“पूरा हुआ”- (यूहन्ना 19:30)

“जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा, “पूरा हुआ,” और उसने सिर झुकाकर प्राण त्याग दिया।” (यूहन्ना 19:30)

क्रूस पर यह यीशु की छठी वाणी है। यीशु ने सिरका लेने के पश्चात् इस वाणी को कहा। मूल भाषा में “पूरा हुआ” शब्द दर्शाता है कि “ऋण की भरपाई हो गई है”। तो क्रूस पर यीशु ने एक लहूलुहान, निर्बल अवस्था में किस को चुकाया? उसने यह ऋण किसके लिए चुकाया? ऐसी अवस्था में तो उसके मुँह से निराशा के शब्द निकालने चाहिए थे या फिर किसी से सहायता का निवेदन करना चाहिए था। क्रूस पर यीशु के यह कहना “पूरा हुआ” इन बातों को दर्शाता है –         

व्यवस्था के प्रत्येक माँग को यीशु ने पूरा किया – संसार मे पाप के प्रवेश करने के कारण सब मनुष्य परमेश्वर की महिमा से रहित थे (रोमियों 3:23, 5:12)। व्यवस्था की माँगों को पूरी करने में सब मनुष्य असफल थे। परन्तु यीशु संसार मे आकार पिता की आज्ञाकारिता में रहा और क्रूस की मृत्यु को भी सह लिया (फिलिप्पियों 2:8)। 2 कुरिन्थियों 5:21 और 1 पतरस 2:22 वह पाप से अज्ञात था और उसमें कोई पाप नहीं किया। इसलिए अपने जीवन और मृत्यु के द्वारा उसने व्यवस्था के सब नैतिक और आनुष्ठानिक माँगों को पूरा किया। यीशु ने इस ऋण को चुकाया।  

हमारे पापों का दाम यीशु ने चुकाया – मनुष्य के लिए उद्धार की प्राप्ति असम्भव बात थी। हमारे जीवन में पाप के प्रभाव के कारण हमारी प्रवृत्ति भ्रष्ट हो चुकी थी और हम अपने पापों में मरे हुए थे (इफिसियों 2:1)। हमारे पापों के कारण हम उसकी महिमा से रहित थे और उसके क्रोध के सन्तान थे (रोमियों 3:23, इफिसियों 2:3)। हम अपने पापों का दाम नहीं चुका सकते थे और पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है। हमारे पापों के कारण हमने तो मृत्यु कमायी थी। परन्तु यीशु ने हमारे सब अपराधों को क्षमा किया और विधियों का वह अभिलेख जो हमारे नाम पर और हमारे  विरुद्ध था, मिटा डाला (कुलुस्सियों 2:14)। यीशु ने इस ऋण को चुकाया।  

अतः यीशु ने अपने पिता की इच्छा को पूरा किया। हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए, हम जैसे पापियों के लिए वह इस संसार मे आ गया, उसने हमारे पापों का दण्ड सहा और हमारे पापों का दाम भी चुकाया।

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मोनीष मित्रा
मोनीष मित्रा

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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