“तू उन से भयभीत न हो, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिए मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।” (यिर्मयाह 1:8)
प्रभु की सेवा करने में एक बड़ी बाधा, विशेष रूप से युवाओं में, अस्वीकृति और विरोध का भय है।
नाना प्रकार के विचार मन में आते हैं कि कैसे कुछ लोग हमारे कार्य करने या बात करने के ढंग को सम्भवतः पसन्द नहीं करेंगे। लोग असहमत हो सकते हैं या बुरा मान सकते हैं। मुझसे त्रुटि हो सकती है और लोग मेरी आलोचना कर सकते हैं।
मनुष्य का भय सेवकाई के लिए एक बड़ी बाधा है।
इसलिए परमेश्वर कहता है, भयभीत न हो, क्योंकि मैं तेरे साथ रहूँगा और तुझे छुड़ाऊँगा। परमेश्वर की उपस्थिति और स्वीकृति मनुष्यों की सभी सराहनाओं की तुलना में अधिक बहुमूल्य है। और परमेश्वर कहता है कि, तुम्हारे सभी संकटों से, मैं तुम्हें छुड़ाऊँगा। अन्त में तुम विजयी होगे। तुम जयवन्त से भी बढ़कर होगे।
और आज इसी बात की प्रतिज्ञा हम सभी से यीशु ख्रीष्ट (मसीह) में की गई है:
- “[परमेश्वर] ने कहा है, ‘मैं तुझे कभी न छोडूँगा और न ही कभी त्यागूँगा।’ तो हम साहसपूर्वक कह सकते हैं, ‘प्रभु मेरा सहायक है; मैं नहीं डरूँगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?’” (इब्रानियों 13:5-6)
- “यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है, तो कौन हमारे विरुद्ध है?” (रोमियों 8:31)
इसलिए परमेश्वर ने जवान यिर्मयाह से कहा, और परमेश्वर आज उन युवा लोगों से कहता है जिन्हें वह अपनी सेवा करने के लिए बुला रहा है — और हम सभी से भी — “मत कह, कि ‘मैं बालक हूँ’” — या मैं बहुत बूढ़ा हूँ, या मैं कुछ भी नहीं हूँ (यिर्मयाह 1:7)। क्यों?
- क्योंकि आपका जीवन परमेश्वर के अडिग, सम्प्रभु उद्देश्यों में जड़ पकड़े हुए है। आपको एक महान उद्देश्य के लिए चुना गया और पवित्र किया गया और रचा गया तथा नियुक्त किया गया है।
- क्योंकि आपकी सेवा और आपके बोलने के पीछे, आपका नहीं परन्तु परमेश्वर का अधिकार है।
- और क्योंकि परमेश्वर स्वयं आपको सभी परीक्षाओं से छुड़ाने के लिए आपके साथ रहेगा।