हम कैसे जान सकते हैं कि हम में पवित्र आत्मा है?

यदि कोई आपसे पूछे “क्या आपके पास पवित्र आत्मा है?” तो आप उसको क्या उत्तर देंगे? आप कैसे इस बात को प्रमाणित करेंगे कि आपके पास वास्तव में पवित्र आत्मा है या नहीं? या यदि आप किसी कलीसिया के अगुवे हैं, तो आप कैसे जान सकते हैं कि कलीसिया में किसके पास पवित्र आत्मा है, और किसके पास नहीं है? 

यह एक ऐसा विषय है जिसको लेकर ख्रीष्टियों में विभिन्न विचारधाराएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि जब तक व्यक्ति को कोई विशेष अनुभव न हो, या अन्य-अन्य भाषाओं में बोलने का वरदान न हो, तब तक उसमें पवित्र आत्मा नहीं है। परन्तु हमारे विचारों को मनुष्यों की बातों से अधिक परमेश्वर के वचन से प्रभावित होना चाहिए। इसलिए, आइए हम तीन प्रश्नों के द्वारा देखें कि बाइबल इस विषय में क्या शिक्षा देती है।

क्या आप सुसमाचार पर विश्वास करते हैं?

एक विश्वासी के जीवन में पवित्र आत्मा के काम के सम्बन्ध में बाइबल की सबसे आधारभूत शिक्षा यह है कि केवल पवित्र आत्मा के कार्य के द्वारा ही कोई भी जन सुसमाचार पर विश्वास करता है। प्रभु को जानने से पहले हम अपने अपराधों और पापों में मरे हुए थे (इफिसियों 2:1), परमेश्वर के शत्रु थे (रोमियों 5:10), और सच तो यह है कि हम में सुसमाचार पर विश्वास करने की क्षमता नहीं थी। सुसमाचार पर विश्वास करना एक ऐसा कार्य है जिसे एक आत्मिक रीति से मरा हुआ व्यक्ति नहीं कर सकता है। इसलिए, आज यदि आप विश्वास करते हैं कि केवल यीशु ख्रीष्ट के जीवन, मृत्यु, और पुनरुत्थान के ही द्वारा हम पाप के प्रति परमेश्वर के क्रोध से बचाए जाते हैं और अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं, तो आप पर पवित्र आत्मा की छाप लगी है (इफिसियों 1:13), और आपके भीतर पवित्र आत्मा वास करता है (1 कुरिन्थियों 12:3)।

जब पवित्र आत्मा किसी व्यक्ति के जीवन में कार्य करता है, तो वह उसे नया जन्म देता है (यूहन्ना 3:8)। वह कोई ऊर्जा या ताकत नहीं,परन्तु त्रिएक परमेश्वर का तीसरा जन है। जिस प्रकार कोई जन या तो घर के अन्दर हो सकता है या बाहर, पवित्र आत्मा भी या तो किसी व्यक्ति के भीतर होगा या फिर नहीं होगा। और जब वह किसी के जीवन में प्रवेश करता है, तो वह व्यक्ति एक ऐसा कार्य करता है जिसे वह पहले नहीं कर सकता था—वह सुसमाचार पर विश्वास करता है। यही कारण है कि बिना आत्मा के कार्य के, सुसमाचार प्रचार की हमारी सब परिश्रम केवल खोखले शब्द ही हैं (1 थिस्सलुनीकियों 1:5)।

क्या आपके जीवन में आत्मा का फल है?

हमें विश्वास करने की क्षमता देने के साथ-साथ, पवित्र आत्मा विश्वासी के जीवन को परिवर्तित भी करता है। यह परिवर्तन हमारे भीतर, हमारे चरित्र में परिवर्तन है, जो बाहर भी दिखाई देता है। वह हमें पाप से लड़ने में और परमेश्वर के गुणों में बढ़ने में सहायता करता है। इस परिवर्तन को समझाने के लिए पौलुस “आत्मा का फल” की बात करता है, जिसमें “प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, नम्रता व संयम” (गलातियों 5:22-23) पाया जाता है। ये हमारे चरित्र के कुछ गुण हैं, जिनमें पवित्र आत्मा हमें धीरे-धीरे बढ़ाता है। यदि आप सुसमाचार पर विश्वास करते हैं, और अपने आप को पाप पर विजय प्राप्त करते हुए और इन गुणों में बढ़ते हुए देखते हैं, तो यह एक प्रमाण है कि आपके अन्दर पवित्र आत्मा है। चाहे कठिन परिस्थितियों में भी लगे रहना, भाइयों की सहना, या अपने बच्चों के प्रति संयमी होना, एक विश्वासी के जीवन में ये सब पवित्र आत्मा के प्रमाण हैं।

