हे मृत्यु, तेरी विजय कहाँ है? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ? मृत्यु का डंक तो पाप है ... परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो जो हमें प्रभु यीशु मसीह के द्वारा विजयी करता है (1 कुरिन्थियों 15:55-57)
आज संसार में अनेक लोग कहते हैं कि जो संसार में आया है वह एक दिन इस संसार से जाएगा, यही मनुष्य की नियति है। किन्तु यह बात यहीं तक सीमित नहीं है। हमारे वर्तमान के जीवन का समाप्त होना ही हमारी नियति नहीं है। यद्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि मृत्यु मनुष्य का अन्तिम गन्तव्य है। बाइबल बताती है कि जैसे आरम्भ में परमेश्वर ने मनुष्य को एक देह और उसमें जीवन का श्वास दिया था, वैसे ही एक दिन वह मनुष्य को पुनः एक नई देह और जीवन देगा। परन्तु यह कैसे सम्भव है कि एक मरे हुए व्यक्ति को नया जीवन और महिमामय देह प्राप्त हो जिस पर मृत्यु का प्रभाव न हो? आइए हम इसके विषय में बाइबल की शिक्षा पर विचार करें कि हम कैसे मृत्यु से छूटकर जीवन में प्रवेश कर सकते हैं?
पुनरुत्थान से पहले मृत्यु ने शासन किया
सृष्टि के रचे जाने के बाद सब कुछ उत्तम रीति से तब तक चलता रहा जब तक कि पाप ने जगत में प्रवेश नहीं किया। और जब पाप आया तो वह अपने साथ मृत्यु को भी जगत में लेकर आया (रोमियों 5:1)। ऐसा प्रतीत होता है कि सम्भवतः मनुष्य की मृत्यु परमेश्वर की मूल योजना का भाग नहीं थी। क्योंकि परमेश्वर ने आदम को बनाने के बाद यह नहीं कहा था कि तुझे मैं इतने वर्षों के लिए बना रहा हूँ उसके बाद तू मर जाएगा। किन्तु परमेश्वर ने आदम से यह कहा था कि जब तू मेरी आज्ञा को उल्लंघन करेगा तब तू अवश्य ही मर जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करना ही पाप है और पाप मृत्यु को शक्ति देता है। इसलिए जब आदम हव्वा ने पाप किया तब परमेश्वर ने मृत्यु को आने दिया, क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है। इसलिए जो लोग व्यवस्था के अधीन हैं उन पर मृत्यु अभी भी शासन करती है, क्योंकि पाप मृत्यु का डंक है और पाप को व्यवस्था से शक्ति प्राप्त होती है (1कुरिन्थियों 15:56)।
अतः जब हम परमेश्वर द्वारा दी गई व्यवस्था की मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं तो हमसे पाप होता है जिसके परिणामस्वरूप हमें मृत्यु मिलती है। और जो व्यक्ति सम्पूर्ण व्यवस्था को पूरी कर लेता है वह धर्मी है और व्यवस्था धर्मियों के लिए नहीं, परन्तु पापियों के लिए है (1तीमुथियुस 1:9)। हम सब परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले पापी हैं इस कारण हम मृत्यु से नहीं बच सकते हैं। इसलिए हमें कोई ऐसा जन चाहिए जो हमारे बदले में सम्पूर्ण व्यवस्था को पूरी करके हमें मृत्यु से बचा सके।
ख्रीष्ट के पुनरुत्थान ने मृत्यु को परास्त कर दिया
आदम से जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पापी है जो न तो स्वयं मृत्यु से बच सकता है और न ही दूसरों को मृत्यु से बचा सकता है। इसलिए स्वयं परमेश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को भेजा जो स्त्री से व्यवस्था के अधीन उत्पन्न हुआ, ताकि जो लोग व्यवस्था के अधीन हैं उन्हें मूल्य चुका कर छुड़ा ले (गलातियों 4:4-5)। परमेश्वर का यह पुत्र यीशु ख्रीष्ट है जिसने बिना कोई पाप किए पवित्रता का जीवन जिया और व्यवस्था की मांगों को सिद्धता से पूरा किया। उसने हमारे पाप की मज़दूरी मृत्यु को अपने ऊपर ले लिया ताकि हम मृत्युदण्ड से बच जाएं। वह क्रूस पर मारा गया और कब्र में रखा गया, किन्तु उसके लिए मृत्यु के वश में रहना असम्भव था (प्रेरितों 2:24)। क्योंकि यीशु के पास अपना प्राण देने और उसे पुनः ले लेने का अधिकार है (यूहन्ना 10:18)। इसलिए उसने मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा मृत्यु को परास्त किया और अब उस पर मृत्यु की प्रभुता नहीं रही (रोमियों 6:9)। ख्रीष्ट ने मृत्यु को केवल अपने लिए ही नहीं परास्त किया परन्तु उसने और भी बहुत से लोगों के लिए भी मृत्यु को परास्त किया। ये लोग वे हैं जिन्होंने अनन्तकाल के जीवन में प्रवेश करने के लिए यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान पर विश्वास किया है। जिस प्रकार आदम के अपराध के कारण मृत्यु ने हम पर शासन किया वैसे ही यीशु ख्रीष्ट के द्वारा हम जीवन में राज्य करेंगे, क्योंकि अब हम पर दण्ड की आज्ञा नहीं परन्तु हम धर्मी ठहरा दिए गए हैं (रोमियों 5:17-18)।
अंतिम पुनरुत्थान में मृत्यु का विनाश होगा
ख्रीष्ट हमारे पापों के कारण पकड़वाया गया और हमारे धर्मी ठहराए जाने के लिए जिलाया गया (रोमियों 4:25)। इसलिए ख्रीष्ट से मिलन होने के कारण हमें भी भविष्य के पुनरुत्थान का आश्वासन प्राप्त होता है। हम एक ऐसे अनन्त जीवन की आशा रख सकते हैं जहाँ कोई शोक, विलाप और पीड़ा नहीं होंगी। यह सब नई सृष्टि में होगा जहाँ कोई मृत्यु नहीं रहेगी। उस समय सभी ख्रीष्टियों के पास महिमामय देह होगी, जिस पर पाप और मृत्यु का कोई प्रभाव नहीं होगा। इस अंतिम पुनरुत्थान के बाद मृत्यु को सदा के लिए नाश कर दिया जाएगा। अंतिम न्याय के समय, सबसे अंतिम शत्रु अर्थात मृत्यु का अन्त किया जाएगा। जिस प्रकार अविश्वासी अनन्त न्याय के भागी होकर आग की झील में डाले जाएंगे उसी प्रकार मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले जाएंगे (प्रकाशितवाक्य 20:14-15)।
अतः यीशु ख्रीष्ट का पुनरुत्थान मृत्यु पर विजय दिलाता है। ख्रीष्ट का पुनरुत्थान महिमामय देह का आश्वासन प्रदान करता है और कभी न समाप्त होने वाले जीवन की आशा प्रदान करता है। किन्तु यह सब उन्हीं के लिए है जो यीशु पर विश्वास करते हैं। क्योंकि यीशु ने स्वयं कहा है, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ। जो कोई मुझ पर विश्वास करता है यदि वह मर भी जाए फिर भी जीएगा, और प्रत्येक जो जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा” (यूहन्ना 11:25-26)। यदि आप अनन्त जीवन पाना चाहते हैं और मृत्यु के भय से छुटकारा चाहते हैं, तो यीशु पर विश्वास कीजिए।