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यीशु मृतकों में से जी उठा है

यह संसार के इतिहास में अनोखी घटना थी, कि कोई व्यक्ति, जिसको बहुत ही क्रूरतापूर्वक क्रूस पर चढ़ा कर मारा गया हो वह मरने के तीन दिन बाद जी उठे। और यह अद्भुत बात इसलिए भी है कि मर कर जी उठने के बाद वह पुन: मर नहीं गया वरन वह अनन्त काल तक जीवित रहेगा। कौन है वह? केवल यीशु ख्रीष्ट! परमेश्वर का पुत्र! हमारा उद्धारकर्ता! 

आज पूरे संसार में लोग ईस्टर (यीशु के पुनरूत्थान) को स्मरण कर रहे हैं। किन्तु हमें इसके गम्भीर, गहरे, महत्वपूर्ण अर्थ को समझना आवश्यक है, क्योंकि यह हमारे जीवन से सम्बन्ध रखता है। क्यों यीशु को मरके जी उठना आवश्यक था? आइये हम दो मुख्य बातों पर विचार करें कि परमेश्वर पुत्र को क्यों जी उठना पड़ा! 

यीशु जी उठा जिससे कि हमारे सबसे बड़े शत्रु मृत्यु का नाश कर दे। 

परमेश्वर से विद्रोह करने अर्थात पाप के बाद मनुष्य (आदम और हव्वा) को परमेश्वर ने दण्ड दिया और मृत्यु ने मनुष्य पर शासन करना आरम्भ कर दिया। प्रत्येक मनुष्य पाप के कारण मृत्यु प्राप्त करते हैं। और मृत्यु अन्तिम शत्रु है जिससे प्रत्येक मनुष्य पराजित था, किन्तु यीशु ख्रीष्ट ने मृतको में से जी उठकर मृत्यु की ही मृत्यु कर दी।

मृत्यु यीशु का कुछ भी न बिगाड़ सकी इसके विपरीत यीशु ने मृत्यु को ही मौत के घाट उतार दिया।

मृत्यु जिसने लम्बे समय तक मनुष्य पर शासन किया वह स्वयं मृत्यु का स्वाद चख चुका है। यीशु के जी उठने के द्वारा मृत्यु शक्तिहीन हो गया है। मृत्यु यीशु का कुछ भी न बिगाड़ सकी इसके विपरीत यीशु ने मृत्यु को ही मौत के घाट उतार दिया। “मृत्यु को विजय ने निगल लिया है। हे मृत्यु, तेरी विजय कहाँ है? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ?” (1 कुरिन्थियों 15:54-55) यीशु ने जी उठने के द्वारा शैतान की शक्ति और मृत्यु का खुल्लम-खुल्ला तमाशा बना दिया है।  

यीशु जी उठा ताकि हम भी मृतको में से जिलाये जा सकें।

यीशु ख्रीष्ट ने क्रूस पर हमारे पापों की कीमत को चुकाया। उसने व्यवस्था की सारी माँगों को पूरा किया। उसने परमेश्वर की योजना को पूर्ण करते हुए उसे प्रसन्न किया। उसने मृत्यु तक पिता की आज्ञा का पालन किया। उसके बाद पिता ने उसे मरे हुओं में से जिलाकर अपनी दाहिनी ओर स्वर्गीय स्थान में बिठाया और सब सब प्रधानता, अधिकार, प्रभुता, सामर्थ्य प्रदान किया। यीशु जी उठा है, इसी कारण हम भी मरे हुओ में से जी उठे हैं। हम सब अपने अपराधों और पापों में मरे हुए थे। यदि यीशु जी न उठता तो हम भी मृतकों में से कभी भी जिलाए नहीं जाते। परमेश्वर ने जिस सामर्थ्य से अपने पुत्र को जिलाया उसी सामर्थ्य से हमें भी ख्रीष्ट के साथ जीवित किया और स्वर्गीय स्थानो में बिठाया। (इफिसियों 2:5-6) जिस प्रकार एक मनुष्य, आदम के द्वारा मुत्यु आई तो एक ही मनुष्य के द्वारा मृतकों का पुनरूत्थान आया। परमेश्वर की स्तुति हो!

यदि यीशु जी न उठता तो हम भी मृतको में से कभी भी जिलाए नहीं जाते।

यीशु ख्रीष्ट मरने के तीन दिन बाद मृतकों में से जी उठे, वह चालीस दिन तक लोगों को दिखाई दिए और लोगों के समक्ष ही स्वर्ग में उठा लिये गए। वह आज भी जीवित है। वह मुर्दों में से जी उठा है! इसलिए आज ईस्टर (पुनरुत्थान-दिवस) के अवसर पर इस जीवित प्रभु की आराधना करें। वह जीवित है, इसलिए हम जो विश्वासी हैं, जिनको अब मृत्यु का भय नहीं है, जो आत्मिक रूप से जिलाए गए हैं, हम उसके जय के गीत गा सकते हैं। हम संसार को यह बता सकते हैं कि ‘जी उठा है मसीहा, वो मरके जी उठा है, मौत का बन्धन तोड़ कर, मेरा मसीह जी उठा है।’

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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