परन्तु, यदि आप विश्वासी होने का दावा करते हैं, और ख्रीष्ट में आने के बाद से आप अपने चरित्र में कुछ भी बदलाव नहीं देखते हैं, और आप अभी भी पाप में पहले जैसे फंसे हुए हैं, तो यह प्रश्न पूछना उचित है, कि क्या आप वास्तव में प्रभु यीशु ख्रीष्ट के सुसमाचार पर विश्वास करते हैं? यह गैर-मतलब की बात है कि आप कितनी नियमित रीति से कलीसिया की संगति में जाते हैं, या कलीसिया में कितने उत्साह के साथ गीत गाते हैं। यदि आपके जीवन में आत्मा का फल नहीं पाया जाता है, तो इसका कारण यह हो सकता है कि आपके जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति की जड़ नहीं है।

क्या आप कलीसिया की सेवा कर रहे हैं?

हमें विश्वास करने की क्षमता देने के साथ-साथ, और हमारे चरित्र को परिवर्तित करने के साथ-साथ, पवित्र आत्मा प्रत्येक विश्वासी को वरदान देता है, जिनके उपयोग के द्वारा कलीसिया की उन्नति होती है। वह अपनी इच्छा के अनुसार अलग-अलग लोगों को अलग-अलग वरदान देता है, और ये सब वरदान, चाहे सेवा करने का (रोमियों 12:7) परोपकारी होने का (1 कुरिन्थियों 12:28), पहुनाई करने का (1 पतरस 4:9), या शिक्षा देने का (इफिसियों 4:11), कलीसिया के हित के लिए हैं। इन वरदानों के आधार पर किसी को कम या किसी को अधिक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए, परन्तु सब विश्वासियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि कलीसिया के हित के लिए अपने-अपने वरदानों का उपयोग करें। यदि आप पवित्र आत्मा द्वारा दिए गए वरदान के द्वारा कलीसिया की सेवा कर रहे हैं, तो यह दिखाता है कि पवित्र आत्मा आप में निवास करता है।

परन्तु यदि आपको कलीसिया से कोई सम्बन्ध नहीं है, या यदि आप कलीसिया की संगति में केवल एक उपभोक्ता के रूप में जाते हैं, तो आपको अपने जीवन को जाँचने की आवश्यकता है। यदि आप अपने समय और परिश्रम को कलीसिया में निवेश नहीं करना चाहते हैं, और यदि कलीसिया के लोगों के साथ आपके सम्बन्धों में 1 कुरिन्थियों 13 में वर्णित प्रेम का वरदान नहीं दिखता है, तो आपको अपने जीवन के विषय में सोचना चाहिए। क्योंकि ऐसा कैसे सम्भव है कि कोई व्यक्ति यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास करता है, परन्तु उस कलीसिया से प्रेम नहीं करता जिसे बचाने के लिए ख्रीष्ट क्रूस पर चढ़ गया?

ये तीन प्रश्न इस बात जाँचने के लिए उपयोगी हैं कि क्या हम वास्तव में विश्वासी हैं या नहीं। क्योंकि पवित्र आत्मा ही हमें नया जन्म देता है, और उसकी उपस्थिति के बिना सच्चा विश्वास असम्भव है। यदि आप तीनों प्रश्नों के उत्तर में “हाँ” कह सकते हैं, तो इसमें घमण्ड करने वाली कोई बात नहीं है, परन्तु आपके पास इस बात का आश्वासन होना चाहिए कि पवित्र आत्मा हम में वास करता है, और आपको इस बात के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए। परन्तु यदि आप इन प्रश्नों के विषय में संदेह में हैं, तो आपके लिए अच्छा होगा कि या तो अपनी कलीसिया के किसी अगुवे से, या किसी अन्य सदस्य से अपने जीवन, सुसमाचार और ख्रीष्टीय जीवन के विषय में बात करें। परमेश्वर हम सब पर दया करे, और पवित्र आत्मा के द्वारा हमें नया जन्म, आत्मा का फल, और आत्मा का वरदान दे।

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जॉनाथन जॉर्ज
जॉनाथन जॉर्ज
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