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निडर होने के पाँच कारण

“हे छोटे झुण्ड मत डर! क्योंकि तुम्हारे पिता ने प्रसन्नतापूर्वक तुम्हें राज्य देना चाहा है।” (लूका 12:35)

परमेश्वर इस कारण से चाहता है कि हम धन या संसार की अन्य बातों के सम्बन्ध में भयभीत न हों  क्योंकि वह निडरता — चिन्ता से स्वतन्त्रता — परमेश्वर के विषय में पाँच बातों का आवर्धन करेगी।  

पहली, भयभीत न होना इस बात को दिखाता है कि हम परमेश्वर को अपने चरवाहे  के रूप में संजोते हैं। “हे छोटे झुण्ड, मत डर।” हम उसके झुण्ड हैं और वह हमारा चरवाहा है। और यदि वह हमारा चरवाहा है तो भजन 23:1 में यह लिखा है कि: “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी”— अर्थात्, मुझे ऐसी किसी भी वस्तु की घटी न होगी जिसकी मुझे सच में आवश्यकता है।

दूसरी, भयभीत न होना इस बात को दिखाता है कि हम परमेश्वर को अपने पिता  के रूप में संजोते हैं। “क्योंकि तुम्हारे पिता  ने प्रसन्नतापूर्वक तुम्हें राज्य देना चाहा है।” हम केवल उसके छोटे झुण्ड ही नहीं हैं; हम उसकी सन्तान  भी हैं, और वह हमारा पिता है। वह वास्तव में तुम्हारी देखभाल करता है और वास्तव इस बात को जानता है कि तुम्हें किस बात की आवश्यकता है और वह तुम्हारे लिए कार्य करेगा कि तुम्हारे पास निश्चय ही वह हो जिसकी तुम्हें आवश्यकता है। 

तीसरी, चिन्तित न होना इस बात को दिखाता है कि हम परमेश्वर को अपने राजा  के रूप में संजोते हैं। “हे छोटे झुण्ड मत डर! क्योंकि तुम्हारे पिता ने प्रसन्नतापूर्वक तुम्हें राज्य देना चाहा है।” वह हमें “राज्य” दे सकता है क्योकि वह राजा है। यह हमारे लिए उपलब्ध कराने वाले की सामर्थ्य में एक अद्भुत गुण को जोड़ता है। “चरवाहा” सुरक्षा और प्रावधान की ओर संकेत करता है। “पिता” प्रेम और कोमलता और अधिकार तथा प्रावधान और मार्गदर्शन की ओर संकेत करता है। “राजा” शक्ति और सम्प्रभुता तथा धन की ओर संकेत करता है। 

चौथी, भयभीत न होना इस बात को दिखाता है कि परमेश्वर कितना स्वत्रन्त्र और उदार  है। ध्यान दें, वह राज्य देता  है। “हे छोटे झुण्ड मत डर! क्योंकि तुम्हारे पिता ने प्रसन्नतापूर्वक तुम्हें राज्य देना  चाहा है।” वह राज्य को बेचता नहीं है या उसे भाड़े पर नहीं देता है अथवा उसको पट्टे पर नहीं उठाता है। वह असीम रूप से धनी है और उसे हमारे भुगतानों की आवश्यकता नहीं है। अतः, परमेश्वर अपने धन के प्रति उदार और स्वतन्त्र है। और जब हम भयभीत नहीं होते हैं तो इस रीति से हम उसकी बड़ाई करते हैं, किन्तु अपनी आवश्यकताओं के लिए उस पर भरोसा रखते हैं। 

अन्तिम बात, भयभीत न होना — चिन्तित न होना — इस बात को दिखाता है कि हम यह भरोसा रखते हैं कि परमेश्वर वास्तव में यह करना चाहता  है। “हे छोटे झुण्ड मत डर! क्योंकि तुम्हारे पिता ने प्रसन्नतापूर्वक  तुम्हें राज्य देना चाहा है।” यह बात उसे हर्षित करती है। वह देने में संकोच नहीं करता है। हमें राज्य देना उसको आनन्दित करता है। हम सभी के पिता ऐसे नहीं थे, जो देने में प्रसन्न होने की अपेक्षा लेने में प्रसन्न होते थे। किन्तु वह दुख अब और अधिक मुख्य बात नहीं रहेगी, क्योंकि अब आपके पास ऐसा पिता, और चरवाहा, तथा राजा हो सकता है। 

अतः, इस पद की मुख्य बात यह है कि हमें परमेश्वर को अपने चरवाहे और पिता तथा राजा के रूप में संजोना चाहिए जो हमें परमेश्वर का राज्य देने में उदार और प्रसन्न है—स्वर्ग को हमें देने में, हमें अनन्त जीवन और आनन्द देने में, तथा वह सब कुछ देने में जो हमें वहाँ पहुँचने के लिए चाहिए।

यदि हम उसे इस रीति से संजोऐंगे, तो हम निडर होंगे और परमेश्वर की आराधना की जाएगी। 

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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