परन्तु जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्हीं को मैंने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। इस से भी बढ़कर मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के ज्ञान की श्रेष्ठता के कारण सब बातों को तुच्छ समझता हूं। (फिलिप्पियों 3:7-8)
“हमारे पास केवल ख्रीष्ट ही है” (ऑल आई हैव इज़ क्राइस्ट) इस गीत को सम्पूर्ण हृदय से गाने के लिए, हमें पहले यह विश्वास करना होगा कि ख्रीष्ट उन बातों से बढ़कर है जिन्हें हमने आज तक पाया और जाना है। “मेरे पास केवल (वह) है” इस पंक्ति का तुलनात्मक रीति से अर्थ है कि शेष सब कुछ दूर हो गया है। उसके द्वारा लाए गए आनन्द के प्रकाश में कुछ भी नहीं टिक सकता है। यहाँ तक कि वे सभी उत्तम दान जो परमेश्वर ने स्वयं हमें दिये हैं, वे सब मात्र यह बताते हैं कि परमेश्वर हमारे लिए क्या है—सुन्दर, दयालु, आनन्दप्रद सुझाव, परन्तु फिर भी मात्र सुझाव।
आपके हृदय के गुप्त स्थान में, आप अन्य बातों से बढ़कर यीशु से किस प्रकार प्रेम करते हैं? क्या प्रत्येक अन्य भलाई जो आपने की है, आपकी सारी योग्यताएं, और आपके सारे सम्बन्ध उसके सामने झुकते हैं? या क्या वह आपके सुख-विलास के बीच प्रायः लुप्त हो जाता है? क्या आप केवल ख्रीष्ट को पाकर प्रसन्न होंगे यदि आपके पास उसके सिवा और कुछ न हो? क्या आप इस भजन के समान कह सकते हैं कि,
स्वर्ग में मेरा और कौन है?
तेरे सिवाए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
चाहे मेरा शरीर और मन दोनों हताश हो जाएं,
फिर भी परमेश्वर सदा के लिए मेरे हृदय की चट्टान और मेरा भाग है।
(भजन 73:25-26)
उसे जानने का श्रेष्ठ मूल्य
प्रेरित पौलुस जानता था कि इस पृथ्वी पर सब कुछ होना कैसा होता है — सफलता, सामर्थ्य, धन, सम्मान। और वह यह भी जानता था कि यह सब कुछ छिन जाना कैसा होता है — नगरों से बाहर निकाल दिया जाना, उनसे अलग कर दिया जाना जिनसे वह प्रेम करता था, बंदीग्रह में फेंक दिया जाना, पीटा जाना और लगभग मृत्यु तक पत्थरवाह किया जाना — और फिर भी सब कुछ प्राप्त करना। उसे यह गीत गाना अच्छा लगता,
हल्लिलूयाह ! मेरे पास जो कुछ है वह ख्रीष्ट है (हल्लिलूयाह ! ऑल आई हैव इज़ क्राइस्ट)
हल्लिलूयाह ! ख्रीष्ट ही मेरा जीवन है (हल्लिलूयाह ! जीज़स इज़ माई लाईफ )
उन सब वस्तुओं के होते हुए भी जो उसके पास थीं, तथा जिसे उसने अब यीशु का अनुसरण करने के कारण खो दिया था, पौलुस कहने पाता है, “जो बातें मेरे लाभ के लिए थीं, उन्हीं को मैंने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। इस से भी बढ़कर मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के ज्ञान की श्रेष्ठता के कारण सब बातों को तुच्छ समझता हूं” (फिलिप्पियों 3:7-8)। ख्रीष्ट को जानना, इस बात को न तो मापा जा सकता है और न ही छिपाया जा सकता है। यीशु से पहले जिन बातों का उसने आनन्द उठाया उनमें से कई बातें अभी भी अच्छी थीं, परन्तु यीशु मसीह के ज्ञान की श्रेष्ठता के कारण अब वह इन सब बातों को तुच्छ समझता है। (फिलिप्पियों 3:8)।
और फिर भी हम में से प्रत्येक के लिए कभी ऐसा समय भी था, जब हमारे लिए उसको जानना सर्वोच्च रीति से मूल्यवान अथवा आवश्यक भी प्रतीत नहीं होता था। क्योंकि हम अन्धकार में रहते थे, और हम अन्धकार से प्रेम करते थे (यूहन्ना 3:19)।
जो भी हम सोचते थे हमारे पास था
