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यीशु ख्रीष्ट का जन्म कुवाँरी से ही क्यों हुआ?

समाज में जब अविवाहित स्त्री से कोई बच्चा पैदा होता है तो यह बात कितनी शर्मनाक एवं परिवार की प्रतिष्ठा के विरुद्ध होती है। यह समाज की अपेक्षाओं के विपरीत है। परन्तु परमेश्वर  समाज की समझ व अपेक्षाओं के विपरीत कार्य करने वाला परमेश्वर है। उसने इस बात को चुना कि हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर पुत्र का जन्म कुँवारी स्त्री से हो! कुँवारी से जन्म मुख्यतः चार बातों को प्रदर्शित करती हैं-

कुँवारी से ख्रीष्ट का जन्म परमेश्वर का अलौकिक कार्य है

परमेश्वर का पवित्र पुत्र होने के कारण यीशु को कुँवारी से जन्म लेना आवश्यक था, जिससे कि यह स्पष्ट हो सके कि वह परमेश्वर की ओर से आया, न कि किसी मनुष्य के द्वारा। एक कुँवारी का बिना किसी पुरुष के साथ समागम के गर्भधारण करना परमेश्वर के अलौकिक कार्य के द्वारा ही सम्भव हो सकता है। 

इसलिए जब स्वर्गदूत ने कुँवारी मरियम से कहा “तुझ से एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यीशु रखना क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।” तब वह कहती है कि “यह कैसे हो सकता है, मैं तो कुँवारी हूँ? तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।” आने वाले उद्धारकर्ता का जन्म कुँवारी से होगा जो कि मानवीय दृष्टि से असम्भव है, परन्तु परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है (लूका 1:34-37)।

कुँवारी से जन्म उसकी पहचान को प्रकट करता है

यीशु का कुँवारी से जन्म लेना उसकी पहचान को दिखाता है। यह दिखाता है कि यीशु त्रिएक परमेश्वर का द्वितीय जन अर्थात् परमेश्वर पुत्र है। यह बात यीशु के बपतिस्मा के समय, स्वयं परमेश्वर पिता ने यह कहकर प्रकट किया कि “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से अत्यन्त प्रसन्न हूँ” (लूका 3:22)। इसके साथ ही कुँवारी मरियम से जन्म लेना यीशु के सच्चे मनुष्यत्व को भी दिखाता है। यद्यपि यीशु, बिना किसी पुरुष के योगदान के कुँवारी स्त्री से सामान्य शिशुओं के समान जन्मा था। उसका सम्पूर्ण मानव जीवन एक साधारण मनुष्य के ही समान था, जो उसके मनुष्य होने का प्रमाण देता है। 

कुँवारी से जन्म यीशु के पाप रहित होने का प्रमाण है

यीशु हमारे ही समान मनुष्य बनकर अवश्य आया था, किन्तु हम में और उस में एक मानवीय भिन्नता यह है कि हम पापी हैं और वह निष्पाप है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्रथम पुरुष (आदम) ने पाप किया और अब उससे जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति पापी है, और हम सब पाप के साथ माता के गर्भ में पड़े हैं (भजन 51:5)। किन्तु यीशु कुँवारी से जन्म लेने के कारण पूर्ण रीति से मानवीय पाप से अलग है। वह पाप के साथ माता के गर्भ में नहीं पड़ा, इसलिए वह पाप रहित है। इसी कारण से निष्पाप यीशु हमारे पापों के बदले में प्रायश्चित्त कर सकता है (इब्रानियों 7:26-27)। 

कुँवारी से यीशु का जन्म हमारे उद्धार के लिए आवश्यक था

परमेश्वर ने पापों की क्षमा के लिए पहले पाप के तत्पश्चात ही इस बात की प्रतिज्ञा की थी कि वह एक दिन स्त्री के वंश को भेजेगा (उत्पत्ति 3:15)। और जब समय पूरा हुआ तब परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो स्त्री से उत्पन्न हुआ, जिससे कि वह मूल्य चुकाकर हमें व्यवस्था के दण्ड से छुड़ा ले (गलातियों 4:4-5)। इतना ही नहीं परमेश्वर पुत्र यीशु के रूप में इसलिए भी आया, कि वह मनुष्यों के साथ रह सके, और यह बात यशायाह नबी के द्वारा कही गई भविष्यवाणी को भी पूरा करती है कि “देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी, वह एक पुत्र को जन्म देगी” (यशायाह 7:14) और वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा (मत्ती 1:21)।

यीशु का कुँवारी से जन्म लेना निश्चय ही परमेश्वर के अलौकिक कार्य को दिखाता है। साथ ही यह यीशु के मनुष्यत्व तथा उसके प्रमाण को भी प्रकट करता है कि वह वास्तव में परमेश्वर और वास्तव में मनुष्य है, जो हमारे पापों के लिए कुँवारी स्त्री से व्यवस्था के अधीन जन्मा जिससे कि हमें व्यवस्था के दण्ड से छुड़ा ले। उसने हमारे पापों के प्रायश्चित्त हेतु केवल निष्पाप रीति से जन्म ही नहीं लिया, परन्तु उसने स्वयं को बलिदान कर दिया और मृतकों में से जी उठने के द्वारा परमेश्वर का पुत्र घोषित हुआ। अतः इस क्रिसमस पर परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए कि यीशु उद्धारकर्ता के रूप में आपके हृदय में जन्म ले अन्यथा क्रिसमस (ख्रीष्ट जन्मोत्सव) आपके लिए अधूरा है।

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प्रेम प्रकाश
प्रेम प्रकाश

सत्य वचन सेमिनरी के अकादिम डीन के रूप में सेवा करते हैं।

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