वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा भेजता है; उसका वचन अति वेग से दौड़ता है। (भजन 147:15)
आज हमारे रसोईघर के हिमयन्त्र का तापमान मिनियापोलिस में बाहर के तापमान से चालीस डिग्री अधिक होगा। कल का अधिकतम तापमान शून्य से पाँच डिग्री कम होगा। हम इसे प्रभु के हाथों से ग्रहण करते हैं।
वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा भेजता है;
उसका वचन अति वेग से दौड़ता है।
वह ऊन के समान हिम गिराता,
और राख के समान पाला बिखेरता है।
अपनी बर्फ को वह छोटे-छोटे टुकड़ों में गिराता है;
उसकी ठण्ड को कौन सह सकता है?
वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है;
वह वायु को चलाता और पानी को बहाता है।
(भजन 147:15-18)
यह एक ऐसी ठण्ड है जिसके साथ आप खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। यह घात करती है।
जब मैं अपने प्रदेश दक्षिण कैरोलाइना से मिनिसोटा आया था, तो मैंने यहाँ के तापमान के अनुसार वस्त्र पहने। किन्तु यदि मार्ग में कार बिगड़ जाए तो उस परिस्थिति के लिए मैंने अपनी कार में कोई जीवन-रक्षक सहायता सामग्री नहीं रखी थी।
एक रविवार की रात जब मैं ऐसी ही ठण्ड में कलीसिया भवन से अपने घर जा रहा था, तभी मार्ग में मेरी कार बिगड़ गई। यह उस समय की घटना है जब मोबाइल फोन नहीं होते थे। मेरे साथ कार में मेरी पत्नी और दो छोटे बच्चे थे।
और उस मार्ग पर कोई भी व्यक्ति नहीं था। तभी मेरी समझ में आया कि यह तो संकटपूर्ण स्थिति है।
शीघ्र ही यह अति संकटपूर्ण होने वाला था। अब तक वहाँ कोई नहीं आया था।
मैंने कुछ दूरी पर एक बाड़े के पार एक घर देखा। मैं एक पिता हूँ और पिता होने के कारण यह मेरा उत्तरदायित्व था। मैं बाड़े पर चढ़कर अन्दर उस घर की ओर दौड़कर गया और द्वार पर खटखटाया। उस घर के लोग अन्दर ही थे। मैंने उन्हें बताया कि कार में मेरी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं और उनसे निवेदन किया कि वे हमें ठहरने की अनुमति दें। उन्होंने हमें ठहरने की अनुमति दी।
यह ऐसी ठण्ड है जिसके साथ आप खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं।
यह एक और ढंग है परमेश्वर के यह कहने का कि, “चाहे गर्म हो या ठण्डा, ऊँचा हो या गहरा, धारदार हो या भोथरा, उच्च स्वर का हो या धीमे स्वर का, चमकीला हो या अन्धकारमय . . . मेरे साथ मत खेलो। मैं परमेश्वर हूँ। मैंने ही इन सब की सृष्टि की है। जैसे कि गर्मी में चलने वाली गर्म हवाएँ आवाज़ करती हैं और धीमी बरसात, और चाँद से प्रज्वलित वह रातें, और झील के किनारे पानी की आवाज़ और मैदान में सोसन और आकाश के पक्षी, ये सब मेरे विषय में बताते हैं।”
इस ठण्ड में हमारे लिए एक शिक्षा है। प्रभु हमें अनुभव करने के लिए त्वचा और सुनने के लिए कान दें।