फिर भी परमेश्वर के अनुग्रह से मैं अब जो हूँ सो हूँ। मेरे प्रति उसका अनुग्रह व्यर्थ नहीं ठहरा, परन्तु मैंने उन सब से बढ़कर परिश्रम किया, फिर भी मैंने नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह ने मेरे साथ मिलकर किया। (1 कुरिन्थियों 15:10)
अनुग्रह केवल तब हमारे प्रति परमेश्वर की भलाई करने की प्रवृत्ति ही नहीं है जब हम उसके योग्य नहीं हैं। यह परमेश्वर की ओर से एक वास्तविक सामर्थ्य है जो क्रियान्वित होती है तथा हम में और हमारे लिए भली बातों को सम्भव करती है।
यह परमेश्वर का अनुग्रह ही था कि वह पौलुस में क्रियाशील था उससे कठोर परिश्रम करवाने के लिए: “परमेश्वर के अनुग्रह से . . . मैंने उन सब से बढ़कर परिश्रम किया।” इसलिए जब पौलुस कहता है, “अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ,” तो वह फिर यह भी कहता है कि, “स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और अनुग्रह को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है।” (फिलिप्पियों 2:12–13)। अनुग्रह हम में और हमारे लिए भले कार्य करने हेतु परमेश्वर की सामर्थ्य है।
यही अनुग्रह बीते हुए समय में था और यही भविष्य में भी होगा। यह वर्तमान में कभी कम न होने वाले झरने से नित्य-बहता रहता है, जो भविष्य से हमारे पास कभी न समाप्त होने वाली अनुग्रह की नदी से आता है, तथा बीते हुए काल में अनुग्रह के सदा-बढ़ते हुए जलाशय में मिल जाता है।
अगले पाँच मिनटों में, आप सम्भालने वाले अनुग्रह को प्राप्त करेंगे जो भविष्य से आप तक प्रवाहित होता है, तथा आप अतीत के जलाशय में और पाँच मिनट के अनुग्रह को संचित करेंगे। अतीत में आपके द्वारा अनुभव किए गए अनुग्रह के प्रति उचित प्रतिक्रिया धन्यवाद है, और भविष्य में जिस अनुग्रह की प्रतिज्ञा आपसे की गई है उसके प्रति उचित प्रतिक्रिया विश्वास है। हम पिछले वर्ष में प्राप्त अनुग्रह के लिए धन्यवादी हैं, और हम नए वर्ष के लिए भविष्य के अनुग्रह में आश्वस्त हैं।