परमेश्वर के लिए सम्भव

“मेरी और भी भेड़ें हैं जो इस भेड़शाला की नहीं। मुझे उनको भी लाना अवश्य है। और वे मेरी आवाज़ सुनेंगी, तब उनका एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा।” (यूहन्ना 10:16)

संसार के प्रत्येक समूह (जाति) के लोगों में परमेश्वर के लोग हैं। वह उन लोगों को सृष्टिकर्ता के सामर्थ्य के साथ सुसमाचार के द्वारा बुलाएगा। और तब वे विश्वास करेंगे! दूरस्थ क्षेत्रों के कठिन स्थानों में निराशा पर विजय पाने के लिए इन शब्दों में कितनी अधिक शक्ति है!

इस बात को समझाने के लिए पीटर कैमरन स्कॉट की कहानी एक अच्छा उदाहरण है। 1867 में ग्लासगो (स्कटलैंड) में जन्मे स्कॉट ऐफ्रिका इनलैण्ड मिशन (Africa Inland Mission = अफ्रीका अन्तर्देशीय मिशन) के संस्थापक बने। अफ्रीका में उनका आरम्भ किसी भी रीति से शुभ नहीं था।

अफ्रीका की उनकी पहली यात्रा मलेरिया के गम्भीर आघात के कारण समाप्त हुई जिसके कारण उन्हें घर भेज दिया गया। उन्होंने संकल्प लिया कि वे स्वस्थ होकर अफ्रीका लौटेंगे । यह वापसी उनके लिए विशेष रीति से सन्तोषजनक थी क्योंकि इस बार उनके साथ उनका भाई जॉन भी गया था। परन्तु अति शीघ्र ही ज्वर के कारण जॉन की मृत्यु हो गयी।

पीटर ने अकेले ही अपने भाई को अफ्रीका की मिट्टी में गाड़ा, और उन पीड़ादायक दिनों में पीटर ने अफ्रीका में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए स्वयं को फिर से समर्पित कर दिया। फिर भी उनका स्वास्थ्य पुनः बिगड़ गया और उन्हें इंग्लैंड पुनः वापस लौटना पड़ा।

उन दिनों की मायूसी और निराशा से भला पीटर कैमरन कैसे बाहर निकले? उन्होंने स्वयं को परमेश्वर के लिए समर्पित कर दिया था। परन्तु उन्हें अफ्रीका लौटने की सामर्थ्य कहाँ से प्राप्त हुई? मनुष्य के लिए तो यह असम्भव बात है!

उनको सामर्थ्य वेस्टमिंस्टर एैबी (Westminster Abbey) में प्राप्त हुई। डेविड लिविंगस्टोन की क्रब अभी भी वहाँ पर पाई जाती है। स्कॉट ने शान्तिपूर्वक वहाँ प्रवेश किया, उन्होंने डेविड लिविंगस्टोन की क्रब को पाया, और उन्होंने प्रार्थना करने के लिए अपने घुटनों को टेक दिया। उस कब्र पर यह अभिलेख लिखा हुआ था:

मेरे पास अन्य भेड़ें हैं जो इस बाड़े की नहीं हैं; उन्हें भी मुझे अवश्य लाना है।

वह एक नई आशा के साथ अपने घुटनों से उठ खड़े हुए। वे अफ्रीका को लौट गये। और आज, लगभग सौ से भी अधिक वर्षों के बाद, जिस संस्था की उन्होंने स्थापना की थी, वह अफ्रीका में सुसमाचार की उन्नति के लिए एक एक उत्साहपूर्ण वृद्धि करती हुई संस्था है।

यदि आपका सबसे बड़ा आनन्द यह है, कि आप परमेश्वर के असीम अनुग्रह को अपने भीतर अनुभव करें और फिर आपमें से होकर वह दूसरों की भलाई के लिए उमड़े, तो फिर सम्पूर्ण संसार में सबसे अच्छा समाचार यह है कि अपहुँचे लोगों के उद्धार के लिए परमेश्वर आपके द्वारा असम्भव कार्य को पूरा करेगा।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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