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सम्पूर्ण बाइबल को पढ़ने के लाभ

“सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और शिक्षा, ताड़ना, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा के लिए उपयोगी है” (2 तीमुथियुस 3:16)

परमेश्वर ने हमें अपना वचन प्रदान किया है जो हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है। परमेश्वर ने सम्पूर्ण बाइबल हमें दी है और यह हमारे लाभ के लिए है। आइये हम विचार करें कि सम्पूर्ण बाइबल को पढ़ना हमारे लिए किस प्रकार से लाभान्वित करता है।

हम उद्धार के कथा-सूत्र को देख पाते हैं: पूरी बाइबल को पढ़ना पूरी बाइबल की कहानी को समझने में सहायक है। जब हम उत्पत्ति से प्रकाशितवाक्य तक पढ़ते हैं तो हम परमेश्वर द्वारा उद्धार की कहानी को बड़े रीति से देख पाते हैं। पुराने नियम में उन्तालीस और नये नियम में सत्ताईस पुस्तकें हैं। जो लगभग चालीस लेखकों के द्वारा विभिन्न परिस्थितियों व समय काल में लिखी गईं हैं। इन सब पुस्तकों में हम परमेश्वर द्वारा तैयार की गई मानव जाति के छुटकारे की योजना को बड़े चित्र के रुप में देखते हैं। हम इस सत्य को समझ पाते हैं कि परमेश्वर ने जगत की उत्पत्ति से पूर्व ही हमारे छुटकारे के लिए ख्रीष्ट में योजना बनाई और आत्मिक आशीषें प्रदान की हैं (इफिसियों 1:3-5)। यीशु में हमारा उद्धार हुआ और हम अनन्त काल तक उनके साथ स्वर्ग में नये आकाश और नई पृथ्वी में निवास करेंगे। 

जब हम बाइबल की पुस्तकों में से होकर जाएँगे और प्रतिदिन इस पर ध्यान देंगे, तो परमेश्वर पवित्र आत्मा हमारे मस्तिष्क को अपने वचन से भरेगा। हमारी आत्मा वचन से पोषित होगी।

हम समझ पाते हैं कि सम्पूर्ण बाइबल का मुख्य केन्द्र यीशु ख्रीष्ट है: बाइबल की समस्त पुस्तकें यीशु के विषय में हैं और स्पष्ट संकेत देती हैं। पुराने नियम में परमेश्वर अपने नबियों के द्वारा यीशु के इस संसार में आने की भविष्यवाणी कराते हैं और नया नियम यीशु के देहधारण, उद्धार के कार्य, मृत्यु, जी उठने की नबूवतों का पूर्तिकरण है। यीशु ख्रीष्ट अपने चेलों को जी उठने के बाद स्मरण दिलाते हैं कि मूसा की व्यवस्था, नबियों एवं भजनों की पुस्तक में यीशु के विषय में लिखी गई सब बातों का पूरा होना आवश्यक था (लूका 24:44)। उनके पुनरागमन की नबूवत के साथ नया नियम समाप्त होता है। यह बात स्पष्ट करती है कि यीशु बाइबल का मुख्य केन्द्र है। 

हम परमेश्वर के चरित्र तथा स्वयं की स्थिति से अवगत होते हैं: सम्पूर्ण बाइबल में हम परमेश्वर के गुणों एवं उसके कार्यों को देखते हैं। बाइबल की प्रत्येक पुस्तक में हम परमेश्वर के कार्य के प्रकटीकरण को देखते हैं। पुराने नियम में परमेश्वर द्वारा सृष्टि का निर्माण एवं उसकी अपने लोगों के साथ विश्वासयोग्यता को देखते हैं। नये नियम में उसके कार्य को यीशु में देखते हैं। परमेश्वर ने अपनी महिमा और पवित्रता को अपने वचन में प्रकट किया है (यूहन्ना 1:14, 2 कुरिन्थियों 4:6, इब्रानियों 1:3)। परमेश्वर सृष्टिकर्ता, सर्वउपस्थित, सर्वज्ञानी, सर्वसामर्थी है (उत्पत्ति 1:1, भजन 139)। जितना अधिक हम बाइबल के प्रत्येक भाग से परिचित होंगे हम परमेश्वर को और अधिक जानते जाएँगे। इसके साथ ही हम मनुष्य की स्थिति देखेंगे और देख पाएँगे कि हम पाप में मरे हुए थे। परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा हम जीवित किए गए हैं कि भले कार्य करें (इफिसियों 2:1-10)। वचन हमारे प्राण, आत्मा को बेधता और मन के विचारों एवं भावनाओं को परखता है। उसके सामने हम छिप नहीं सकते, सब कुछ उसकी आँखो के सम्मुख खुला और नग्न है (इब्रानियों 4:12-13)। 

हम आत्मिक रीति से बढ़ते हैं और शिष्योन्नति करते हैं: जब हम बाइबल की पुस्तकों में से होकर जाएँगे और प्रतिदिन इस पर ध्यान देंगे, तो परमेश्वर पवित्र आत्मा हमारे मस्तिष्क को अपने वचन से भरेगा। हमारी आत्मा वचन से पोषित होगी। जब हम स्वयं परमेश्वर के वचन से सीखेंगे, तब हम दूसरो को भी सिखा सकते हैं। इसलिए सम्पूर्ण बाइबल को पढ़ना स्वयं की आत्मिक उन्नति हेतु लाभदायक है और कलीसिया में दूसरों की शिष्योन्नति में भी सहायक सिद्ध होगी।

इसलिए मैं आपको उत्साहित करना चाहूँगा कि स्थिति कैसी भी हो, आप कितना भी व्यस्त हों आप सम्पूर्ण बाइबल को पढ़ने का प्रयत्न अवश्य ही करें। क्योंकि एक विश्वासी के रूप में सम्पूर्ण बाइबल को पढ़ना हमारे लिए सहायक है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण और लाभदायक है।  इसलिए मेरा अनुरोध है कि इस वर्ष योजना बनायें और इसे पढ़ें।

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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