रोमियों 3:25-26 सम्भवतः बाइबल में सबसे महत्वपूर्ण पद हो सकते हैं।
परमेश्वर पूर्ण रीति से धर्मी है! और वह अधर्मी को धर्मी ठहराता है! क्या यह बात सच है? एक धर्मी न्यायाधीश दोषी को दोषमुक्त करता है!
दोनों विकल्पों में से केवल एक ही नहीं! परन्तु दोनों ही! वह दोषियों को दोषमुक्त करता है, परन्तु ऐसा करने में वह दोषी नहीं है। यही तो है संसार का सबसे महान् सन्देश!
- “[परमेश्वर] ने [यीशु] को जो पाप से अनजान था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएँ” (2 कुरिन्थियों 5:21)। वह हमारे पापों को लेता है। हम उसकी धार्मिकता को लेते हैं।
- “अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में तथा पाप के लिए बलिदान होने को भेज कर, शरीर में पाप को दोषी ठहराया” (रोमियों 8:3)। किसके शरीर में? ख्रीष्ट के शरीर में। किसके पाप उस शरीर में दोषी ठहराए गए? हमारे पाप। तो हमारे लिए इसका क्या अर्थ है? यही कि अब हम पर दण्ड की आज्ञा नहीं है!
- “[ख्रीष्ट] ने स्वयं अपनी देह में क्रूस पर हमारे पापों को उठा लिया।” (1 पतरस 2:24)
- “ख्रीष्ट भी सब के पापों के लिए एक ही बार मर गया, अर्थात् अधर्मियों के लिए धर्मी जिस से वह हमें परमेश्वर के समीप ले आए।” (1 पतरस 3:18)
- “क्योंकि यदि हम उसके साथ उसकी मृत्यु की समानता में एक हो गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी एक हो जाएँगे।” (रोमियों 6:5)
यदि संसार में सबसे भयानक समाचार यह है कि हम अपने सृष्टिकर्ता के दण्ड के अर्न्तगत हैं और वह अपने स्वयं के धर्मी चरित्र के कारण बाध्य है कि वह हमारे पापों पर अपना क्रोध उण्डेलकर अपनी महिमा के मूल्य को बनाए . . .
. . . तो सम्पूर्ण संसार में सबसे उत्तम समाचार (सुसमाचार!) यह है कि परमेश्वर ने उद्धार का एक ऐसा उपाय निर्धारित किया है और उसे लागू किया है जो उसकी महिमा के मूल्य, उसके पुत्र के सम्मान और उसके चुने हुए के अनन्त उद्धार को भी बनाए रखता है। यीशु ख्रीष्ट पापियों को बचाने के लिए संसार में आया।