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एक विश्वासी के जीवन में वचन क्यों महत्वपूर्ण है?

जैसे हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए सही भोजन की आवश्यकता होती है वैसे ही हमारे आत्मिक जीवन को स्वस्थ रखने के लिए हमें परमेश्वर के वचन की आवश्यकता होती है। परमेश्वर का वचन हमारे लिए आत्मिक आहार के सदृश है, जो हमें आत्मिक रीति से स्वस्थ बनाए रखता है। इसलिए आइए हम देखें कि एक विश्वासी के जीवन में परमेश्वर का वचन क्यों महत्वपूर्ण है –  

1. सुसमाचार की सही समझ के लिए 

सुसमाचार की सही समझ में बढ़ने के लिए हमें परमेश्वर के वचन की आवश्यकता है। सुसमाचार ख्रीष्टीय जीवन का आधार है। परमेश्वर का वचन ही हमें सुसमाचार के विभिन्न पहलुओं के विषय में बताता है। परमेश्वर के वचन में हम पाते हैं कि – प्रभु यीशु ख्रीष्ट ने हमारे असंख्य पापों को क्षमा किया है। और परमेश्वर पिता ने हमें यीशु ख्रीष्ट में जगत की उत्पत्ति से पहले चुन लिया है (इफिसियों 1:4), परमेश्वर ने हमें ख्रीष्ट में लेपालक पुत्र बनाया है (इफिसियों 1:5), हमें यीशु ख्रीष्ट के लहू के द्वारा छुटकारा मिला है (इफिसियों 1:7)। 

उपर्युक्त समस्त बातें परमेश्वर के वचन में पायी जाती हैं। यह सभी बातें हमें सांसारिक पुस्तकों में नहीं मिलेगी, संसार का ज्ञान हमें नहीं बताएगा कि परमेश्वर कौन है और परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है। जब हम परमेश्वर के वचन को पढ़ेंगे तभी हम इन बातों को जानने पाएँगे। इसलिए हमें सुसमाचार की सही समझ के लिए परमेश्वर के वचन की आवश्यकता है। 

2. आत्मिक जीवन में बढ़ने के लिए 

परमेश्वर का वचन हमें सुसमाचार की सही समझ प्रदान करने के साथ-साथ हमें आत्मिक जीवन में बढ़ने में सहायता करता है। आत्मिक जीवन में बढ़ने का अर्थ ख्रीष्ट के जैसे बनना है। हम ख्रीष्ट यीशु के समान तब ही बन पाएँगे, जब तक हम ख्रीष्ट को नहीं जानेंगे। और ख्रीष्ट यीशु को जानने के लिए हमें परमेश्वर के वचन को पढ़ने की आवश्यकता है, उसको अध्ययन करने की आवश्यकता है। जितना अधिक हम परमेश्वर के वचन को पढ़ेंगे, हम ख्रीष्ट की पवित्रता को देखने पाएंगे और साथ ही साथ हम अपने पाप को देखने पाएंगे। और यही ख्रीष्टीय जीवन का लक्ष्य है कि हम यीशु ख्रीष्ट के समान बनते चले जाएँ।  

3. शैतान का सामना करने हेतु सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए 

पौलुस प्रेरित इफिसुस के विश्वासियों को प्रोत्साहित करता है कि तुम “प्रभु और सामर्थ्य में बलवान बनो। परमेश्वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र को धारण करो जिस से तुम शैतान की युक्तियों का दृढ़ता पूर्वक सामना कर सको” (इफिसियों 6:10-11)। 

शैतान हमें पाप की ओर धकेलता है। परन्तु परमेश्वर ने हमें उस शैतान से लड़ने के लिए अपना सामर्थी और जीवित वचन दिया है जो कि परमेश्वर का अस्त्र-शस्त्र है (इफिसियों 6:11) परमेश्वर का अस्त्र-शस्त्र पद 14 में सत्य है जो कि परमेश्वर का वचन है। जब हम परमेश्वर के वचन को धारण करेंगे, परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन जीएँगे तो हम परमेश्वर की सामर्थ और शक्ति में बलवान होते जाएँगे और शैतान का सामना करने पाएँगे। 

अत: हमने देखा कि परमेश्वर का वचन हमारे लिए अर्थात् हम विश्वासियों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है। प्रभु हमारी और आपकी सहायता करे कि हम परमेश्वर के वचन को अत्याधिक महत्व दें, उसको महत्वपूर्ण समझ सकें। और परमेश्वर के वचन को अपने आत्मिक जीवन के लिए भोजन के समान प्रतिदिन लेने वालें हो सकें। 

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अमित मोज़ेज
अमित मोज़ेज

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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