इसलिए अपना भरोसा न छोड़ो, जिसका महान प्रतिफल है । (इब्रानियों 10:35)
संसार के पास प्रस्तुत करने के लिए जो कुछ भी है हमें उससे बढ़कर हमारे प्रतिफल के रूप में परमेश्वर की श्रेष्ठता पर चिन्तन करने की आवश्यकता है। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो सभी लोगों के समान हम भी संसार से प्रेम करेंगे और सबके जैसा ही जीवन जीएँगे।
इसलिए, संसार को संचालित करने वाली बातों पर विचार कीजिए, और चिन्तन कीजिए कि परमेश्वर कितना उत्तम और चिरस्थाई है। धन या यौन या सामर्थ्य की ही बात करें और इनके विषय में मृत्यु के सम्बन्ध पर विचार करें। मृत्यु इनमें से प्रत्येक को छीन लेगी। यदि इसी के लिए आप जीते हैं, तो आप बहुत अधिक नहीं पाएँगे, और जो कुछ भी आपको मिलेगा, उसे आप खो देंगे।
परन्तु परमेश्वर का कोष उससे कहीं उत्तम है, जो अन्त तक बना रहता है। यह मृत्यु के पार जाता है। यह धन से उत्तम है क्योंकि सारा धन परमेश्वर के पास है और वह हमारा पिता है। हम उसके उत्तराधिकारी हैं। “यह [सब कुछ] तुम्हारा है, और तुम ख्रीष्ट के हो, और ख्रीष्ट परमेश्वर का है (1 कुरिन्थियों 3:22-23)।
यह यौन से उत्तम है। यीशु ने यौन सम्बन्ध कभी नहीं बनाया, और वह सर्वाधिक सम्पूर्ण और सिद्ध मनुष्य था और वही सर्वदा रहेगा। यौन एक परछाई है — एक प्रतिरूप — एक महान वास्तविकता का, एक ऐसे सम्बन्ध और आनन्द का जो सबसे उत्कृष्ट यौन को भी एक जम्हाई के समान प्रतीत होने वाला बना देगा।
परमेश्वर का प्रतिफल सामर्थ्य से उत्तम है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सन्तान होने से बढ़कर कोई मानवीय सामर्थ्य नहीं है। “क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे?” (1 कुरिन्थियों 6:3)। “जो जय पाए उसे मैं अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने दूँगा, जैसे मैं भी जय पाकर पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठा हूँ” (प्रकाशितवाक्य 3:21)।
और यह कभी समाप्त नहीं होता है। संसार के पास जो कुछ भी हमें देने के लिए है, परमेश्वर उससे कहीं उत्तम और चिरस्थायी है।
इनमें कोई तुलना ही नहीं है। परमेश्वर प्रत्येक बार — विजयी होता है। प्रश्न यह है: क्या हम उसको प्राप्त करेंगे? क्या हम इस चकाचौंध कर देने वाले संसार की अवचेतन अवस्था से जागेंगे और देखेंगे और विश्वास करेंगे तथा उसमें आनन्द मनाएँगे और उससे प्रेम करेंगे जो कि सच में वास्तविक है और असीम रूप से मूल्यवान, तथा चिरस्थायी है?