Profit Gain AI Profit Method AI Crypto Core Profit

वह नाम जिसे परमेश्वर ने अपने पुत्र को दिया

क्या होता यदि बालक ख्रीष्ट के जन्म के समय उसका नाम रखने का उत्तरदायित्व आप को दिया जा?

बालक का नाम न केवल उससे आगे जाएगा, और जीवन में जहाँ भी वह जाता उसके साथ रहेगा, और उसके जीवन भर, और उसके बाद भी, उसके पीछे रहेगा, परन्तु यह बालक, सभी बालकों में से, जैसा कि स्वर्गदूत ने मरियम से कहा, वह “अभिषिक्त जन” होगा — इब्रानी में मसीहा, यूनानी में ख्रीष्ट।

शताब्दियों से, राष्ट्र ने उसके आगमन की प्रतीक्षा की थी, और आने वाले हज़ारो वर्षों तक, लाखों-करोड़ों लोग इस “सब नामों में श्रेष्ठ नाम” और “सबसे मधुर नाम” को न केवल बोलेंगे परन्तु उसके भी गाएँगे। यह एक नाम सम्पूर्ण संसार में और सम्पूर्ण इतिहास में उत्कृष्ट होगा, यहाँ तक कि परमेश्वर के उस वाचा के नाम से भी जिसे मूसा पर झाड़ी से प्रकट किया गया (फिलिप्पियों 2:9-11; इब्रानियों 1:4)। 

ग्रामीण गलील के शिल्पकार तो क्या, कोई भी व्यक्ति इस एक विशेष पुत्र को नाम देने के उत्तरदायित्व के भार को कैसे सह सकता है?

सभी नामों में श्रेष्ठ नाम

यह सच है, कि परमेश्वर ने यूसुफ को इस बोझ से बचाया। मरियम को दी गई घोषणा और यूसुफ के स्वप्न में भी, स्वर्गदूतों के निर्देश स्पष्ट थे: उसका नाम यीशु  रखना।

इसलिए यहाँ ख्रीष्ट आगमन (Advent) के पहले सप्ताह में, जो इस सप्ताहान्त को, क्रिसमस दिवस से पहले चौथे रविवार को, आरम्भ हुआ हम उस नाम के दिये जाने को स्मरण करते हैं जि अब संसार भर में और पूरे समय में सबसे अधिक पहचाना जाने वाला नाम है। परन्तु जब हम ख्रीष्ट आगमन के इन तीन सप्ताहों में धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा के साथ आगे बढ़ते हैं, और इस यीशु  को इस त्यौहार के कारण के रूप में वर्णित करते हैं, और अपने बच्चों को बताते हैं कि हम यीशु  के जन्म का उत्सव मनाते हैं, तो इस नाम यीशु  का अर्थ क्या है?

परमेश्वर ने इसे हमारे अनुमानों पर नहीं छोड़ा है। सबसे पहले, लूका और मत्ती में स्वर्गदूतों की घोषणाओं की सतह पर तीन स्पष्ट सत्य प्रकट होते हैं। और ख्रीष्ट आगमन सम्भवतः वर्ष का सबसे अद्भुत समय है जिसमें हम जीवन की गति को धीमा करें और सुनें कि परमेश्वर इस एक अद्भुत नाम यीशु  में हमसे क्या कह रहा है, जिसे हम प्रायः समान्य समझा करते हैं और जिसे हम महत्वहीन समझा करते हैं।

1. सर्वोपरि महानता की प्रतिज्ञा

हिन्दी शब्द यहोशु  और यीशु  एक ही इब्रानी नाम से आते हैं: येशुआ । इसलिए यहोशू  वह नाम है जिसे मरिमय ने सुना होगा जब स्वर्गदूत ने पहली बार यह कहा था। “तू उसका नाम यहोशू  रखना” (लूका 1:31) — परमेश्वर के लोगों के इतिहास में महान नामों में से एक।

