शुभ समाचार — सुसमाचार — की सबसे बड़ी भलाई है स्वयं परमेश्वर के साथ संगति का आनन्द लेना। इसे 1 पतरस 3:18 के इस वाक्यांश में यह स्पष्ट किया गया है “कि वह हमें परमेश्वर के समीप ले आए।” इसीलिए यीशु मरा था।
सुसमाचार के अन्य सभी दान इस दान को सम्भव बनाने के लिए पाए जाते हैं।
- हमें क्षमा किया गया है जिससे कि हमारा दोष बोध हमें परमेश्वर से दूर न रखे।
- हम धर्मी ठहराए गए हैं जिससे कि हमारी दण्डाज्ञा हमें परमेश्वर से दूर न रखे।
- परमेश्वर की कोपशान्ति हुई है जिससे कि उसका प्रकोप हमारे और हमारे पिता के रूप में परमेश्वर के बीच में न आए।
- हमें अभी अनन्त जीवन दिया गया है, और फिर पुनरुत्थान में नये शरीरों को प्रदान किया जाएगा जिससे कि हमारे पास सदैव परमेश्वर के साथ रहने की और पूर्ण रीति से परमेश्वर का आनन्द लेने की क्षमता हो सके।
अपने हृदय को परखिए। आप क्षमा क्यों चाहते हैं? आप क्यों धर्मी ठहराया जाना चाहते हैं? आप क्यों चाहते हैं कि परमेश्वर का प्रकोप शान्त हो जाए? आप अनन्त जीवन क्यों चाहते हैं? क्या यह निर्णायक उत्तर है, “क्योंकि मैं परमेश्वर का आनन्द अभी और सदाकाल तक लेना चाहता हूँ”?
सुसमाचारीय-प्रेम जो परमेश्वर देता है उसमें वह अन्ततः स्वयं ही उपहार है। इसी के लिए हम बनाए गए थे। इसी को हमने अपने पापों के कारण खो दिया था। इसी को ख्रीष्ट पुनःस्थापित करने के लिए आया था।
“तेरी उपस्थिति में आनन्द की भरपूरी है; तेरे दहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।” (भजन 16:11)।