जब हम अपने परिवार, मित्र या कलीसिया के किसी भी जन के मृत्यु के विषय में सुनते हैं, अथवा जब भी हम किसी के अन्तिम संस्कार में जाते हैं, तो हम एक सत्य का सामना करते हैं। वह सत्य यह है कि हम सब एक दिन अवश्य ही मरेंगे। हमारा जीवन अधिकतर अपने भविष्य निर्माण, विवाह, बच्चों के भविष्य, माता-पिता का नाम ऊँचा करने, संसार में नाम कमाने तथा अपने सपनों को पूरा करने में बीतता है। और प्राय: हम एक महत्वपूर्ण सच्चाई- मृत्यु के विषय में विचार नहीं कर पाते। जब हम अपने परिवार के सदस्य, मित्र, या प्रियजन की मृत्यु के विषय में सुनते हैं तो हम दुखी होते हैं। इसके साथ ही हमारे पास अवसर होता है कि हम मृत्यु सम्बन्धी सच्चाईयों पर विचार करें। एक ख्रीष्टीय होने के नाते हम मृत्यु सम्बन्धित इन पाँच सच्चाईयों को स्वयं को स्मरण दिला सकते हैं।
मृत्यु प्रकट करती है कि हमारा जीवन यहाँ अस्थायी है: किसी की मृत्यु स्मरण दिलाती है कि हमारा जीवन भी क्षणिक है: प्राय: लोगों के लिए आसान है कि हम बहुत सारे विषयों के विषय में बात कर लें, किन्तु मृत्यु के विषय में बात करने से लोग भयभीत होते हैं। किन्तु ख्रीष्टीय मृत्यु के विषय में प्राय: विचार करते हैं। मृत्यु के विषय में अनदेखा करना हमारी बुद्धिमानी नहीं है। जब हम किसी के अन्तिम संस्कार में सम्मिलित होते हैं तो हमें स्मरण आता है कि हमारा जीवन इस पृथ्वी पर क्षणिक है। हमारे पास भविष्य की बहुत सारी योजनाएँ हो सकती हैं, फिर भी हम यह नहीं जानते कि कल हमारे जीवन का क्या होगा। स्मरण रखिए हमारा जीवन तो इस पृथ्वी पर भाप के समान हैं, जो थोड़ी देर दिखाई देती और फिर अदृश्य हो जाती है (याकूब 4:14)।
हमारी मृत्यु पर परमेश्वर का अधिकार है: यद्यपि हमारी मृत्यु किसी भी समय हो सकती है, लेकिन हमारी अन्तिम साँस पर परमेश्वर का ही अधिकार है। जब हम इस बात को समझते हैं कि परमेश्वर के हाथों में हमारा जीवन और मृत्यु है तो हम अपने प्रियजनों के खोने पर कुड़कुड़ाते नहीं है वरन् उन परिस्थिति में भी परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं। स्मरण रखिए, परमेश्वर अपनी योजना में जब चाहेगा हमें इस संसार से बुला लेगा। यीशु ने मृत्यु को सदा काल के लिए हरा दिया है। केवल ख्रीष्ट ही है जिसके पास मृत्यु की कुंजियाँ हैं (प्रकाशितवाक्य 1:18)। इसलिए हमारी मृत्यु शैतान के आदेश के अनुसार नहीं होती वरन हम प्रभु जी की इच्छा से उसकी निर्धारित समय और योजना में मरते हैं!
