कलीसियाई आराधना के लिए स्वयं को कैसे तैयार करें?

हम कहीं पर, कुछ विशेष कार्य के लिए या विशेष अवसरों में उपस्थित होने के लिए जाते हैं, तो उसकी हम तैयारी करते हैं। किन्तु प्राय: विश्वासी जीवन में यह देखने को मिलता है कि कलीसियाई रीति से आराधना के लिए अधिकतर हम तैयारी नहीं करते हैं। परन्तु वास्तव में जब विश्वासी एक-दूसरे के साथ प्रभु की आराधना के लिए इकट्ठे होते हैं तो यह बहुत अद्भुत समय होता है। हम परमेश्वर की उपस्थिति में उसके भक्तों के साथ उसकी महिमा करते हैं। इसलिए हमारे लिए आवश्यक है कि हम मण्डली में साथ में परमेश्वर की आराधना करने से पहले स्वयं की तैयारी करें।

आईये हम कुछ इन व्यावहारिक बातों को अपनाकर स्वयं को कलीसियाई आराधना के लिए तैयार करें।

1. प्रचार होने वाले खण्ड को ध्यानपूर्वक पढ़ लें – जिस खण्ड से प्रचार होना है, अच्छा है कि वह खण्ड स्वयं या परिवार के साथ पढ़ें, उस पर मनन करें। आराधना के मुख्य विषय, पवित्रशास्त्र के विषय से सम्बन्धित खण्डों, गीत के शब्दों को पढ़ें। यह हमारे मस्तिष्क को आराधना के लिए उत्साहित करता है। यदि हमें कलीसिया द्वारा बुलेटिन या व्हाट्सएप द्वारा आराधना की सामग्री प्राप्त होती है तो उस पर ध्यान दें।

2. प्रार्थना में समय व्यतीत करें- हो सकता है कि हम सप्ताह में प्रार्थना के लिए अधिक समय न निकाल पाएं हो, तो यह अच्छा अवसर है कि रविवार की आराधना के लिए स्वयं के लिए प्रार्थना करें तथा कलीसिया के अन्य विश्वासियों के लिए प्रार्थना करें। वचन के प्रचार के लिए प्रार्थना करें। कलीसिया में अगुवाई करने वाले, बाइबल पढ़ने वाले, तथा गीत गाने वाले समूह के लिए प्रार्थना करें। इसके साथ ही प्रचारक के लिए प्रार्थना करें कि वह खण्ड का विश्वासयोग्यता से प्रचार कर सके।

3. कलीसिया में सेवा हेतु स्वयं को तैयार करें – कलीसिया में सेवा का कार्य प्रत्येक विश्वासी को सौंपा गया है। प्रत्येक विश्वासी परमेश्वर के आत्मिक परिवार में महत्वपूर्ण है और वह इस परिवार में प्रभु की देह की उन्नति में योगदान करता है। हमें चाहिए कि हम कलीसिया में छोटे-छोटे कार्यों में स्वयं को सम्मिलित करें। चाहे बच्चों को पढ़ाने, इकट्ठे होने के स्थान को तैयार करने, लोगों का स्वागत करने, वाद्य-यन्त्रों को व्यवस्थित करने या प्रभु-भोज के लिए आवश्यक चीजों को जुटाने इत्यादि कार्यों में सहायता करने के लिए योजना बना सकते हैं। आराधना के बाद विश्वासियों के साथ संगति करने की योजना बनाएं। 

4. स्थानीय कलीसिया में समय देने के लिए अन्य योजनाओं को स्थगित करें – हमारे सामने कभी-कभी बच्चों के स्कूल में छुट्टी होने या ऑफिस में छुट्टी होने के कारण प्रलोभन यह होता है कि रविवार को कहीं घूमने की योजना बनाएं, या रिश्तेदारों के घर होकर आएं। या ऑफिस में अतिरिक्त धन अर्जित करने के लिए छुट्टी का लाभ उठाकर अतिरिक्त कार्य करें। परन्तु विश्वासी होने के नाते हमें अपने स्थानीय कलीसिया में उपस्थित होने के महत्व को समझना चाहिए और अपनी पारिवारिक योजनाओं, यात्राओं को यदि सम्भव है तो स्थगित करने का प्रयास करना चाहिए और स्थानीय कलीसिया में संगति के लिए समय निकालना चाहिए।

