्पन्न कार्य पर भरोसा करना है।

उसने न केवल हमारे पापों की कीमत चुका दी है परन्तु  उसने पिता से मेल मिलाप कर दिया है। पहले हम परमेश्वर के शत्रु थे परन्तु यीशु ख्रीष्ट ने हमारे पापों के दण्ड को अपने ऊपर ले लिया और ख्रीष्ट हमारे लिए मरा कि हमारा परमेश्वर से मेलमिलाप हो सके। इसलिए यीशु ख्रीष्ट के सम्पन्न कार्य में सान्त्वना पाइये।

उसकी आराधना कीजिए। उसके प्रति कृतज्ञ होईये।  

यीशु के द्वारा पूरे किए गए कार्य में सान्त्वना पाइए। 

  • जब आप पाप से सन्घर्ष करते हैं और उसे छोड़ना चाहते हैं और फिर भी उसी पाप में गिर पड़ते हैं तो परमेश्वर से क्षमा माँगिए और क्रूस की ओर देखिए… यीशु के इन शब्द को स्मरण रखिए “पूरा हुआ” …. आप इस गीत के शब्दों को स्मरण कर सकते हैं…..
    • मेरे पाप जो असंख्य और घिनौने भी हैं.. वे पाप सब क्षमा हो गए…. 
    • ठोंका क्रूस पर उन्हें ख्रीष्ट ने मेरे लिए भला है भला है तू प्रभु….  

यीशु ख्रीष्ट ने परमेश्वर की व्यवस्था को पूरा कर दिया है और उसने उस योजना को पूरा कर दिया है जिसे पिता ने बनाया था। इसलिए उसकी आरधना कीजिए, उसके लिए जीवन व्यतीत खर्च कीजिए और उसमें आश्वासन पाईये।

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विवेक जॉन
विवेक जॉन

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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