महान मूसा ने, सब मनुष्यों में से, यहोशू  को अधिकार सौंपा, और यहोशु  ने लोगों की अगुवाई की जब वे परमेश्वर की प्रतिज्ञा को थामते हुए, यरदन को पार करते हुए पैदल चले, और यरीहो के चारों ओर चले, और दूध और मधु के देश में चले। यहोशू निर्विवाद रूप से महान था, और वह देश के महान व्यक्तियों की सूची में आता था,, इब्राहिम, याकूब, मूसा और दाऊद के साथ।

पाप से मुक्ति का कार्य रक्तपूर्ण था — क्योंकि परमेश्वर के विरुद्ध पाप  कोई छोटी त्रुटि नहीं थी।

इस बात कि पुष्टि कि हमें यीशु  नाम में किसी प्रकार की महानता  को सुनना चाहिए, तुरन्त स्वर्गदूत के अगले शब्दों में की जाती है: “वह महान होगा और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा” (लूका 1:32)। अब जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हम “परमप्रधान के पुत्र” में अर्थ की परिपूर्णता देखते हैं जिसे मरियम ने तब तक नहीं देखा होगा। हाँ, यह बालक स्वयं को न केवल पूर्ण रूप से मनुष्य परन्तु स्वयं को पूर्ण रूप से परमेश्वर को प्रदर्शित करने आया, न केवल एक मानव “पुत्र” या एक राजकीय घराने से मानव पुत्र — उन महान राजाओं के समान जिन्होंने परमेश्वर के वाचा के लोगों पर राज्य किया — परन्तु ईश्वरीय पुत्र। परन्तु इसका पूर्ण अर्थ समय के साथ स्पष्ट होने वाला है।

इसलिए, यहोशू  नाम में हम राजसी महत्व को सुनते हैं — और न केवल समान्य की महानता, परन्तु सर्वोपरि महानता। यह बालक न केवल इस्राएल में सम्मानित लोगों की सूची में चढ़ेगा, परन्तु वह इस अर्थ में “परमप्रधान का पुत्र” होने के लिए बढ़ेगा जिसे देश के इतिहास में कुछ ही लोग कर सकते थे। वह वास्तव में महान, उत्कृष्ट रीति से महान होगा।

उस एक मसीहा का आगमन

परन्तु न केवल वह उत्कृष्ट रीति से महान होगा, परन्तु इसके पश्चात वह घोषणा आती है जो यूसुफ और मरियम के लिए और अधिक अवास्तविक प्रतीत होगा: यह बालक मसीहा  है, अर्थात् वह लम्बे समय से प्रतिज्ञात, लम्बे समय से प्रतीक्षित “अभिषिक्त जन” है। वह 2 शमूएल 7 में दाऊद से की गई परमेश्वर की प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए आ रहा था, जो ऐसे जन के विषय में थी जो न केवल दाऊद के सिंहासन पर बैठेगा वरन् जो सदा के लिए राज्य करेगा। वह न केवल महान लोगों में से एक होगा, वरन् वह अकेला महान होगा — लम्बे समय से प्रतीक्षित दाऊद के सिंहासन से उत्तराधिकारी।

यीशु के विषय में स्वर्गदूत का दूसरा स्पष्टीकरण मरियम को श्रद्धायुक्त भय के साथ दण्डवत कराने के लिए पर्याप्त होगा। “प्रभु परमेश्वर उसे उसके पिता दाऊद का सिंहासन देगा, और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा, और उसके राज्य का अन्त न होगा” (लूका 1:32-33)।