मृत्यु हमारा अन्त नहीं है: विश्वासियों को मृत्यु से भयभीत नहीं होना है क्योंकि मृत्यु की मृत्यु कर दी गई है। जो ख्रीष्ट यीशु में विश्वास करते हैं उन्हें मृत्यु का भय नहीं है। मृत्यु हमारा अन्त नहीं है क्योंकि यीशु मृत्यु पर विजयी हुआ है। वही है जो हमारे पापों के अनन्त दण्ड से हमें बचा सकता है। यीशु हमारे लिए देहधारी हुआ और उसने हमारे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही। वह मरा और उसने मृत्यु पर जय पाई है। वह तीसरे दिन मृतको में से जी उठा है। उसकी कहानी कब्र में समाप्त नहीं हो गई, इसलिए वे जो उस पर विश्वास करते हैं उनका मृत्यु कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। हम मरेंगे किन्तु हम मरेंगे नहीं क्योंकि हमें मृत्यु पर विजय अपने कार्यों से नहीं मिली है वरन् यीशु के कार्य द्वारा मिली है। यीशु ने मृत्यु के डंक को तोड़ डाला है (1 कुरिन्थियों 15:55)।
मृत्यु के बाद वास्तव में अनन्त काल का जीवन आरम्भ होगा: परमेश्वर ने अपने पुत्र को दण्डित अपराधियों के संसार में भेजा ताकि उसे बचाए और उन सभी को अनन्त जीवन दे जो विश्वास करते हैं (यूहन्ना 3:16-18)। यीशु ही एकमात्र नाम है जो हमारे उद्धार के लिए दिया गया है। जो लोग यीशु पर भरोसा रखते हैं वे मरने के बाद जिलाए जाएंगे और परमेश्वर के साथ अनन्त काल तक आनन्द मनाएंगे। यीशु क्रूस पर मारा गया लेकिन वह कब्र में मरा पड़ा ही नहीं रहा वरन वह जी उठा है (रोमियों 6:9)। यीशु मृतकों में से जी उठा है इसलिए हम भी जिलाए जाएंगे (रोमियों 8:11)। इसलिए जो ख्रीष्ट यीशु में विश्वास करते हैं उन्हें मृत्यु का भय नहीं है (यूहन्ना 14:1-3; 2कुरिन्थियों 5:6-8)।
मृत्यु के बाद हम महिमामय देह पाएंगे: इस संसार में हमारी देह पीड़ा, दुख, बिमारी एवं पाप से ग्रस्त है, और हमारी देह जो मिट्टी से बनी है एक दिन मिट्टी में मिल जाएगी। परन्तु हमारी कहानी यहीं समाप्त नहीं हो जाएगी। हम जानते हैं कि हमारी नागरिकता स्वर्ग की है और हम उत्सुकता के साथ ख्रीष्ट के आगमन की प्रतिक्षा कर रहे हैं। एक दिन हमारा प्रभु जिसके पास महिमामय देह है, वह हमारी दीन-हीन देह का रूप बदल कर, अपनी महिमामय देह के अनुरूप बना देगा। (फिलिप्पियों 3:20-21) वे लोग जो यीशु पर विश्वास करते हैं वे मृत्यु के बाद उसकी उपस्थिति में अनन्त काल तक रहेंगे। इसलिए जो लोग प्रभु में मरते हैं, वे धन्य हैं (प्रका. 14:13)।
ख्रीष्ट जो अभी स्वर्ग में है वह विश्वासियों को अपनी उपस्थिति में ले जाएगा। (प्रेरितों के काम 1:2; 3:21; 1 थिस्सलुनीकियों 1:10; 4:16; 2 थिस्सलुनीकियों 1:7)।विश्वासी मृत्यु से भयभीत नहीं होते क्योंकि वे जानते हैं कि मृत्यु के बाद यीशु उन्हें महिमामय देह प्रदान करेगा।
बाइबल बताती है कि जिनका नाम जीवन की पुस्तक में नहीं है वे अनन्त काल तक नरक की आग में दण्ड भोगेंगे और परमेश्वर की महिमा से दूर होंगे (2 थिस्सलुनीकियों 1:9)। इसलिए यीशु के पास आइये, पश्चाताप करिए और उस पर अनन्त जीवन के लिए भरोसा करिए। यदि हम ख्रीष्ट पर भरोसा रखते हैं तो हम मृत्यु से भयभीत नहीं होगें क्योंकि मृत्यु के बाद हम सदा तक उसके साथ रहेंगे।