परमेश्वर नम्र मनुष्य का ध्यान रखता है

March 6, 2025

परमेश्वर नम्र मनुष्य का ध्यान रखता है

“अनन्त परमेश्वर शरणस्थान है, और नीचे सनातन भुजाएँ हैं”। (व्यवस्थाविवरण 33:27)

हो सकता है कि आप अभी ऐसी स्थिति से होकर जा रहे हों जो आपको यीशु और उसके लोगों की किसी बहुमूल्य सेवा हेतु कष्टदायी रूप से तैयार कर रही हो। जब एक मनुष्य अपने जीवन में शून्यता और असहायता की स्थिति में पहुँच जाता है, तो ऐसी स्थिति में वह युगों की चट्टान (यीशु) को पा सकता है।

मुझे भजन 138:6 से एक आनन्ददायक वाक्य स्मरण है जिसे हमारा परिवार सवेरे के भोजन के समय भक्तिमय अध्ययन हेतु पढ़ता है: “यहोवा यद्यपि महान् है, फिर भी वह नम्र मनुष्य का ध्यान रखता है”।

आप अपने संसाधनों से निराश होकर इतना नीचे नहीं डूब सकते हैं कि परमेश्वर न आप को देख पाये और न ही आपकी चिन्ता कर पाये। वास्तव में, वह सबसे निचले स्थान में आपको थाम लेने के लिए प्रतीक्षा कर रहा है। जैसा कि मूसा कहता है, “अनन्त परमेश्वर शरणस्थान है, और नीचे सनातन भुजाएँ हैं”। (व्यवस्थाविवरण 33:27)

हाँ, वह आपको काँपते और फिसलते हुए देखता है। इससे पहले की आप सबसे नीचे जाकर टकराएँ वह आपको पकड़ सकता है (और प्रायः ऐसा करता भी है)। किन्तु इस बार आपको सिखाने के लिए उसके पास कुछ नये पाठ हैं।

भजन 119:71 में भजनकार ने कहा है, “मुझ पर जो क्लेश आया वह मेरे लिए भला ही हुआ कि मैं तेरी विधियों को सीख सकूँ”। वह यह नहीं कहता कि यह सरल या मनोरंजक या सुखदायी था। पिछली बातों का अवलोकन करते हुए वह मात्र इतना कहता है, “वह मेरे लिए भला ही था”।

पिछले सप्ताह मैं एक स्कॉटिश सेवक जेम्स स्टीवर्ट की एक पुस्तक पढ़ रहा था। उन्होंने कहा, “प्रेम की सेवकाई में, केवल घायल सैनिक ही सेवा कर सकते हैं।” इसलिए मेरा मानना है कि आप में से कुछ अभी प्रेम की किसी बहुमूल्य सेवा के लिए तैयार किए जा रहे हैं। क्योंकि आप घायल किये जा रहे हैं।

ऐसा मत सोचिए कि आपका घाव परमेश्वर की महिमामय योजना से पृथक आप पर आया है। उसके वचन को स्मरण कीजिए: “अब देख, मैं, हाँ, मैं ही वह हूँ, और मेरे सिवाए कोई ईश्वर नहीं . . . मैंने घायल किया है तथा मैं ही चंगा करता हूँ” (व्यवस्थाविवरण 32:39)।

आप जो किसी बोझ के तले कराह रहे हैं परमेश्वर आपको विशेष अनुग्रह प्रदान करे। प्रेम की नई कोमलता को उत्सुकतापूर्वक देखें जो परमेश्वर अभी आपको दे रहा है।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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