वह न केवल दाऊद के समान महान होगा, परन्तु यह वही वंशज है जिसकी ओर स्वयं दाऊद ने दृष्टि की थी (प्रेरितों के काम 2:31)। यही ख्रीष्ट  है — न केवल उसके लोगों के याजकों और राजाओं के रूप में परन्तु परमेश्वर की विशेष सेवा के लिए अभिषेक  किया गया, परन्तु वह अभिषिक्त जन — वह जिसकी आशा सभी अभिषिक्त करने के कार्य और याजकीय नियुक्तियों तथा राजसी राज्याभिषेक द्वारा पहले से ही दी गई थी। संसार के सृष्टिकर्ता के विशेष लोगों का इतिहास अपने शिखर पर आ रहा था। यह इतना अच्छा था कि यह लगभद अविश्वसनीय था: मसीहा का युग आ रहा था, और मरियम न केवल इसे देखने के लिए जीवित रहेगी, परन्तु वह — सभी स्त्रियों में से — उसकी माता होगी।

3. अप्रत्याशित बलिदान का पूर्वाभास 

फिर भी यूसुफ के स्वप्न में स्वर्गदूत के शब्दों में यह आश्चर्य सम्मिलित है: “वह अपने लोगों को उनके पापों से  उद्धार करेगा” (मत्ती 1:21)। येशुआ  का अर्थ है यहोवा उद्धार देता  है। यह बात कि इस अद्भुत बालक का नाम यहोवा उद्धार देता है  होगा यूसुफ को समझ में आया होगा। अवश्य ही, परमेश्वर के लोगों को बचाए जाने की आवश्यकता थी — अन्यजातियों से। उन रोमी लोगों से जो उन पर शासन कर रहे थे; हेरोदेस और पीलातुस से, जो कैसर के स्थानीय कठपुतलियों थे।

शताब्दियों पहले, बेबीलोनियों ने यरूशलेम की दीवार को तोड़ दिया था, मन्दिर को ढाह दिया था, और उन्होंने लोगों को बन्धुवाई में भेज दिया। सत्तर वर्ष पश्चात, क्रुसु के राज्य में, धीरे-धीरे से यहूदियों अपने पवित्र देश की ओर लौटने लगे, परन्तु उन्होंने दाऊद और सुलैमान के समय में जिस महिमा का अनुभव किया था, वह नहीं लौटी। एक अर्थ में, बँधुवाई समाप्त हो गया था, दूसरे अर्थ में यह बना हुआ था। परमेश्वर के लोग अभी भी बचाए जाने के लिए ललायित थे। मादी और फ़ारसी राजाओं ने उन पर शासन किया। इसके पश्चात यूनानियों ने शासन किया। अब रोमी राज्य शासन कर रहे थे। परन्तु अब, मसीहा के आने की प्रतिज्ञा के साथ, निश्चित रूप से राजनीतिक छुटकारा निकट ही होगा।

परन्तु इसके बाद यह चौंका देने वाली बात: “वह अपने लोगों को उनके पापों से  उद्धार करेगा।” उनके शत्रुओं से नहीं, परन्तु उनके पापों से। वह उन्हें उनके स्वयं से बचाएगा। यहाँ पहले क्रिसमस पर, हम अभी तक ख्रीष्ट के स्वयं के बलिदान और पाप के लिए नियमित भेटं के समान प्रस्तुत करने के सम्पूर्ण ईश्वरविज्ञान को नहीं पाते हैं, परन्तु वास्तव में, हम जितना पहली बार सोचते हैं, उससे अधिक प्राप्त करते हैं। पहली वाचा के प्रतिबन्धों के अन्तर्गत, स्वयं के पाप से बचने के लिए क्या आवश्यक था? बलिदानपूर्ण मृत्यु। और इसलिए, प्राचीन इस्राएल में मेमनों और बछड़ों और बकरियों का लहू बहाया जाता था।

वह हमारे आश्चर्य और आदर को नया करे, उस कार्य के लिए जिसे वह उस प्रथम क्रिसमस पर कर रहा था। यह परमेश्वर के स्वभाव के अनुरूप होगा कि वह, ऐसे क्रिसमस में अधिक स्पष्ट रूप से हो, विशेष रीति से सबसे अन्धकारमय दिसम्बर में।

