नया नियम विश्वास और अनुग्रह के मध्य परस्पर सम्बन्ध स्थापित करता है यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम उस बात पर घमण्ड न करें जिसे केवल अनुग्रह अर्जित करता है।
इसका एक चिर-परिचित उदाहरण इफिसियों 2:8 है। अनुग्रह से, विश्वास के द्वारा। यह वह परस्पर सम्बन्ध है जो अनुग्रह की स्वतन्त्रता की रक्षा करता है। अनुग्रह से, विश्वास के द्वारा।
विश्वास हमारे प्राण का वह कार्य है जो हमारी स्वयं की अपर्याप्तता से, परमेश्वर के निःशुल्क और सर्व-पर्याप्त संसाधनों की ओर फिरता है। विश्वास अयोग्य लोगों को अनुग्रह प्रदान करने के लिए परमेश्वर की स्वतन्त्रता पर ध्यान केन्द्रित करता है। यह परमेश्वर की उदारता पर आश्रित है।
इसलिए विश्वास अपने स्वभाव ही से घमण्ड करने को अमान्य ठहराता है और अनुग्रह से मेल खाता है। विश्वास जहाँ भी देखता है वह प्रत्येक प्रशंसा के योग्य कार्य के पीछे अनुग्रह को देखता है। इसलिए यह प्रभु को छोड़कर किसी और पर घमण्ड नहीं कर सकता है। क्योंकि प्रभु अनुग्रह का स्रोत है।
इसलिए पौलुस यह कहने के पश्चात कि उद्धार अनुग्रह से विश्वास के द्वारा है, यह कहता है, “और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन् परमेश्वर का दान है, यह कार्यों के कारण नहीं जिससे कि कोई घमण्ड करे ” (इफिसियों 2:8-9)। विश्वास मानवीय भलाई पर या योग्यता पर या बुद्धि पर घमण्ड नहीं कर सकता है, क्योंकि विश्वास परमेश्वर के निःशुल्क, सब कुछ प्रदान करने वाले अनुग्रह पर ध्यान केन्द्रित करता है। विश्वास जिस भी भलाई को देखता है वह उसे अनुग्रह के फल के रूप में देखता है।
जब विश्वास हमारे “परमेश्वर की ओर से ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और छुटकारे” को देखता है, तो वह कहता है, “यदि कोई गर्व करे तो वह प्रभु में करे” (1 कुरिन्थियों 1:30-31)।