नई वाचा में नई बात क्या है

“परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बान्धूँगा वह यह है,” यहोवा कहता है, “मैं अपनी व्यवस्था उनके मनों में डालूँगा और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा तथा वे मेरी प्रजा ठहरेंगे।” (यिर्मयाह 31:33)

यीशु प्रेम और आज्ञाओं के मध्य में किसी भी सम्पूर्ण पृथकता को नष्ट करता है।

वह कहता है, “यदि तुम मुझ से प्रेम  करते हो, तो मेरी आज्ञाओं  का पालन करोगे . . . जिसके पास मेरी आज्ञाएँ  हैं और वह उनका पालन करता है, वही मुझ से प्रेम  करता है, और जो मुझ से प्रेम करता है, उस से मेरा पिता प्रेम करेगा” (यूहन्ना 14:15, 21)। “यदि तुम मेरी आज्ञाओं  का पालन करोगे तो तुम मेरे प्रेम  में बने रहोगे, वैसे ही जैसे मैंने अपने पिता की आज्ञाओं का पालन किया है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ” (यूहन्ना 15:10)।

आज्ञाओं और आज्ञाकारिता के विषय में विचार करने के कारण यीशु को अपने पिता के प्रेम का आनन्द लेने से नहीं रोका गया। और वह अपेक्षा करता है कि उसके विषय में जब हम यह सोचते हैं कि वह आज्ञाएँ  देता है, यह उसके साथ हमारे प्रेम के सम्बन्ध को भी जोखिम में नहीं डालेगा।

यह समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यीशु ख्रीष्ट के माध्यम से जो नई वाचा का सम्बन्ध हमारे और परमेश्वर के मध्य है वह तो बिना आज्ञाओं की वाचा के नहीं है। मूसाई व्यवस्था में परमेश्वर द्वारा दी गई पुरानी वाचा और ख्रीष्ट में परमेश्वर द्वारा दी गई नई वाचा के मध्य में आधारभूत अन्तर यह नहीं है कि एक में आज्ञाएँ थीं और दूसरे में आज्ञाएँ नहीं हैं।

परन्तु मुख्य भिन्नताएँ तो ये हैं (1) मसीहा, यीशु ने आकर नई वाचा का लहू बहाया है (मत्ती 26:28; इब्रानियों 10:29) जिससे कि अब से वह एक नई वाचा का मध्यस्थ है, जिसका अर्थ यह है कि सभी को बचाने वाला, वाचा-पालन करने वाला विश्वास तो उस पर सचेत विश्वास है; (2) इसलिए पुरानी वाचा “अप्रचलित” हो गई है (इब्रानियों 8:13) और यह परमेश्वर की नई-वाचा के लोगों को संचालित नहीं करती है (2 कुरिन्थियों 3:7–18; रोमियों 7:4,6; गलातियों 3:19); और (3) प्रतिज्ञा किया हुआ नया हृदय और पवित्र आत्मा की सक्षम करने वाली शक्ति विश्वास के द्वारा दी गई है। 

पुरानी वाचा में, परमेश्वर का आज्ञापालन करने के लिए अनुग्रहकारी सामर्थ्य को पूर्णतः से उण्डेला नहीं गया था जैसा कि यीशु के समय से अब है। “फिर भी यहोवा ने आज न तो तुमको समझने का मन, न देखने की आँखें और न सुनने के कान दिए हैं” (व्यवस्थाविवरण 29:4)। नई वाचा में नई बात यह नहीं है कि कोई आज्ञाएँ नहीं हैं, परन्तु यह कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा पूरी हो गयी है! “मैं अपनी व्यवस्था उनके मनो में डालूँगा और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा” (यिर्मयाह 31:33)। “मैं अपना आत्मा तुम में डालूँगा और तुम्हें अपनी विधियों पर चलाऊँगा” (यहेजकेल 36:27)।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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