यीशु ने उनसे कहा, “तुम इस सोच - विचार में क्यों पड़ गए कि तुम्हारे पास रोटी नहीं है? क्या तुम अब तक नहीं देखते या नहीं समझते? क्या तुम्हारा मन कठोर नहीं हो गया है?” (मरकुस 8:17)
जब यीशु ने कुछ रोटी और कुछ मछली से पाँच हज़ार तथा चार हज़ार लोगों को खिलाया, उसके पश्चात् शिष्यगण स्वयं के लिए पर्याप्त रोटी के बिना ही नाव में सवार हो गए।
जब वे अपनी विकट स्थिति के विषय में बात-चीत कर रहे थे, तो यीशु ने उनसे कहा, “तुम इस सोच – विचार में क्यों पड़ गए कि तुम्हारे पास रोटी नहीं है? क्या तुम अब तक नहीं देखते या नहीं समझते?” (मरकुस 8:17)। उन्हें क्या समझ में नहीं आया?
वे शेष बची हुई टोकरियों का अर्थ नहीं समझे, अर्थात्, जब वे दूसरों की चिन्ता करेंगे तो यीशु उनकी चिन्ता करेगा। यीशु कहते हैं,
“जब मैंने पाँच हज़ार के लिए रोटियाँ तोड़ी थीं, तब तुमने टुकड़ों से भरी, बड़ी-बड़ी कितनी टोकरियाँ उठाई थीं?” उन्होंने उस से कहा, “बारह।” “और जब मैंने चार हज़ार के लिए सात रोटियाँ तोड़ी थीं तब तुम ने टुकड़ों से भरी कितनी टोकरियाँ उठाई थीं?” उन्होंने उस से कहा, “सात।” उसने उनसे कहा, “क्या तुम अब भी नहीं समझते?” (मरकुस 8:19-21)
क्या नहीं समझते? शेष बची टोकरियों का अर्थ।
शेष बची हुई टोकरियाँ तो बाँटने वालों के लिए थीं। वास्तव में, पहली बार में बाँटने वाले बारह थे और बारह टोकरियाँ बची थीं (मरकुस 6:43) — प्रत्येक बाँटने वाले के लिए एक पूरी टोकरी। दूसरी बार सात टोकरियाँ बची थीं — सात, बहुतायत से परिपूर्णता की संख्या है।
उन्होंने क्या नहीं समझा? कि यीशु उनकी देखभाल करेगा। जितना यीशु दे सकता है उससे बढ़कर आप नहीं दे सकते हैं। जब आप अपना जीवन दूसरों के लिए व्यय करेंगे, तो आपकी आवश्यकताएँ पूर्ण होंगी। “मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित यीशु में है तुम्हारी प्रत्येक आवश्यकता पूरी करेगा” (फिलिप्पियों 4:19)।