भले संकल्पों को पूर्ण करने के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य की खोज करने का अर्थ यह नहीं है कि हम वास्तव में संकल्प नहीं करते हैं, या हम वास्तव में इच्छाशक्ति का उपयोग नहीं करते हैं।
परमेश्वर की सामर्थ्य का कार्य करना कभी भी हमारी इच्छा के कार्य करने का स्थान नहीं ले सकता है। पवित्रीकरण (sanctification) में परमेश्वर की सामर्थ्य हमें कभी भी निष्क्रिय नहीं बनाती है। परमेश्वर की सामर्थ्य हमारी इच्छा के अधीन या उसके पीछे और उसके भीतर कार्य करती है, न कि हमारी इच्छा के स्थान पर।
हमारे जीवन में परमेश्वर की सामर्थ्य का प्रमाण हमारी इच्छा करने की अनुपस्थिति नहीं, परन्तु हमारी इच्छा करने की सामर्थ्य, तथा हमारी इच्छा करने का आनन्द है।
जो कोई भी कहता है, “मैं तो परमेश्वर की सम्प्रभुता पर विश्वास करता हूँ और इसलिए मैं बैठा रहूँगा और कुछ नहीं करूँगा,” वह व्यक्ति तो वास्तव में परमेश्वर की सम्प्रभुता पर विश्वास नहीं करता है। क्योंकि परमेश्वर की सम्प्रभुता पर विश्वास करने वाला व्यक्ति इतने स्पष्ट रूप से उसकी अवज्ञा क्यों करेगा?
जब आप बिना कुछ किये बैठे रहते हैं, तो ऐसा नहीं है कि आप कुछ नहीं कर रहे हैं। आप सक्रियता से अपनी इच्छा-शक्ति को बैठे रहने के पक्ष में निर्णय लेने में उपयोग कर रहे हैं। और यदि इसी रीति से आप अपने जीवन में पाप या प्रलोभन का सामना करते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से अवज्ञा है, क्योंकि हमें कुशलता से लड़ने (1 तीमुथियुस 1:18) और शैतान का सामना करने (याकूब 4:8) और पवित्रता के खोजी बनने (इब्रानियों 12:14) और शरीर के कार्यों को नष्ट करने (रोमियों 8:13) की आज्ञा मिली है।
2 थिस्सलुनीकियों 1:11 कहता है कि हम परमेश्वर की सामर्थ्य के द्वारा अपनी भली इच्छा (संकल्प) और अपने विश्वास के कार्यों को पूरा करेंगे। परन्तु यह बात “इच्छा” (संकल्प) और “कार्य” इन दोनों शब्दों के अर्थ को अमान्य नहीं ठहराता है। परमेश्वर की बुलाहट के योग्य चलने की पूरी प्रक्रिया का एक भाग यह भी है कि हम धार्मिकता का जीवन जीने का संकल्प लेने में अपनी इच्छा-शक्ति का सक्रिय उपयोग करें।
यदि आपके जीवन में पाप बना हुआ है, या यदि आप किसी भले कार्य की अवहेलना किए जा रहे हैं केवल इसलिए क्योंकि आप बिना लड़ाई के बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो आप अपनी अनाज्ञाकारिता में वृद्धि करते जा रहे हैं। परमेश्वर कभी भी सामर्थ्य के साथ किसी अन्य ढंग से आपके द्वारा उस इच्छा-शक्ति के उपयोग किये बिना आपकी इच्छा-शक्ति में प्रकट नहीं होगा; अर्थात् आपके भले संकल्पों—आपकी भली मनसाओं और योजनाओं और उद्देश्यों के बिना।
इसलिए, परमेश्वर की सम्प्रभुता पर विश्वास करने वाले लोगों को पवित्रता के संघर्ष में अपनी इच्छा-शक्ति को उपयोग करने से भयभीत नहीं होना चाहिए। “सकरे द्वार से भीतर जाने का यत्न करो, क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि बहुत-से हैं जो प्रवेश करने का यत्न तो करेंगे पर सफल न होंगे” (लूका 13:24)। केवल इस विश्वास में यत्न करें कि आपके यत्न करने में और आपके यत्न करने के माध्यम से परमेश्वर अपनी सुइच्छा को प्रोत्साहित करने और पूरा करने के लिए सक्रिय है (फिलिप्पियों 2:13)।