असामान्य संकट की घड़ी

February 23, 2025

असामान्य संकट की घड़ी

यदि ख्रीष्ट के नाम के कारण तुम्हारी निन्दा की जाती है तो तुम धन्य हो, क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम में वास करता है। (1 पतरस 4:14)

आज संसार में बहुत सारे ख्रीष्टीय लोग ख्रीष्ट में विश्वास करने के कारण आने वाले प्राण-घातक जोखिम को नहीं जानते हैं। इस प्रकार के सताव से स्वतन्त्र रहने की हमारी प्रवृति हो गयी है। हमें ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ वैसा ही है जैसा कि उन्हें होना चाहिए।

इसलिए, उस संकट के प्रति हमारी प्रथम प्रतिक्रिया अधिकतर क्रोध ही होता है कि स्थिति कुछ भिन्न हो सकती है। परन्तु वह क्रोध इस बात का चिन्ह हो सकता है कि हमने अपने परदेशी और यात्री होने की समझ को खो दिया है (“हे प्रियो, मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने आप को परदेशी और यात्री जान कर. . . . .”  1 पतरस 2:11) ।

सम्भवत: हम इस संसार से बहुत अधिक स्नेह करते हैं। हम ख्रीष्ट के लिए उतना गृहातुरता का अनुभव नहीं करते हैं जितना की पौलुस ने किया था: “परन्तु हमारी नागरिकता स्वर्ग की है, जहाँ से हम उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ख्रीष्ट के आगमन की प्रतीक्षा उत्सुकता से कर रहे हैं” (फिलिप्पियों 3:20)।

हम में से बहुतों को स्मरण कराए जाने की आवश्यकता है कि, “हे प्रियो, यह दुख-रूपी अग्नि-परीक्षा जो तुम्हारे मध्य इसलिए आयी कि तुम्हारी परख हो—इसे यह समझकर अचम्भा न करना कि कोई अनोखी घटना तुम पर घट रही है” (1 पतरस 4:12)। यह कोई अनोखी बात नहीं है।

क्या आपने कभी सोचा है कि आप अन्तिम परीक्षा की घड़ी में कैसे प्रतिउत्तर करेंगे? बन्दूकधारी आपके ऊपर बन्दूक तान कर पूछता है कि, “क्या तुम ख्रीष्टीय हो?” यहाँ आपको आशा देने के लिए एक दृढ़ शिक्षा है कि आप जितना सोचते हैं उससे कहीं अधिक उत्तम करने पाएँ।

पतरस कहता है, “यदि ख्रीष्ट के नाम के कारण तुम्हारी निन्दा की जाती है तो तुम धन्य हो, क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम में वास करता है” (1 पतरस 4:14)। पतरस की ओर से प्राप्त यह प्रोत्साहन कह रहा है कि असामान्य संकट की घड़ी में (चाहे अपमान हो या मृत्यु) “महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है हम में वास करेगा।” क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर संकट की घड़ी में उन्हें विशेष सहायता प्रदान करता है जो ख्रीष्टीय होने के कारण दुख उठा रहे हैं?

मेरा अर्थ यह नहीं है कि वह हमारे अन्य दु:खों में अनुपस्थित है। मेरा अर्थ मात्र इतना है कि पतरस यह कहने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है कि वे जो “ख्रीष्ट के नाम के लिए” दु:ख उठाते हैं, वे स्वयं के ऊपर “महिमा के आत्मा का जो परमेश्वर का आत्मा है,” उसके विशेष “वास” का अनुभव करेंगे।

प्रार्थना करें कि जब परीक्षा आए तो यह आपका अनुभव हो। हमारे पास उस क्षण सहन करने के संसाधन हों जो कि हमारे पास अन्य समयों में सहने के लिए नहीं होते हैं। लगे रहिए।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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