जब आज्ञाकारिता असम्भव प्रतीत होती है
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

विश्वास ही से इब्राहिम ने परखे जाने के समय इसहाक को वेदी पर चढ़ाया। (इब्रानियों 11:17)

आप में से अनेक लोगों के लिए इस समय — तथा आप में से अन्य लोगों के लिए समय आने वाला है — जिसमें आज्ञाकारिता स्वप्न की समाप्ति के नाई प्रतीत होती है। आपको ऐसा लग रहा होगा कि यदि आप वह करेंगे जिसके लिए परमेश्वर का वचन या परमेश्वर का आत्मा आपको बुला रहा है, तो आप पीड़ित होंगे और ऐसा असम्भव प्रतीत होता है कि परमेश्वर यह सब कुछ भलाई के लिए पलट सकता है।

अभी आप परमेश्वर की जिस आज्ञा या बुलाहट को सुन रहे हैं वह हो सकता है कि या तो विवाहित या अविवाहित रहना, उस नौकरी में बने रहना या उस नौकरी को छोड़ देना, बपतिस्मा लेना, अपने कार्यस्थल में ख्रीष्ट के विषय में बताना, खराई के अपने मापदण्ड से समझौता करने से नकारना, पाप में पड़े हुए व्यक्ति को चिताना, एक नई आजीविका का आरम्भ करना, या फिर एक मिशनरी बनना। और जब आप इसे अपनी सीमित समझ से देखते हैं, तो ऐसा करने की सम्भावना भयावह प्रतीत होती है — यह इसहाक की हानि उठाने की नाई है, वह इकलौता पुत्र जो उत्तराधिकारी हो सकता है।

आपने प्रत्येक मानव दृष्टिकोण से विचार किया है, और यह असम्भव है कि इसका परिणाम अच्छा निकले।

अब आप जानते हैं कि अब्राहम का अनुभव किस प्रकार का था। यह कहानी बाइबल में आपके लिए है।

क्या आप परमेश्वर और उसके मार्ग तथा उसके वचनों की लालसा अन्य किसी भी वस्तु से बढ़कर करते हैं? और क्या आप यह विश्वास करते हैं कि वह आपके विश्वास और आज्ञाकारिता का सम्मान कर सकता है और करेगा भी, स्वयं को आपका परमेश्वर कहलाने से न लज्जाने के द्वारा? तथा अपनी सारी बुद्धि और सामर्थ्य और प्रेम का उपयोग आज्ञाकारिता के मार्ग को जीवन और आनन्द के मार्ग में बदलने के लिए करेगा?

यही वह संकट की स्थिति है जिसका सामना आप अभी कर रहे हैं: क्या आप उसकी लालसा करते हैं? क्या आप उस पर भरोसा करेंगे? आपके लिए परमेश्वर का वचन है: परमेश्वर योग्य है और परमेश्वर सक्षम है।

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