सन्त लोग अन्त तक विश्वास में बने रहेंगे।

ख्रीष्टीय जीवन की अद्भुत बात यह है कि हम इसको अपनी सामर्थ्य के अनुसार नहीं जीते हैं। परमेश्वर का अनुग्रह हमारी सहायता करता है कि हम संसार, शरीर और शैतान से बचे रहें। इसलिए पौलुस फिलिप्पियों 1:6 में कहता है कि, “जिसने तुम में भला कार्य आरम्भ किया है, वही उसे ख्रीष्ट के दिन तक पूर्ण भी करेगा।”  सन्तों का अन्त तक बने रहने में परमेश्वर सहायता करेगा और जिस काम को उसने आरम्भ किया वही उसे पूरा भी करेगा। इसी बात को हम इस लेख में देखेंगे। 

परमेश्वर का वचन हमें स्पष्ट रीति से बताता है कि हम एक ही बार सदा के लिए बचा लिए गए हैं।

यह परमेश्वर का कार्य है।
सन्तों को अन्त तक बनाए रखना परमेश्वर के स्वयं का कार्य है। परमेश्वर ने विश्वासियों को पहले से ठहराया है, जिन्हें ठहराया है उन्हें बुलाया भी है, जिन्हें बुलाया उन्हें धर्मी ठहराया, और जिन्हें धर्मी ठहराया उन्हें महिमा भी दिया है (रोमियों 8:30)। परमेश्वर ने चुना ही इसलिए है कि वह विश्वासियों को अन्त तक पहुँचाए। परमेश्वर ने विश्वासियों पर पवित्र आत्मा की छाप लगाई है जो हमारे उत्तराधिकार की निश्चयता को दृढ़ करता है (इफिसियों 1:13)। क्योंकि परमेश्वर लोगों को चुनता है, इसलिए ऐसा कभी भी नहीं होगा कि लोग उससे विमुख हो जाए। 2 तीमुथियुस 2:13 में लिखा है कि, “यदि हम विश्वासघाती हों, फिर भी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह स्वयं अपना इनकार नहीं कर सकता।” परमेश्वर एक बार चुनने के बाद बदल नहीं जाता है। परमेश्वर की सामर्थ्य और अनुग्रह उन्हें बने रहने में सहायता करता है।   

एक बार सदा के लिए बचाए गए हैं।
परमेश्वर का वचन हमें स्पष्ट रीति से बताता है कि हम एक ही बार सदा के लिए बचा लिए गए हैं। इसलिए हम बने रहेंगे। अवश्य ही, क्योंकि हम शरीर में हैं हम पाप करेंगे। हम पाप की सामर्थ्य से छूटते जा रहे हैं, परन्तु पाप के प्रभाव में हैं। कई बार हम गम्भीर पाप भी करेंगे, परन्तु हम अपने विश्वास से पीछे नहीं हटेंगे। दाऊद भी जो परमेश्वर के हृदय के अनुसार था गम्भीर पाप में गिरा, परन्तु उसने पश्चाताप किया और प्रभु के पास लौटा। एक सच्चा विश्वासी परमेश्वर का इनकार नहीं करेगा, परन्तु प्रभु के पास वापस आएगा। विश्वासी पाप में गिरेंगे परन्तु वह सदा के लिए परमेश्वर के अनुग्रह से दूर नहीं होंगे। एक बार परमेश्वर पवित्र आत्मा के द्वारा नया जन्म पाए हुआ जन पुनः अजन्मा कैसे हो सकता है। कुलुस्सियों 1:22 में ख्रीष्ट ने अपनी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा हम से मेल कर लिया कि हमें अपने समक्ष पवित्र, निष्कलंक और निर्दोष बना कर उपस्थिति करे। यहाँ पर यीशु कार्य कर रहें हैं कि हम एक ही बार सदा के लिए बच जाएं।  

एक सच्चा विश्वासी परमेश्वर का इनकार नहीं करेगा, परन्तु प्रभु के पास वापस आएगा।

सन्तों का बने रहने के विषय में त्रुटिपूर्ण धारणा:
क्योंकि ख्रीष्ट में हम सुरक्षित हैं और परमेश्वर हमें अन्त तक बनाए रखेगा। इसलिए हम सम्भवतः सन्तों का बने रहने को गम्भीरता पूर्वक नहीं लेते हैं और एक नाम मात्र  ख्रीष्टीय जीवन जीने लगते हैं। परमेश्वर का अनुग्रह की वह हमें अनन्त तक बनाए रखेगा हमें अपने ख्रीष्टीय जीवन को हल्के में लेने की अनुमति नहीं देता है। दुख की बात यह है कि हम में से बहुत से जो अपने आपको विश्वासी कहते हैं अपने जीवन को अपने अनुसार जीने लगते हैं। परमेश्वर का वचन 1 यूहन्ना 2:4 में कहता है कि यदि तुम कहते हो कि तुम उसे जान गए हो परन्तु उसकी आज्ञाओं का पालन नहीं करते हो, तो तुम झूठे हो और तुम में सत्य नहीं है। हम जो बचाए गए हैं परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा पवित्रीकरण में बढ़ते जाएंगे और एक दिन महिमा में प्रवेश करेंगे। इसलिए सन्तों का बने रहने के सन्दर्भ में इस त्रुटिपूर्ण विचारधारा से बचें और सावधान रहें।

अन्त में, सन्तों का बने रहना में हमारा कुछ भी योगदान नहीं है। परमेश्वर ने हमें विशेष बुलाहट के द्वारा बुलाया है, हमने नया जन्म पाया है और वह हमें अन्त तक बनाए रखेगा। हम अपने परिश्रम के द्वारा बचाए नहीं जाते हैं। हम केवल इसलिए अभी तक बने हुए हैं या अन्त तक बने रहेंगे क्योंकि परमेश्वर हमें अटल बनाए रखेगा। इब्रानियों 7:25 में लिखा है कि, “अतः जो उसके द्वारा परमेश्वर के समीप आते हैं, वह उनका पूरा-पूरा उद्धार करने में समर्थ है, क्योंकि वह उनके लिए निवेदन करने को सर्वदा जीवित है।” परमेश्वर हमारी सहायता करे कि हम परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए अन्त की ओर देखें।   

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आइज़क सौरभ सिंह
आइज़क सौरभ सिंह

सत्य वचन कलीसिया में वचन की शिक्षा देने और प्रचार करने की सेवा में सम्मिलित हैं।

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