केवल यीशु मसीह ही पापों को क्षमा कर सकते हैं।

कलीसियाएँ गुड फ्राइडे (अच्छा शुक्रवार) को शुभ शुक्रवार के रूप में मनाती हैं। गुड इसलिए है क्योंकि आज से लगभग 2000 साल पहले प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस के द्वारा उद्धार का कार्य पूरा किया। जब प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर थे तो प्रभु यीशु मसीह ने सात वचनों को कहा। और ये सात वचन हमें सुसमाचारों की पुस्तकों में मिलते हैं। आइये हम यीशु मसीह के पहले वचन पर मनन करते हैं, जो हमें लूका 23:33-34 पद में मिलता है। 

33 जब वे उस स्थान पर जो खोपड़ी कहलाता है पहुँचे तो वहां पर उन्होंने उसे और उसके साथ दो अपराधियों को भी क्रूस पर चढ़ाया, एक को दाहिनी और दूसरे को बाई ओर। 34 परन्तु यीशु मसीह ने कहा, “ हे पिता, इन्हे क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे है।” और उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़े आपस में बांट लिए।

पद 33 हमें बताता है कि रोमी सैनिको ने खोपड़ी नामक स्थान पर यीशु मसीह को और दो अपराधियों को क्रूस पर चढ़ाया। रोमी सैनिकों ने जब दोअपराधियों को यीशु मसीह के दाहिनी और बाईं ओर क्रूस पर चढ़ाया, तो ये लोग यीशु मसीह के विषय में जो भविष्यवाणी की गयी थी कि “वो अपराधियों के साथ गिना गया” को पूरा कर रहे थे। यहाँ पर हम परमेश्वर की सम्प्रभुता को देखते है। इसका अर्थ ये है कि यीशु मसीह ही वो उद्धारकर्ता है जिसको क्रूस पर चढ़ाया जा रहा है। जब यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया तब सुबह के 9 बज रहे थे, और यीशु मसीह सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक, पूरे 6 घंटे यीशु मसीह क्रूस पर थे। यीशु मसीह के सिर पर काँटों का ताज था और यीशु मसीह के दोनो हाथों पर कील ठोकी गयी है और यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया है। 

और जब उद्धारकर्ता, यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया। तब यीशु मसीह ने पिता से प्रार्थना किया, “हे पिता, इन्हे क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे है।” 

अगर हम संदर्भ में देखेंगे तो यीशु मसीह उन सब लोगों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, जिन लोगों ने यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया। जैसे रोमी सैनिक, यहूदी अगुवे, पिलातुस, और हेरोदेस। इन सब लोगों ने यीशु मसीह को सताया, झूठा-आरोप लगाया की “यीशु मसीह यहूदियों का राजा है”, और यीशु मसीह को मारा और यीशु मसीह के साथ दूर्व्यवहार किया। इन सब के प्रतिउत्तर में यीशु मसीह लोगों को क्षमा कर रहे है। इससे पहले हम क्षमा के विषय में और देखे, हम देखे की यीशु मसीह और किस तरह से प्रतिउत्तर दे सकते थे। 

यीशु मसीह एक और भिन्न रीति से प्रतिउत्तर दे सकते थे। प्रतिशोध या श्राप देने के द्वारा, जो, यहूदी व्यवस्था के अनुसार था भजन 137:7-9 या जैसे उन दिनों में जब लोगों को क्रूस पर चढ़ाया जाता था, लोग बुरा-भला, श्राप देते थे, उन लोगों को जो क्रूस पर चढ़ाते थे। परन्तु, क्षमा करने का विचार इस से पहले किसी को नहीं आएगा। 

परन्तु प्रभु यीशु मसीह ने उन लोगों को क्षमा किया जिसने उसको क्रूस पर चढ़ाया। मानवीय रूप से कोई कैसे क्रूस की दर्दनाक पीड़ा सहते हुए क्षमा कर सकता है। यीशु मसीह जिस अवस्था में क्षमा कर रहे है, वो कोई बहुत आराम दायक अवस्था या स्थान नहीं है। यीशु मसीह ऐसा नहीं सोच रहे है, कि मैं इन लोगों को क्षमा करूँ या नही। यीशु मसीह किसी कमरे में नहीं बैठें है परन्तु क्रूस पर थे। 

