तुम्हारे थोड़ी देर यातना सहने के पश्चात् सारे अनुग्रह का परमेश्वर जिसने तुम्हें ख्रीष्ट में अपनी अनन्त महिमा के लिए बुलाया — वह स्वयं ही तुम्हें सिद्ध, दृढ़, बलवन्त और स्थिर करेगा। (1पतरस 5:10)
कभी-कभी दैनिक जीवन के कष्टों और साधारण तनावों के मध्य में हम उसे पुकार कर कहते हैं, “हे प्रभु, कब तक? मैं आज की पीड़ा से अधिक नहीं सह सकता। कल क्या होगा? क्या आप उस दु:ख में भी कल मेरे साथ होंगे?”
यह प्रश्न अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि यीशु ने कहा, “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा” (मरकुस 13:13)। हम ऐसे लोगों के मध्य में होने के विचार से भी काँपते हैं “जो नाश होने के लिए पीछे हटते हैं” (इब्रानियों 10:39)। हम खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं। परमेश्वर द्वारा प्रदत्त भविष्य में होने वाले अनुग्रह पर हमारे विश्वास पर दुख एक भयानक संकट है।
इसलिए, पीड़ित और थके हुए ख्रीष्टियों को पतरस द्वारा प्रतिज्ञा करते हुए सुनना एक अद्भुत बात है, “तुम्हारे थोड़ी देर यातना सहने के पश्चात् सारे अनुग्रह का परमेश्वर जिसने तुम्हें ख्रीष्ट में अपनी अनन्त महिमा के लिए बुलाया — वह स्वयं ही तुम्हें सिद्ध, दृढ़, बलवन्त और स्थिर करेगा” (1पतरस 5:10)।
यह आश्वासन कि वह हमारी सहनशक्ति से अधिक विलम्ब नहीं करेगा, और यह कि वह उन दोषों को दूर करेगा जिन पर हम विलाप करते हैं, और वह जो दीर्घ काल से अस्थिर है उसको सदैव के लिए स्थापित करेगा — यह आश्वासन “सभी अनुग्रह” के परमेश्वर की ओर से आता है।
परमेश्वर थोड़े से ही अनुग्रह का परमेश्वर नहीं है — उदाहरण के लिए, अतीत में प्राप्त अनुग्रह। वह “सभी अनुग्रह का परमेश्वर” है — जिसमें भविष्य के अनुग्रह के अनन्त, न समाप्त होने वाले भण्डार सम्मलित हैं क्योंकि हमें अन्त तक बने रहने की आवश्यकता है।
अतीत के अनुग्रह की स्मृति से दृढ़ होकर, भविष्य में होने वाले उस अनुग्रह पर विश्वास ही जीवन की ओर ले जाने वाले सकरे और कठिन मार्ग पर स्थिर रहने की कुँजी है।