जैसे-जैसे ईस्टर (पुनरुत्थान दिवस) निकट आता है, तो आइए यीशु का पुनरुत्थान हमारे लिए जो अर्थ रखता है उस बात पर हम अपनी कृतज्ञता और आनन्द और सराहना तथा आश्चर्य को उभारें। हमारे पतित स्वभाव का अभिशाप यह है कि जो बात एक बार हमें रोमांचित कर देती है वह धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है। वास्तविकता नहीं परिवर्तित हुई है। किन्तु हम परिवर्तित हो गए हैं।
इसलिए बाइबल अस्तित्व में है। पतरस अपनी दोनों पत्रियों के विषय में कहता है कि वे “स्मरण दिलाने” के माध्यम से “उभारने” या “जागृत करने” के लिए लिखी गई हैं।
इसलिए, आइए हम स्मरण दिलाने के माध्यम से अपने सच्चे मनों को उभारें।
परमेश्वर ने यीशु को मृतकों में से जिला उठाने के द्वारा क्या किया? इसके लिए यहाँ कुछ बाइबलीय उत्तर हैं।
यीशु के पुनरुत्थान के कारण एक जीवित आशा के लिए हमारा नया जन्म हुआ है।
1 पतरस 1:3: “हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट के पिता परमेश्वर की स्तुति हो, जिसने यीशु ख्रीष्ट के मृतकों में से जिला उठाने के द्वारा, अपनी अपार दया के अनुसार, एक जीवित आशा के लिए हमें नया जन्म दिया।”
यीशु के पुनरुत्थान के कारण अब उसके पास वह महिमा है जिसके लिए हम सृजे गए थे। हमारा अन्तिम गन्तव्य उसको उसी रूप में देखना है जैसा वह है।
1 पतरस 1:21: “परमेश्वर ने . . . उसे मृतकों में से जिलाया और महिमा दी।”
यूहन्ना 17:5, 24: “हे पिता, अब तू अपने साथ मेरी महिमा, उस महिमा से कर जो जगत की उत्पत्ति से पहले, तेरे साथ मेरी थी . . . हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ रहें, कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जिसे तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझ से प्रेम किया।”
जी उठा प्रभु यीशु स्वयं आपके सच्चे मन को आराधना, निष्ठा और आनन्द की नई गहराइयों के लिए जागृत करे और उत्साहित करे।