यीशु के समय में निर्धन और तिरस्कृत लोगों द्वारा उसे ग्रहण किए जाने की सबसे अधिक सम्भावना क्यों थी? यीशु ने स्वयं ही यह समझाया कि ऐसा क्यों है: “भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है। मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं” (मरकुस 2:17)।
हम में से कितनों ने, वास्तव में, अपने विषय में सोचा कि हम भले हैं — सुरक्षित, प्रिय, प्रसन्न, भले — इसलिए हमें यीशु की कोई आवश्यकता नहीं थी? सम्भवतः हमने ख्रीष्टीयता के अनेक बाहरी कार्यों को किया हो, परन्तु क्रूस मात्र हमारे लिए नर्क से बचने का एक साधन था, न कि हमारे जीवन का नया आधार और स्रोत। ख्रीष्ट मात्र हमारे लिए पापों की क्षमा का उपाय था, परन्तु हमारा जीवन नहीं था, क्योंकि हम उस समय तक अन्धकार से प्रेम करते थे।
हम घोर अंधेरी रात में खो गए थे। जब जीवन के सबसे आवश्यक पहलुओं की बात आयी, तो हम उस हाथ को देख ही नहीं पाए जिसे हमने अपने मुँह के सामने थाम रखा था। और फिर भी हमने सोचा कि हम मार्ग को जानते थे। यहां तक कि जब हम वास्तविकता के प्रति अन्धे और बहरे थे — हम वास्तव में कितने पापी थे, वास्तव में यीशु हमारे लिए कितना सन्तुष्टिदायक है, हमें अनुग्रह और दया की कितनी अधिक आवश्यकता थी — हमने मात्र अपनी भावनाओं पर भरोसा किया। हम परमेश्वर को छोड़, बाकी सभी दिशाओं में दौड़ते रहे।
और हमने स्वयं को धनवान समझा। हमने सम्भवतः इस विषय पर कभी विचार नहीं किया, किन्तु पाप ने हमसे आनन्द और जीवन की प्रतिज्ञा की थी। और हमने इस पर विश्वास किया। शैतान “झूठा और झूठ का पिता है” (यूहन्ना 8:44), जो अधर्म को सुन्दरता में, दासत्व को स्वतंत्रता में, नरक के धुएं को हानि रहित कोहरे में बदल देता है। शैतान हमारे हृदय के आलसपन और हमारी कल्पनाओं की सजीवता का शिकार करता है ताकि जीवन अंधेरे में होते हुए भी सुन्दर प्रतीत हो।
वह सब जो हमने उसमें पाया
यदि परमेश्वर ने हमें हमारे वश में छोड़ दिया होता, तो हम अब तक और सदैव उसका तिरस्कार करते रहते। किन्तु परमेश्वर मृत्यु में होकर गया और उसके लिए हमारे सारे तिरस्कारों को उसने हमसे हटा दिया। जो कुछ भी हमारे पास था हमने उसे देखा, और हम जानते थे कि हमें इससे भी अधिक कुछ चाहिए।
यीशु हमारी कहानी बताता है: “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और उसके कारण आनन्दित होकर उसने अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया।” (मत्ती 13:44)। हम उस खेत से जो हमें संतुष्ट कर सकता था बहुत दिनों से दूर भाग रहे थे, और फिर खेत हमें खोजने के लिए दौड़ आया। अब हम केवल अनुग्रह को ही जानते हैं।
अब, क्योंकि यीशु हमारा जीवन है, इसलिए हमारा जीवन यीशु के लिए है। हम चाहते हैं कि यह फिरौती चुकाकर पाया गया जीवन एक फलदायी जीवन हो, दूसरों को भी उसमें लाने के द्वारा जो हमारे पास केवल ख्रीष्ट में ही है। हम चाहते हैं कि दूसरे लोग अन्ततः अंधकार को छोड़ दें क्योंकि उन्होंने हम में प्रकाश देखा है। यीशु पुनः कहता है, “परन्तु वह जो सत्य पर चलता है ज्योति के पास आता है, जिस से यह प्रकट हो जाए कि उसके कार्य परमेश्वर की ओर से किए गए हैं” (यूहन्ना 3:21)। हम चाहते हैं कि दूसरे लोग देखें कि परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए जो सामर्थ्य, ज्ञान और आनंद चाहिए, वह स्वयं हमारे भीतर से कभी भी नहीं आ सकता।
हम सभी को दिन-प्रतिदिन परमेश्वर के द्वारा परमेश्वर के पास लाया जाना चाहिए, जब तक कि मृत्यु अन्ततः हमें जीवन में नहीं लाती।