सर्वश्रेष्ठ प्रेम

February 3, 2025

सर्वश्रेष्ठ प्रेम

बच्चों, मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ, क्योंकि तुम्हारे पाप उसके नाम के कारण क्षमा हुए हैं। (1 यूहन्ना 2:12)

हमें क्यों इस बात पर बल देना चाहिए कि “परमेश्वर अपने नाम के कारण” — अपने स्वयं की महिमा के लिए  प्रेम करता है, क्षमा करता है और उद्धार करता है? यहाँ पर दो कारण दिये गये हैं (कई कारणों में से)। 

1)  हमें इस बात पर बल देना चाहिए कि परमेश्वर अपनी स्वयं की महिमा के लिए प्रेम करता है और क्षमा करता है क्योंकि बाइबल भी स्वयं इस बात पर बल देती है।

मैं, हाँ, मैं ही हूँ, जो अपने निमित्त  तेरे अपराधों को मिटा देता हूँ, और तेरे पापों को स्मरण न करूँगा। (यशायाह 43:25)

हे यहोवा, अपने नाम के निमित्त  मेरा अधर्म, जो बड़ा है, क्षमा कर। (भजन 25:11)

हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के निमित्त  हमारी सहायता कर, अपने नाम के निमित्त हमें छुड़ा कर हमारे अपराधों को ढांप दे। (भजन 79:9)

यद्यपि हमारे अधर्म के काम हमारे विरुद्ध साक्षी देते हैं, फिर भी हे यहोवा, अपने नाम के निमित्त कुछ कर। (यिर्मयाह 14:7)

हे यहोवा, हम अपनी दुष्टता और अपने पूर्वजों के अधर्म को जानते हैं, क्योंकि हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है। अपने नाम के कारण तू हमें  तुच्छ न जान, न अपने ज्योतिर्मय सिहांसन को अपमानित होने दे। (यिर्मयाह 14:20-21)

[ख्रीष्ट] को परमेश्वर ने उसके लहू में विश्वास के द्वारा प्रायश्चित ठहराकर खुल्लमखुल्ला प्रदर्शित किया। यह उसकी धार्मिकता को प्रदर्शित करने के लिए हुआ, क्योंकि परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता में पहिले किए गए पापों को भुला दिया। यह उसने इसलिए किया कि वर्तमान समय में उसकी धार्मिकता प्रदर्शित हो, कि वह स्वयं ही धर्मी ठहरे और उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो जो यीशु पर विश्वास करता है। (रोमियों 3:25 -26)

तुम्हारे पाप उसके नाम के कारण क्षमा हुए हैं। (1 यूहन्ना 2:12)

2)  हमें इस बात पर बल देना चाहिए कि परमेश्वर अपनी स्वयं की महिमा के लिए प्रेम करता है और क्षमा करता है क्योंकि यह बात स्पष्ट करती है कि परमेश्वर हमसे सर्वश्रेष्ठ प्रेम से प्रेम करता है। 

         हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तू ने मुझे दिया, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ रहें कि वे मेरी महिमा को देख सकें जिसे तू ने मुझे दिया है। ( यूहन्ना 17:24)

परमेश्वर हमें इस रीति से प्रेम नहीं करता है कि हम सर्वोच्च बन जाएँ परन्तु वह तो स्वयं को सर्वोच्च बनाता है। स्वर्ग दर्पणों से भरा हुआ कोई कक्ष नहीं होगा (जिससे कि हम स्वयं को निहार सकें), किन्तु वहाँ पर उस अनन्त महानता का वृद्धिशील दर्शन होगा। स्वर्ग में जाने के पश्चात् यह जानना कि हम सर्वोच्च नहीं हैं। यह बात तो हमारे लिए परम निराशाजनक होगी (क्योंकि सर्वोच्च हम नहीं केवल परमेश्वर ही है)।

वह सर्वश्रेष्ठ प्रेम इस बात की निश्चित करता है कि परमेश्वर सब कुछ इस रीति से करता है कि वह अपनी स्वयं की सर्वोच्चता को बनाए रखे और उसका आवर्धन करे जिससे कि जब हम स्वर्ग पहुँचे, तो हमारे पास स्वयं के आनन्द को सदा के लिए बढ़ाने हेतु कुछ हो: अर्थात् परमेश्वर की महिमा। वह सर्वश्रेष्ठ प्रेम यह है कि परमेश्वर अपने पुत्र के जीवन के मूल्य पर, हमारे अनन्त आनन्द के लिए स्वयं को हमें दे देता है (रोमियों 8:32)। यही उसका अर्थ है जब वह कहता है कि वह अपने नाम के निमित्त हमसे प्रेम करता है और हमें क्षमा करता है।    

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. सर्वश्रेष्ठ प्रेम (Current)

    जॉन पाइपर | February 3, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025