5. दूसरे विश्वासियों को रविवारीय आराधना के लिए आमन्त्रित करें- हमें स्वयं को आराधना के लिए तैयार करना है, साथ ही साथ हम कलीसिया के अन्य विश्वासियों को फोन कर सकते हैं, मैसेज भेज कर उन्हें आराधना में आने के लिए उत्साहित कर सकते हैं। इससे अन्य भाई-बहन भी रविवार की आराधना के लिए उत्साहित होंगे और वे कलीसिया के महत्व को समझेंगे। ख्रीष्ट की देह के अंग होने के नाते यह प्रत्येक सदस्य का उत्तरदायित्व है कि वह विश्वासी भाई/बहनों को कलीसियाई संगति में निरन्तर बने रहने के लिए उत्साहित करें। 

6. व्यवहारिक बातों को पहले से ही सुनिश्चित कर लें- विश्वासियों के लिए अच्छा है कि वे रविवार को आराधना में सम्मिलित होने के लिए अपनी योजनाओं को बना लें। आराधना स्थल तक पहुँचने के लिए साधन की व्यवस्था कर लें। परिवार में बच्चे हैं तो उनके सामान व्यवस्थित कर लें, उनके खाने-पीने की वस्तुएं रख लें। भेंट देने के लिए (धन) की पहले से व्यवस्था कर लें। इससे आप उस दिन होने वाले असुविधा और अन्य समस्या से बचेंगे और आप अपना समय आराधना में सही रीति से दे सकेंगे। 

7. आराधना में सम्मिलित होने से पहले की रात पर्याप्त विश्राम लें- अधिकाँश यह होता है कि सप्ताह भर ऑफिस में कार्य करने, पढ़ाई करने, घर के काम करने के बाद शनिवार को लोग बहुत देर तक मनोरंजन, तथा बाहर जाकर खाना खाने तथा अन्य कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। जिसके कारण रविवार को देर तक सोते हैं और आराधना में देर में पहुँचना, तथा वचन में मन न लगना, लोगों के साथ संगति रखने में रूचि नहीं लेते हैं। इसलिए विश्वासियों को चाहिए कि वे आराधना के एक दिन पहले शाम को जल्दी सोएं। मोबाइल, टीवी, इंटरनेट पर देर रात तक समय व्यतीत न करें ताकि वे दूसरे दिन समय से उठ सकें और बच्चों को समय से तैयार कर लें और समय से आराधना स्थल पर पहुँच सकें। 

8. प्रभु की महिमा करने के भाव से कलीसियाई आराधना में सम्मिलित हों।- हम सप्ताह में एक बार कलीसियाई आराधना के लिए इकट्ठे होते हैं। तो अवश्य है कि हम पूरे हृदय के साथ, कृतज्ञता के भाव में परमेश्वर की आराधना उसके सन्तों के साथ करें। केवल नाम के लिए ही कलीसियाई संगति में न आएं, वरन ख्रीष्ट की महिमा करने के लिए आएं। कलीसिया में लोगों को दिखाने के लिए उपस्थित मत हों वरन प्रभु की महिमा के लिए आएं। परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी आराधना उसके वचन के अनुसार करें तो अवश्य है कि हम पवित्रता के साथ, आदर भाव से उसके लोगों के साथ मिलकर उसकी आराधना के लिए स्वयं को तैयार करें।

9. केवल सन्देश सुनने के लिए नहीं वरन संगति के लिए भी आएं। कलीसियाई आराधना में परमेश्वर के वचन से सुनना बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। जिसमें हम प्रचारक द्वारा बाइबल से सन्देश सुनते हैं जो हमारे जीवन को वचन से पोषित करता है। किन्तु सन्देश सुन लेना ही पर्याप्त नहीं है। यह अच्छा होगा कि अन्य लोगों से प्रचार किए गए सन्देश के विषय में बात करने के लिए तैयारी करें। सम्भव हो तो लोगों को अपने घर आमन्त्रित करें ताकि आप उनकी पहुँनाई कर सकें और जो उन्होंने वचन से सीखा है उस पर समय लेकर बात-चीत कर सकें। दूसरों को वचन से उत्साहित करें, दूसरों की समयस्याओं, पाप से संघर्षों को सुने और उनको परामर्श दें।

एक ख्रीष्टीय के लिए, वास्तव में एक-साथ यीशु के लहू द्वारा बचाए गए लोगों के साथ मिलकर आराधना करना सौभाग्य की बात है। जिस प्रकार से हम यहाँ एक साथ आराधना करते हैं वैसे ही हम स्वर्ग में आराधना करेंगे। यहाँ पर कलीसियाई रीति से आराधना उस अनन्त आराधना की झलक है। इसलिए हमें स्वयं को तैयार करना चाहिए और स्वयं को जाँचते हुए और अधिक आराधना के लिए उत्साहित रहना चाहिए।

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