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नया वर्ष परमेश्वर की महिमा के लिए है।

आज हम नये वर्ष 2023 में प्रवेश कर चुके हैं। हम सबके पास इस वर्ष करने के लिए बहुत सारी योजनाएं होंगी। किसी के पास अच्छी नौकरी पाने, विवाह करने, घर बनाने तथा भिन्न प्रकार की योजनाएं हैं। किसी को बहुत सारा धन बचाने का लक्ष्य, कहीं घूमने जाने, अपने शरीर को फिट रखने, नियमित व्यायाम करने, पौष्टिक आहार लेने, किसी के पास अपने धन का सही रीति से अच्छी कम्पनी में निवेश की बेहतर योजनाएं होंगी। विद्यार्थियों को अच्छे अंक पाने, पास्टरों को सेवकाई में बेहतर करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ होंगी।

एक ख्रीष्टीय होने के नाते हमारा इस वर्ष जीने का लक्ष्य इस संसार की वस्तुएं, नाम, सम्मान नहीं है। एक ख्रीष्टीय जन का लक्ष्य ख्रीष्ट के लिए जीवन जीना है।

परन्तु ध्यान दें, कि हमारे जीवन का केन्द्र बिन्दु कौन है? किसने हमें इस संसार में रखा है? कौन है जिसके लिए हमें यह वर्ष जीने की आवश्यकता है? संसार के सब लोग विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाते हैं और उसको पूरा करने में पूरे वर्ष, अपना तन, मन और धन लगाते हैं। किन्तु एक ख्रीष्टीय होने के नाते हमारा इस वर्ष जीने का लक्ष्य इस संसार की वस्तुएं, नाम, सम्मान नहीं है। एक ख्रीष्टीय जन का लक्ष्य ख्रीष्ट के लिए जीवन जीना है।

आइए, हम स्मरण करें कि बीते वर्ष परमेश्वर ने अपनी दया में होकर किस प्रकार से हमें प्रत्येक परिस्थितियों में सम्भाला है। कोविड के समय लॉकडाउन के मध्य में बहुत सारे दुख, पीड़ाओं, आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। हम में से कितनों ने अपने कलीसिया के प्रियजनों, परिवार के सदस्यों को खोया। विभिन्न प्रकार के दुख हमारे जीवन में आए। किन्तु जब हम 2022 वर्ष की ओर पीछे मुड़कर दृष्टि करते हैं, तो पाते हैं कि भले ही बहुत सारे दुख हमारे जीवन में आए हों, भले ही अपनों ने हमें आवश्यकता के समय भूला दिया हो, भले ही हमें भयंकर बीमारियों के मध्य में से होकर जाना पड़ा हो, परन्तु उन सब के मध्य केवल ख्रीष्ट ही हमारा सहायक रहा। अन्धकार की प्रबल शक्तियों के मध्य वह हमारा शरणस्थान रहा। परमेश्वर की स्तुति हो क्योंकि वह हमारा रक्षक है।  

यहाँ का सब कुछ एक दिन समाप्त हो जाएगा, परन्तु ख्रीष्ट युगानुयुग तक एक सा है। हमारा जीवन ख्रीष्ट में छिपा है, इसलिए उसकी महिमा के लिए जीवन जिएं।

अभी हमने पिछला वर्ष समाप्त किया, और यदि हम अपने जीवन का अवलोकन करें तो पाएंगे कि हमें जिस प्रकार से यीशु ख्रीष्ट के जैसा जीवन जीना चाहिए था, हम वैसा जीवन जीने में प्राय: चूके हैं। हमने अपने स्वार्थ, नाम, सम्मान, धन, परिवार, स्वास्थ्य पर भरोसा रखते हुए प्राय: परमेश्वर की महिमा के लिए जीवन जीने में चूके हैं। जिस प्रकार से हमें उसके वचन में समय व्यतीत करना चाहिए था, प्रार्थना में समय व्यतीत करना चाहिए था, कलीसियाई जीवन में एक-दूसरे की चिन्ता नहीं की, एक -दूसरे का भार नहीं उठाया। अपने घमण्ड के कारण हमने विघटित सम्बन्धों को जोड़ने में कठिनाई का अनुभव किया।

परन्तु जब आज हम नये वर्ष में प्रवेश किए हैं, आइये हम अपना जीवन ख्रीष्ट के लिए जिएं। आइये हम पौलुस द्वारा कही गई बात को स्मरण रखें, “और वह सब के लिए मरा कि वे जो जीवित हैं आगे को अपने लिए न जीएं परन्तु उसके लिए जीएं, जो उनके लिए मरा और जी उठा।” (2 कुरिन्थियों 5:15)। 

आइये इस वर्ष हम भी पौलुस के समान यह अभिलाषा रखें कि चाहे इस वर्ष में हम ख्रीष्ट के नाम के कारण भले ही कितनी कठिन परिस्तिथियों, सतावों, दुखों में से होकर क्यों न जाएं, फिर भी हम यह अभिलाषा रखें कि हमारे जीवन के द्वारा ख्रीष्ट की महिमा हो, चाहे हम जीवित रहें या मर जाएं। (फिलिप्पियों 1:20)

आइये हम स्मरण रखें कि हम ख्रीष्ट के साथ जीवित किए गए हैं, तो हम अपने मन को इस पृथ्वी पर की वस्तुओं पर न लगाएं। क्योंकि यहाँ का सब कुछ एक दिन समाप्त हो जाएगा, परन्तु ख्रीष्ट युगानुयुग तक एक सा है। हमारा जीवन ख्रीष्ट में छिपा है, इसलिए उसकी महिमा के लिए जीवन जिएं।

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नीरज मैथ्यू
नीरज मैथ्यू
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