एकमात्र स्थाई प्रसन्नता
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

“तुम्हें अभी तो शोक है, परन्तु मैं तुमसे फिर मिलूँगा और तुम्हारे हृदय आनन्दित होंगे, और तुम्हारे आनन्द को कोई तुम से छीन न लेगा।” (यूहन्ना 16:22)

“तुम्हारे आनन्द को कोई तुम से छीन न लेगा” क्योंकि तुम्हारा आनन्द यीशु के साथ रहने से आता है, और यीशु के पुनरुत्थान का अर्थ है कि तुम कभी भी न मरोगे; तुम कभी भी उससे अलग नहीं किए जाओगे।

इसलिए यदि आपके आनन्द को आपसे कभी नहीं छीना जाना है तो दो बातों को सत्य होना होगा। पहली बात, आपके आनन्द के स्रोत  का सदैव बना रहना और दूसरी बात स्वयं आपका  सदैव बना रहना। यदि आप या आपके आनन्द का स्रोत मरणशील है तो आपका आनन्द आपसे छिन जाएगा।

पर ओह कितने लोग केवल इस तुच्छ बात के लिए तैयार हो गए हैं! वे कहते हैं कि खाओ, पिओ और चैन से रहो, क्योंकि कल तो मरना ही है, और कहानी यहीं समाप्त हो जाएगी (लूका 12:19)। भोजन सदा नहीं बना रहेगा, और मैं सदा नहीं बना रहूँगा। इसलिए, आओ जब तक अवसर है यहीं की बातों में आनन्द लें। यह कितने दुःख की बात है!

यदि आप इस रीति से सोचने के लिए प्रलोभित होते हैं, तो इस बात पर जितना हो सके उतनी गम्भीरता से विचार कीजिए कि यदि आपका आनन्द यीशु के साथ रहने से आता है, “तो कोई आपका आनन्द आपसे छीन नहीं सकता है” — न इस जीवन में, और न ही आने वाले जीवन में।

न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान की बातें, न भविष्य की बातें, न शक्तियाँ,  न ऊँचाई, न गहराई, और न कोई सृजी हुई वस्तु हमसे हमारे आनन्द को, जो हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट में है, छीन सकेगी (रोमियों 8:38-39)।

यीशु के साथ रहने में आनन्द एक ऐसी रेखा के समान है जो अब से लेकर अनन्तकाल तक कभी नहीं टूटेगी। यह कदापि नहीं  टूटेगी — न उसकी मृत्यु से और न ही हमारी मृत्यु से।

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