अज्ञानता अभक्ति को सुनिश्चित करती है

March 23, 2025

अज्ञानता अभक्ति को सुनिश्चित करती है

उसकी ईश्वरीय सामर्थ्य ने उसी के पूर्ण ज्ञान के द्वारा जिसने हमें अपनी महिमा और सद्भावना के अनुसार बुलाया है, वह सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें प्रदान किया है। (2 पतरस 1:3)

मैं उस सामर्थ्य से अचम्भित हूँ जिसका श्रेय बाइबल, ज्ञान को देती है।

2 पतरस 1:3 को फिर से सुने: “[परमेश्वर की] ईश्वरीय सामर्थ ने उसी के पूर्ण ज्ञान के द्वारा  जिसने हमें अपनी महिमा और सद्भावना के अनुसार बुलाया है, वह सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है . . . प्रदान किया है।”

वास्तव में, जीवन जीने और ईश्वरभक्त होने के लिए परमेश्वर से मिलने वाली सारी सामर्थ्य ज्ञान के द्वारा आती है! अद्भुत! हमें पवित्रशास्त्र में सिद्धान्त  और निर्देश  को कितना ही महत्व देना चाहिए! जीवन और भक्ति दाँव पर लगे हुए हैं।

बात यह नहीं है कि ज्ञान होना भक्ति को सुनिश्चित करता है। ऐसा नहीं होता है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि अज्ञानता अभक्ति को सुनिश्चित करती है। क्योंकि, पतरस कहता है, कि ईश्वरीय सामर्थ्य जो भक्ति की ओर ले जाती है वह परमेश्वर के ज्ञान  के द्वारा दी जाती है।

यहाँ तीन बातें निहितार्थ हैं, एक चेतावनी है, और एक प्रोत्साहन है।

1. पढ़ें! पढ़ें! पढ़ें!  परन्तु ईश्वरविज्ञान के उथले और अस्थिर बातों में अपने समय को व्यर्थ में गँवाने से सावधान रहें। “जिसने आपको अपनी महिमा और उत्कृष्टता के लिए बुलाया है” उसके विषय में सिद्धान्त-सम्पन्न पुस्तकें पढ़ें।

2. विचार करें! विचार करें!  थोड़ा ठहरिए। जब आप बाइबल को पढ़ते हैं तो यह सोचने के लिए समय निकालें कि इसका क्या अर्थ है। प्रश्नों को पूछें। डायरी में लिखें। जटिल बातों से स्वयं को नम्रतापूर्वक व्याकुल होने दें। बहुधा अत्यन्त गहरी अन्तर्दृष्टियाँ, सत्य के वृक्ष पर प्रतिरोधी प्रतीत होने वाली दो शाखाओं की एकीकृत जड़ को देखने के प्रयास से प्राप्त होती हैं।

3. चर्चा करें। चर्चा करें।  एक छोटे समूह का भाग बनें जो सत्य के प्रति पूर्ण रीति से समर्पित है। एक ऐसा समूह नहीं, जिसे केवल बात करना और समस्याएँ उत्पन्न करना अच्छा लगता है। परन्तु एक ऐसा समूह जो कि यह विश्वास करता है कि बाइबलीय समस्याओं के लिए बाइबलीय उत्तर हैं, और उन्हें ढूँढ़ा जा सकता है।

चेतावनी : “अ‍ज्ञानता के कारण मेरी प्रजा नाश हो जाती है” (होशे 4:6)। “उनमें परमेश्वर के लिए धुन तो है, परन्तु ज्ञान के अनुसार नहीं” (रोमियों 10:2)। इसलिए अज्ञानता के घातक प्रभावों से सावधान रहें।

प्रोत्साहन: “आओ, ज्ञान की खोज करें, वरन् यहोवा के ज्ञान को यत्न से ढूँढ़ें” (होशे 6:3)।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. अज्ञानता अभक्ति को सुनिश्चित करती है (Current)

    जॉन पाइपर | March 23, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025