परमेश्वर की मधुर योजनाएँ

पौलुस के हृदय परिवर्तन, ख्रीष्ट की सम्प्रभुता और पौलुस के पापों का आपके उद्धार से क्या सम्बन्ध है, इन बातों पर विचार कीजिए।

पौलुस ने कहा कि परमेश्वर ने, “मुझे माता के गर्भ ही से नियुक्त किया,” और फिर कई वर्षों के बाद, दमिश्क के मार्ग पर “उसने अपने अनुग्रह से मुझे बुलाया” (गलातियों 1:15)। 

इसका अर्थ यह है कि पौलुस के जन्म और दमिश्क के मार्ग पर, उसकी बुलाहट के अन्तराल में, वह पहले-ही-से-चुना-हुआ था किन्तु अभी तक बुलाया-नहीं-गया परमेश्वर का साधन था (प्रेरितों के काम 9:15; 22:14)। 

इसका अर्थ यह है कि पौलुस यद्यपि परमेश्वर-द्वारा-चुना हुआ तथा शीघ्र ही एक ख्रीष्टीय सुसमाचार प्रचारक बनने पर था, तौभी वह लोगों पर प्रहार कर रहा था, बंदीगृह में डाल रहा था और हत्या कर रहा था। 

और ऐसा हुआ कि जब मैं लगभग दोपहर के समय दमिश्क के निकट अभी मार्ग में ही था कि आकाश से एकाएक एक बड़ी ज्योति मेरे चारों ओर चमकी। और मैं भूमि पर गिर पड़ा, और एक वाणी मुझ से यह कहते सुनाई दी, “शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?” (प्रेरितों 22:6-7)

इस बात को नकारा नहीं जा सकता था और न ही उससे बचा जा सकता था। क्योंकि परमेश्वर ने उसे इस कार्य के लिए जन्म से पहले ही चुन लिया था। और अब वह उसे अवश्य ही बुला लेगा। ख्रीष्ट का वचन सम्प्रभु था। इसलिए अब वहाँ कोई मोल-तोल नहीं किया जा सकता था। 

“उठकर दमिश्क को जा, और वहाँ तुझे वह सब जो तेरे करने के लिए ठहराया गया है बता दिया जाएगा।” (प्रेरितों के काम 22:10)। 

ऐसा नहीं था कि परमेश्वर द्वारा पौलुस को बचाने के दशकों के निरर्थक प्रयासों के पश्चात् दमिश्क में पौलुस ने अंततः तथा स्वेच्छा से ख्रीष्ट की अधीनता को स्वीकारा। नहीं। परमेश्वर ने उसे चुनने का समय (उसके जन्म से पहले) और उसे बुलाने का समय (दमिश्क के मार्ग पर) निर्धारित कर रखा था। परमेश्वर ने बुलाया और बुलाहट ने अधीनता को उत्पन्न किया। 

तो, परमेश्वर ने पौलुस के जन्म और उसकी बुलाहट के अन्तराल में जिन पापों की अनुमति दी थी वे अंततः उसकी योजना का ही भाग थे, क्योंकि वह पौलुस को पहले भी बुलाहट दे सकता था।

क्या हम जानते हैं कि ऐसे पापों के लिए क्या योजना रही होगी? हाँ हम जानते हैं। उन्हें आपके और मेरे लिए अनुमति दी गई थी — उन सभी के लिए जो इस बात से भयभीत होते हैं कि सम्भवतः उनके पाप अनुग्रह से कहीं अधिक बढ़कर हैं। इस रीति से पौलुस अपने पापों को आपकी आशा से जोड़ता है: 

 “यद्यपि मैं पहले निन्दा करने वाला, सताने वाला तथा घोर अन्धेर करने वाला व्यक्ति था . . .फिर भी मुझ पर इस कारण दया हुई कि ख्रीष्ट यीशु मुझ सब से बड़े पापी में अपनी पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करे कि मैं उनके लिए जो उस पर अनन्त जीवन के निमित्त विश्वास करेंगे, आदर्श बनूँ। (1 तीमुथियुस 1:13,16)

देखो, कठोर हृदय वाले आशाहीन पापियों के सम्प्रभु उद्धार में परमेश्वर की योजनाएँ कितनी मधुर हैं!

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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