क्रूस कोई सुगम या अच्छा स्थान नहीं था, क्षमा करने का तो बिल्कूल भी नहीं। ये एक दायक स्थान था। और ये बहुत ही अलग बात है, विचित्र बात है, की प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर क्षमा कर रहे है। क्रूस मरने और श्राप देने का स्थान होता था। परन्तु प्रभु यीशु मसीह क्रूस से पापों को क्षमा का स्थान बना रहे थे। इतिहास में ऐसा उससे पहले या उसके बाद कभी नहीं हुआ। ये इस बात को बताता है, की ये कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। इतनी पीड़ा सहने के बाद क्षमा करना, वो भी पापों को क्षमा करना। सिर्फ़ और सिर्फ़ ये परमेश्वर ही कर सकते है। क्रूस से पापों को क्षमा करना मानवीय सोच और शक्ति से बाहर है। इसलिए लिए पापों की क्षमा कोई आसान काम नहीं था। क्योंकि हमने परमेश्वर के विरुध पाप किया किया था और ये एक भयानक बात थी, इसलिए पापों की क्षमा भी आसान नहीं थी। अगर आपको देखना है की कोई व्यक्ति कैसा है, वास्तव में कैसा है। तो जब वो अपने दुःख में हो या पीड़ा में है। तो जो वो कहता है उसके व्यक्तित्व के विषय में बताता है। 

और पहला वचन हमें प्रभु यीशु मसीह के महानता के विषय में और भी विचार करने पर विवश करता है कि यीशु मसीह क्षमा करने वाले, करुणामय, दयालु परमेश्वर हैं। प्रभु यीशु मसीह क्रूस पर इसलिए पाप क्षमा कर रहे थे क्योंकि यीशु मसीह इसीलिए आए थे कि पापों को क्षमा करे। अपनी सेवकाई के वक्त यीशु मसीह ने न केवल लोगों के पापों को क्षमा किया, बल्कि प्रभु यीशु मसीह ने सिखाया भी कि “अपने दुर्व्यवहार करने वाले वालों के लिए प्रार्थना करो और क्षमा करो”। 

प्रभु यीशु मसीह ने सिर्फ सिखाया ही नही कि पाप क्षमा करो, बल्कि अब क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह अपने जीवन से दिखा रहे है की क्षमा कैसे किया जाता है। यीशु मसीह सिर्फ उनको ही क्षमा नहीं कर रहे है जिन लोगों ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया। परन्तु यीशु मसीह हमारे और आपके लिए भी प्रार्थना कर रहे हैं। क्योंकि वचन बताता है सब लोगों ने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से दूर हुए। हमारे और आपके पापों के कारण यीशु मसीह क्रूस पर बलिदान हुए, कि हमें पापों की क्षमा दे। और यही नहीं, साथ ही साथ आज भी यीशु मसीह स्वर्ग में हमारे लिए पिता से विनती करते है। 

जब यीशु मसीह क्रूस पर थे और पापों को क्षमा कर रहे थे, तब लोगों ने प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं किया, बल्कि यीशु मसीह के उद्धार के कार्य पर ताना मारा। जिनको क्षमा माँगनी चाहिए, वो क्षमा नहीं माँग रहे हैं। जिसको दंड देना चाहिए वो क्षमा कर रहा है। ये एक विडम्बना की बात है। तो अब हमें जब पता है कि प्रभु यीशु मसीह हमारे पापों के लिए क्रूस पर बलिदान हुए तो हमें क्या करना है। 

तो हमें अपने पापों से पश्चाताप करना है और यीशु मसीह पर विश्वास करना है कि यीशु का बलिदान, पापों की क्षमा पर्याप्त है। और यीशु मसीह ने जो सिखाया कि जब लोग हम को सताएं, हम उनके लिए प्रार्थना करे, क्षमा करें। तो आइए अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह को स्मरण करें और एक दूसरे ऐसे महान क्षमा करने वाले यीशु मसीह के विषय में बताएँ। 

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जयंत सिंह
जयंत सिंह
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