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कष्ट सहने के लिए पाँच उद्देश्य

जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं उनके लिए वह सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है, अर्थात उन्हीं के लिए जो उसके अभिप्राय के अनुसार बुलाए गए हैं। (रोमियों 8:28)

हम कदाचित ही अपने कष्टों के अति छोटे कारणों को जानते हैं, परन्तु बाइबल हमें विश्वास को बनाए रखने वाले बड़े  कारण अवश्य देती है। 

भला यह होगा कि इनमें से कुछ को स्मरण रखने का कोई उपाय हो, जिससे कि जब हम एकाएक पीड़ित हों, या दूसरों के दुख में उनकी सहायता करने का अवसर हो, तो हम परमेश्वर के कुछ ऐसे सत्यों को स्मरण कर सकें जिन्हें परमेश्वर ने हमें आशा न खोने के लिए हमारी सहायता हेतु प्रदान किया है।  

इस बात को स्मरण रखने का एक उपाय यह है: इन 5 बातों को स्मरण रखना (यदि यह लाभदायक है, तो केवल तीन बातों को ही चुनें और उन्हें स्मरण रखने का प्रयास करें)।

हमारे कष्टों के मध्य परमेश्वर के बड़े उद्देश्यों में निम्न बातें सम्मिलित हैं:

पश्चाताप: कष्ट सहना हमारे और दूसरों के लिए एक बुलाहट है कि हम पृथ्वी पर परमेश्वर से अधिक किसी भी वस्तु को बहुमूल्य जानने से विमुख हो जाएँ। लूका 13:4-5:

“या, तुम समझते हो कि वे अठारह व्यक्ति जिन पर शिलोह का गुम्मट गिरा और दबकर मर गए, यरूशलेम में रहने वालों से अधिक अपराधी थे? मैं कहता हूँ, नहीं, परन्तु जब तक तुम मन न फिराओ तुम सब भी इसी प्रकार नाश हो जाओगे।”

निर्भरता: कष्ट सहना इस संसार के जीवन-यापन करने वाले साधनों पर नहीं परन्तु परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए एक बुलाहट है। 2 कुरिन्थियों 1:8–9:

हम ऐसे भारी बोझ से दब गए थे जो हमारे सामर्थ्य से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन की आशा भी छोड़ बैठे थे। वास्तव में, हमें ऐसा लगा जैसे कि हम पर मृत्यु-दण्ड की आज्ञा हो चुकी हो, जिससे कि हम अपने आप पर नहीं वरन् परमेश्वर पर भरोसा रखें जो मृतकों को जिला उठाता है।

धार्मिकता: कष्ट हमारे प्रेमी स्वर्गीय पिता की ओर से अनुशासन है जिससे कि हम उसकी धार्मिकता और पवित्रता में सहभागी हो जाएँ। इब्रानियों 12:6,10–11:

“प्रभु जिस से प्रेम करता है उसकी ताड़ना भी करता है, और जिसे पुत्र बना लेता है, उसे कोड़े भी लगाता है।” … वह हमारे भले के लिए ताड़ना करता है, कि हम उसकी पवित्रता  में सहभागी हो जाएँ। सब प्रकार की ताड़ना कुछ समय के लिए सुखदायी नहीं, परन्तु दुखदायी प्रतीत होती है, फिर भी जो उसके द्वारा प्रशिक्षित हो चुके हैं, उन्हें बाद में धार्मिकता  का शान्तिदायक फल प्राप्त होता है।

प्रतिफल: कष्ट सहना हमारे लिए स्वर्ग में एक महान प्रतिफल तैयार कर रहा है जो यहाँ की प्रत्येक क्षति का हज़ार गुना भरपाई कर देगा। 2 कुरिन्थियों 4:17:

पल-भर का यह हल्का-सा क्लेश एक ऐसी चिरस्थाई महिमा उत्पन्न कर रहा है जो अतुल्य है।

अन्ततः, स्मरण हेतु: कष्ट सहना हमें स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर ने अपने पुत्र को संसार में कष्ट सहने के लिए भेज दिया जिससे कि हमारे कष्ट परमेश्वर की ओर से दण्ड नहीं परन्तु शुद्धिकरण का कारण हों। फिलिप्पियों 3:10:

. . . कि मैं उसको और उसके जी उठने की सामर्थ्य को जानूँ तथा उसके साथ दुखों में सहभागी होने के मर्म को जानूँ। 
अतः, यह स्पष्ट है कि मसीही हृदय कष्ट में दुहाई देगा, “क्यों?” यद्यपि हम अपने कष्ट सहने के अधिकाँश छोटे कारणों को नहीं जानते हैं—अभी क्यों, इस प्रकार क्यों, इतने लम्बे समय तक क्यों? परन्तु उन छोटे कारणों की अज्ञानता के कारण आप उस विशाल सहायता को अनदेखा न करें जिसे परमेश्वर अपने वचन में हमें अपने बड़े उद्देश्यों को बताने के द्वारा देता है।

“तुमने अय्यूब के धैर्य के विषय में तो सुना ही है और प्रभु के व्यवहार के परिणाम को देखा है कि प्रभु अत्यन्त करुणामय और दयालु है” (याकूब 5:11)।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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