पाप से मुक्ति का कार्य रक्तपूर्ण था — क्योंकि परमेश्वर के विरुद्ध पाप  कोई छोटी त्रुटि नहीं थी। यह महान परमेश्वर के विरुद्ध गम्भीर और बड़ा राजद्रोह था। भले ही मनुष्य अपने पाप को जितना कम आँकें, परमेश्वर ऐसा नहीं करता है। और इसलिए, मसीहा केवल राष्ट्र की अपेक्षा से भिन्न  छुटकारा प्रदान करने के लिए नहीं आया, परन्तु इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण  उद्धार प्रदान करने के लिए आया। परमेश्वर के सर्वसामर्थी क्रोध के अधीन होने के तुलना में रोमी अत्याचार के अधीन पूरा जीवनकाल सहज जान पड़ता।

अन्धकारमय दिन, महान ज्योति

यीशु के नाम में हमारे पास जो तीन मुख्य प्रकाशन हैं, उनमें से यह अन्तिम प्रकाशन उसके लोगों के रूप में हमारे लिए सबसे अधिक प्रकाशमय रीति से चमकता है। यीशु वास्तव में सर्वोपरि रीति से महान है। वह राजा दाऊद और नबियों द्वारा लम्बे समय से प्रत्याशित एकमात्र व्यक्ति है। और फिर भी वह उनकी अपेक्षा, और उनकी कल्पना से भी बढ़कर — कही अधिक बढ़कर — है।

यहाँ, चरनी में लेटा हुआ उसे देखें, हमें छुड़ाने के लिए, हमारे मध्य यही यहोवा है। यहोवा हमें बचाता है, न केवल मात्र किसी मानव पात्र को भेजने के द्वारा, परन्तु स्वयं मनुष्य बनकर, अनन्त ईश्वरीय के पुत्र के रूप में,  और मृत्यु तक जाकर, यहाँ तक कि क्रूस की मृत्यु तक, अस्थायी, सांसारिक उत्पीड़न से अधिक बढ़कर — अर्थात पाप और शैतान तथा स्वयं मृत्यु से छुड़ाने के लिए।

इसलिए इस ख्रीष्ट आगमन, एक वैश्विक महामारी के मध्य — सम्भवतः हमारे अनुभव के किसी अन्य ख्रीष्ट आगमन से भिन्न, हम में से उन लोगों के लिए जिनको युद्ध और अन्य त्रासदियों को सहना नहीं पड़ रहा है — आइए हम परमेश्वर से विनती करें कि वह हमारे आश्चर्य और आदर को नया करे, उस कार्य के लिए जिसे वह उस प्रथम क्रिसमस पर कर रहा था। यह परमेश्वर के स्वभाव के अनुरूप होगा कि वह, ऐसे क्रिसमस में अधिक स्पष्ट रूप से हो, विशेष रीति से सबसे अन्धकारमय दिसम्बर में।

और ओह, यीशु का नाम। यहाँ, बिना उसके जन्म के अन्य अद्भुत विवरणों का उल्लेख किए,  केवल उसके नाम में, देखने के लिए इतनी अधिक महिमा है। सम्भवतः परमेश्वर ऐसे अन्धकारमय दिनों में प्रसन्न होगा कि वह इस ख्रीष्ट आगमन को अन्य ख्रीष्ट आगमनों से उत्तम बनाए। परमेश्वर जानता है कि हमें इसकी आवश्यकता है। 

साझा करें
डेविड मैथिस
डेविड मैथिस

डेविड मैथिस desiringGod.org के कार्यकारी संपादक हैं और मिनियापोलिस/सेंट में सिटीज चर्च में पासबान हैं।

Articles: 10

Special Offer!

ESV Concise Study Bible

Get the ESV Concise Study Bible for a contribution of only 500 rupees!

Get your Bible