क्या परमेश्वर का प्रेम प्रतिबन्धात्मक (Conditional) है?
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

[परमेश्वर] और भी अधिक अनुग्रह देता है। इसलिए कहता है, “परमेश्वर घमण्डियों का विरोध करता है पर दीन लोगों पर अनुग्रह करता है।” इसलिए परमेश्वर के अधीन हो जाओ। शैतान का सामना करो तो वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा। परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा। (याकूब 4:6-8)।

याकूब हमें सिखाता है कि एक बहुमूल्य अनुभव है जिसमें हम परमेश्वर से “और भी अधिक अनुग्रह” प्राप्त करते हैं और वह “निकट” आता है। निस्सन्देह यह एक अद्भुत अनुभव है—और भी अधिक अनुग्रह और परमेश्वर की विशेष निकटता। किन्तु मैं पूछता हूँ: क्या परमेश्वर के प्रेम का यह अनुभव अप्रतिबन्धात्मक है अर्थात् बिना किसी शर्त या माँगों के? नहीं। ऐसा नहीं है। यह हमारे द्वारा स्वयं को दीन करने और परमेश्वर के निकट आने के प्रतिबन्ध पर निर्भर है। परमेश्वर “दीन लोगों  पर [और अधिक] अनुग्रह करता है . . . परमेश्वर के निकट आओ  तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा।”

परमेश्वर के प्रेम के ऐसे बहुमूल्य अनुभव हैं जो माँग करते हैं कि हम घमण्ड से लड़ें, नम्रता की खोज करें, और परमेश्वर की निकटता को संजोएँ। ये प्रतिबन्ध अर्थात् शर्त या माँग हैं। निस्सन्देह, प्रतिबन्ध स्वयं भी हम में परमेश्वर के ही कार्य हैं। किन्तु फिर भी वे प्रतिबन्ध ही हैं जिन्हें हमें पूरा करना है।

यदि यह सत्य है, तो मैं सोचता हूँ कि आज सुने जाने वाले ये अयोग्य, बाइबलीय रूप से लापरवाह आश्वासनों के कथन कि परमेश्वर का प्रेम पूर्णतः अप्रतिबन्धात्मक है, लोगों को उन्हीं बातों को करने से रोक सकते हैं जिन्हें बाइबल कहती है कि उन्हें करना ही है जिससे कि वे उस शान्ति का आनन्द उठा सकें जिनके लिए उनमें तीव्र इच्छा है। “अप्रतिबन्धितता” के द्वारा शान्ति देने के प्रयास में हम लोगों को उसी समाधन से वंचित रखते हैं जिसका उपचार बाइबल बताती है।

निश्चय ही, हमें ऊँची वाणी में तथा स्पष्टता के साथ घोषणा करनी चाहिए कि चुनाव का ईश्वरीय प्रेम, और ख्रीष्ट की मृत्यु का ईश्वरीय प्रेम, तथा हमारे पुनरुज्जीवन (regeneration) का ईश्वरीय प्रेम — अर्थात् हमारा नया जन्म — सभी पूर्णतः अप्रतिबन्धात्मक हैं।

और आइए हम  इस शुभ समाचार की घोषणा करें कि हमारा धर्मीकरण (justification) ख्रीष्ट की आज्ञाकारिता और बलिदान के मूल्य पर आधारित है, न कि हमारी (रोमियों 5:19, “जैसे एक मनुष्य के आज्ञा-उल्लंघन से अनेक पापी ठहराए गए, वैसे ही एक मनुष्य की आज्ञाकारिता से अनेक मनुष्य धर्मी ठहराए जाएँगे”)।

परन्तु आइए हम इस बाइबलीय सत्य की भी घोषणा करें कि परमेश्वर के अनुग्रह और परमेश्वर की निकटता के सबसे परिपूर्ण और सबसे मधुर अनुभवों का आनन्द वे लोग उठाएँगे जो प्रतिदिन स्वयं को दीन करेंगे और परमेश्वर के निकट आएँगे।

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