क्या प्रार्थना में दो या तीन जन मिलकर एक कलीसिया बनाते हैं?

मैंने अनेक लोगों को यह कहते सुना है कि जहाँ कभी दो या तीन प्रभु यीशु के नाम से ए होते हैं वह उनके बीच में है। हम जानते हैं कि परमेश्वर सर्वोपस्थित है। हम सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कहीं भी चले जाएं परमेश्वर की उपस्थिति वहां पायी जाती है (भजन 139)। प्रश्न यह है कि मत्ती 18 में जब प्रभु यीशु कहते हैं कि जहाँ दो या तीन मेरे नाम से एकत्रित हों मैं उनके बीच में हूँ, तो वे किस सन्दर्भ में कह रहे हैं। क्या यहाँ पर आराधना करने और संगति के सन्दर्भ में वह बात कर रहे हैं या फिर किसी अन्य सन्दर्भ में। इससे पहले कि हम इन वचनों का उपयोग करें हम यह जानना आवश्यक है कि उनका उपयोग बाइबल में किस सन्दर्भ में किया गया है। यदि यह पद प्रार्थना, आराधना या संगति के सन्दर्भ में नहीं है तो आइए हम इसके सही सन्दर्भ को देखें।

मत्ती 18:20 क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम में एकत्रित होते हैं, वहां मैं उनके बीच में हूँ।

मैंने इस पद को प्रायः उन लोगों के द्वारा उपयोग करते हुए सुना है जो कलीसियाई आराधना में न आने के बाद अपना बचाव करते हैं। उनके विचार से घर में एक साथ बाइबल पढ़ लेना, ख्रीष्टीय मित्रों के साथ खेल के मैदान या पार्क में मिलकर प्रार्थना कर लेना कलीसियाई आराधना के समान है। क्योंकि प्रभु कहता है “जहाँ दो या तीन मेरे नाम में एकत्रित होते हैं, वहां मैं उनके बीच में हूँ” । इस पद को बिना सन्दर्भ में समझे लोग कहीं भी मिलने को कलीसियाई संगति समझ लेते हैं। जबकि, कलीसिया बपतिस्मा पाए हुए विश्वासियों का समूह है जो नियमित रूप से एक स्थान पर मिलती है, जहां वचन प्रचार के साथ ही बपतिस्मा और प्रभु-भोज की विधियों का पालन किया जाता है। 

पद का सन्दर्भ व अर्थ

प्रभु यीशु ने यह पद रविवारीय आराधना के सन्दर्भ में नहीं परन्तु कलीसियाई अनुशासन के सन्दर्भ में कहा है (पद 15)। जब कोई विश्वासी पाप करता है तो उसे सबसे पहले अकेले में समझाना है, और यदि वह नहीं सुनता है तो फिर दो या तीन जनों के साथ में समझाना है जिससे कि प्रत्येक तथ्य की पुष्टि हो जाए (पद 16)। जब प्रभु के पीछे चलने वाली कलीसिया कोई निर्णय देती है तो प्रभु उनके बीच में होता है (पद 17-20)। 

निष्कर्ष

अतः, कलीसियाई संगति से बचने के लिए इस पद का उपयोग करने के बजाय आइए हम कलीसिया के साथ मिलकर प्रभु की महिमा करें।

साझा करें
प्रेम प्रकाश
प्रेम प्रकाश

सत्य वचन सेमिनरी के अकादिम डीन के रूप में सेवा करते हैं।

Articles: 42