ऐसा क्लेश जो विश्वास को कुचल देता है
“वे अपने आप में गहरी जड़ नहीं रखते और थोड़े ही समय के लिए रहते हैं, परन्तु जब वचन के कारण उन पर कष्ट या सताव आता है तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं।” (मरकुस 4:17)
कुछ लोगों का विश्वास क्लेश द्वारा निर्मित होने के स्थान पर टूट जाता है। यीशु को यह ज्ञात था और उसने इसे यहाँ चार भूमियों के दृष्टान्त में वर्णित किया। कुछ लोग जो वचन को सुनते हैं पहले तो उसे हर्ष से ग्रहण करते हैं, परन्तु तब क्लेश उनको ठोकर खिलाता है।
इसलिए, क्लेश सर्वदा विश्वास को दृढ़ नहीं करता है। कभी-कभी वह विश्वास को कुचल भी देता है। और तब यीशु की असंगत प्रतीत होने वाली बातें सच हो जाती हैं, “जिसके पास नहीं है, उस से जो कुछ उसके पास है वह भी ले लिया जाएगा” (मरकुस 4:25)।
यह हमारे लिए एक बुलाहट है कि हम भविष्य-के-अनुग्रह पर दृढ़ विश्वास के साथ क्लेश को सहें, जिससे कि हमारा विश्वास दृढ़ किया जाए और व्यर्थ प्रमाणित न हो (1 कुरिन्थियों 15:2)। “जिसके पास है उसे और दिया जाएगा” (मरकुस 4:25)। क्लेश के माध्यम से बढ़ने के लिए क्लेश में परमेश्वर के उद्देश्य को जानना एक मुख्य साधन है।
यदि आप सोचते हैं कि आपका दुःख उठाना निरर्थक है, या फिर यह कि परमेश्वर नियन्त्रण में नहीं है, अथवा वह अस्थिर या क्रूर है, तो आपका दुःख उठाना आपको परमेश्वर से दूर करेगा, इसके विपरीत कि परमेश्वर को छोड़कर आप सब कुछ से दूर हो जाएँ — जैसा कि होना भी चाहिए। इसलिए, परमेश्वर के अनुग्रह पर विश्वास करने में यह विश्वास होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि वह क्लेशों के मध्य अनुग्रह देता है।







