मजूसियों का मसीहा

लूका से पृथक, मत्ती हमें यीशु से मिलने आने वाले चरवाहों के विषय में नहीं बताता है। वह तुरन्त ही विदेशियों—अन्यजातियों तथा अयहूदियों—पर ध्यान केन्द्रित करता है जो यीशु की आराधना करने के लिए पूर्व दिशा से आ रहे थे।

इसलिए, मत्ती यीशु को अपने सुसमाचार के आरम्भ में और अन्त में, न केवल यहूदियों के लिए वरन् सभी राष्ट्रों के लिए एक सम्प्रभु मसीहा के रूप में चित्रित करता है।

यहाँ उसके पहले उपासक राज दरबार के जादूगर, या ज्योतिषी, या ज्ञानी पुरुष हैं जो इस्राएल में नहीं वरन् पूर्व की ओर से थे—सम्भवतः बेबीलोन से। वे लोग अन्यजाति थे। और पुराने नियम के अनुष्ठानिक नियमों के अनुसार वे अशुद्ध लोग थे।

और मत्ती के अन्त में, यीशु के अन्तिम शब्द हैं, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओ”(मत्ती 28:18-19)।

इसने न केवल हमारे जैसे अन्यजातियों के लिए द्वार खोला कि हम मसीहा में आनन्द मनाएँ; परन्तु इसने इस बात का प्रमाण भी जोड़ा कि वह ही मसीहा था क्योंकि बारम्बार की गई नबूवतो में से एक नबूवत यह भी थी कि वास्तव में, सभी राष्ट्र और राजा उसको संसार का शासक मानते हुए उसके निकट आएँगे। उदाहरण के लिए, यशायाह 60:3:

“देश-देश के लोग तेरे प्रकाश की ओर तथा राजा तेरे आरोहण के प्रताप की ओर आएँगे।”

इसलिए, मत्ती यीशु के मसीहापन के लिए प्रमाण जोड़ता है और यह दिखाता है कि वह मसीहा है—एक राजा, और प्रतिज्ञा की पूर्ति करने वाला—मात्र इस्राएल के लिए नहीं, किन्तु सभी राष्ट्रों के लिए। 

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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